पिपरवार. अशोक परियोजना में विजैन गांव का जमीन विवाद सुलझने के बावजूद मंदिर हट नहीं सकी है. इसकी वजह से प्रोडक्शन मंथ में भी परियोजना को कोयले की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. सीसीएल मुख्यालय द्वारा दिसंबर महीने में दिया गया 10 मिलियन लक्ष्य अब नामुमकिन प्रतीत हो रहा है. वित्तीय वर्ष समाप्त होने में मात्र 24 दिन ही शेष हैं. ऐसे में प्रबंधन की चितां बढ़ने लगी है. जानकारी के अनुसार परियोजना अब तक सिर्फ 6.86 मिलियन टन ही कोयले का उत्पादन कर सकी है. फेस के अभाव में मंद गति से कोयले का उत्पादन हो रहा है. बावजूद इसके प्रबंधन मंदिर स्थानांतरण को लेकर प्रयासरत है. प्रबंधन को उम्मीद है कि 10 मार्च को विधि-विधान से मंदिर को कल्याणपुर स्थित पुनर्वास गांव विजैन में स्थानांतरित करने में अब कोई व्यवधान नहीं आयेगा. जानकारी के अनुसार मंदिर स्थानांतरित नहीं होने से आसपास के क्षेत्र से प्रबंधन कोयला निकाला जा चुका है. जिससे विजैन गांव का कुछ भाग जिसमें मंदिर स्थित है, ऊंची पहाड़ी सा प्रतीत होता है. ज्ञात हो कि परियोजना को कोयला मंत्रालय द्वारा छह मिलियन टन का उत्पादन लक्ष्य मिला था. जो नवंबर महीने में ही पूरा हो गया था. इसके बाद सीसीएल सीएमडी ने परियोजना को अतिरिक्त चार मिलियन का लक्ष्य दे दिया. इस संबंध में पीओ जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मंदिर के नीचे लगभग चार मिलियन टन कोयला है. जितनी जल्द मंदिर स्थानांतरित होगा परियोजना को उत्पादन लक्ष्य के करीब पहुंचने में मदद होगी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है