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जलमीनार खराब होने से बढ़ा पेयजल संकट

पेयजल योजनाओं पर खर्च करोड़ों, पर धरातल पर नतीजा शून्य

राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्यमंत्री जल नल योजना के अंतर्गत सोलर जलमीनार स्थापित कर पेयजल व्यवस्था को सुदृढ़ करने की पहल की गयी, लेकिन पोड़ैयाहाट प्रखंड में इनका हाल बदहाल है. फुलवार, सलैया ठाकुर नहान, अकाशी, कस्तूरी, पिंडराहाट और रतनपुर सहित अधिकांश पंचायतों में करोड़ों रुपये खर्च कर बनाये गये जलमीनार आज शोभा की वस्तु बनकर रह गये हैं. एक जलमीनार के निर्माण में औसतन चार लाख रुपये की लागत आयी है, लेकिन अब ये मीनार बिना देखरेख के बंद पड़े हैं. न तो इनके रखरखाव की कोई व्यवस्था है, न ही प्रशासन की ओर से मरम्मत की कोई पहल की गयी है. भाजपा प्रखंड अध्यक्ष डब्लू भगत ने इस संबंध में स्थानीय सांसद डॉ. निशिकांत दुबे को अवगत कराया, जिस पर सांसद ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की बात कही है. द्रुपद पंचायत समेत कई क्षेत्रों में वर्षों से जलमीनार खराब पड़े हैं, जिससे ग्रामीण पेयजल संकट से जूझ रहे हैं.

बड़ी योजना, फिर भी बुझ नहीं रही प्यास

प्रखंड कार्यालय परिसर में करीब 13 करोड़ की लागत से एक बड़ा जलमीनार बनाया गया है, जिससे पोड़ैयाहाट वासियों को जलापूर्ति की जाती है. लेकिन सप्ताह में मात्र दो दिन ही पानी उपलब्ध कराया जा रहा है. पंप चालक कभी मोटर खराब, तो कभी बिजली आपूर्ति बाधित होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेते हैं. इससे लोगों में विभाग के प्रति गहरा आक्रोश है.

क्या कहते हैं जेई

सभी पंचायतों में खराब पड़े जलमीनार की जांच कर स्टीमेट विभाग को भेजा गया है. स्वीकृति मिलते ही टेंडर निकालकर मरम्मत कराई जाएगी.

– चांद हेंब्रम, जेई, पीएचईडी विभागB

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