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जानिए क्‍या है फ्लैवोनॉयड और इससे होने वाले लाभ के बारे में

फ्लैवोनॉयड हमारे आहार का प्रमुख अवयव है. यह गट माइक्रोब्स के साथ काम कर फ्लू एवं वायरल फीवर से बचाता है. अध्ययन से पता चला है कि गट माइक्रोब्स फ्लैवोनॉयड की मदद से शरीर की रोध प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. वैसे लोगों की छोटी आंत में बैक्टीरियल काॅलोनी की मात्रा को बढ़ाता है, जिसमें […]

फ्लैवोनॉयड हमारे आहार का प्रमुख अवयव है. यह गट माइक्रोब्स के साथ काम कर फ्लू एवं वायरल फीवर से बचाता है. अध्ययन से पता चला है कि गट माइक्रोब्स फ्लैवोनॉयड की मदद से शरीर की रोध प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. वैसे लोगों की छोटी आंत में बैक्टीरियल काॅलोनी की मात्रा को बढ़ाता है, जिसमें इस तरह के माइक्रोब्स नहीं पाये जाते. इससे फ्लू एवं इन्फ्लूएंजा की बीमारी को कम करता है.
श्वेता जायसवाल
कंसल्टेंट डायटिशियन नगरमल मोदी सेवा सदन बरियातु, रांची
फ्लैवोनॉयड एक रासायनिक पोलिफिनोलिक कार्बन यौगिक है. यह मुख्यतः पौधों में पाया जाता है. यह महत्वपूर्ण प्लांट पिगमेंट है, जो फूलों में पॉलिनेशन को आकर्षित करता है. यह केमिकल मैसेंजर, शारीरिक कार्यों की नियमावली एवं कोशिका चक्र की गति को कंट्रोल करता है. इसे छः समूह में बांटा गया है : chalcones, flavones, isoflavonoids, anthoxanthins और anthocyanins.
फ्लैवोनॉयड सभी तरह की सब्जियों और फलों में कुछ मात्रा में पाया जाता है. यह ग्रीन चाय एवं ब्लैक चाय, सूखे बीन्स और अनाजों में भी पाया जाता है.
आमतौर पर यह माना गया है कि जिस खाद्य पदार्थ का रंग जितना गहरा होता है, उसमें उतना ही फ्लैवोनॉयड पाया जाता है. फ्लैवोनॉयड के मुख्य स्रोत हैं संतरा, रोजमेरी, लहसुन, अदरख, काली मिर्च, सोया, चॉकलेट, अनार, सेब, अंगूर इत्यादि.
फ्लैवोनॉयड कुछ मिनरल एवं विटामिन को बांध कर रखता है. इसलिए इसे विटामिन-सी के साथ एवं आयरन के साथ नहीं लेना चाहिए. अच्छी मात्रा में फ्लैवोनॉयड शरीर में लेने के लिए प्रतिदिन पांच तरह की सब्जी एवं चार तरह के फल के लेने चाहिए. यह हमारे शरीर के लिए कई प्रकार से लाभप्रद है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीवायरल, एंटी कैंसरस, एंटीइनफ्लामेट्री और एंटीएलर्जी गुण पाये जाते हैं.
एंटीआॅक्सीडेंट के रूप में यह हमारे शरीर में उपस्थित फ्री रैडिकल्स को कम करता है एवं शरीर को विभिन्न नुकसानों से बचाता है. इसके ऊपर कई अध्ययन भी किये गये, जिसमें यह पाया गया कि फ्लैवोनॉइड एंटीइंफ्लामेट्री की तरह कार्य करता है. शरीर के वैसे मैसेजिंग मॉलीक्यूल्स, जो घाव के लिए जिम्मेवार होते हैं, फ्लैवोनॉयड उसे ब्लॉक कर देता है. यह कार्य एक विशेष प्रकार का फ्लैवोनॉयड quercetin करता है.
यह मसाले एवं हर्ब में पाया जाता है. कोकोआ और चाॅकलेट में फ्लैवोनोल्स (flavonols) पाया जाता है, जो धमनियों (arteries) के घातक घावों को कम करता है. लहसुन, अदरख, हल्दी, सेब, नट्स, रोजमेरी, शहद, टमाटर, ब्लैक बीन्स, डार्क चाॅकलेट, ग्रीन टी आदि में एंटी-इनफ्लामेट्री गुण पाये जाते हैं.
हृदय रोगों से बचाता है : यह एक सुखद बात है कि फ्लैवोनॉइड हमारे हृदय को सीधा मदद करता है. यह रक्त नलिकाओं में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को आॅक्सीजन से संबंधित नुकसान से बचाता है. ऐसा करने से हृदय से संबंधित बीमारी atherosclerosis से दूर रहने में मदद करता है. फ्लैवोनॉयड रूटीन और हेस्पिरिडिन रक्त नलिकाओं की अंदरूनी दीवारों को मजबूत करता है, जिससे रक्त नलिकाओं की समस्याएं दूर रहती हैं.
प्याज और ब्लैक-टी के नियमित और संतुलित सेवन हृदय की बीमारी को कम किया जा सकता है. अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन 2009 के एक अध्ययन के अनुसार प्रतिदिन 40gm कोकोआ पाउडर (मलाई रहित) दूध के साथ लेने से मनुष्य में मॉलीक्यूल्स का आपस में चिपकने को कम करता है
नर्व की कोशिका निर्माण में मददगार
यदि किसी वजह से नर्व कोशिकाओं में आॅक्सीजन की अधिकता हो जाये, तो वह उसे अवशोषित कर ऑक्सीजन की अधिकता के नुकसान से बचाता है और नर्व कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद करता है.
यह उम्र से संबंधित बीमारी डिमेंशिया और अल्जाइमर के लक्षणों को भी टालने का काम करता है. रोजमेरी, अजवायन की पत्ती, तुलसी, पुदीना, सेब, बेरीज, तीसी, अदरख, मशरूम, अनार एवं शतावरी साग में तंत्रिका तंत्र को ठीक रखने में मदद करता है. कोर्नेल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अनुसार प्याज जो फ्लैवोनॉयड से भरा होता है, कोलोन एवं लीवर कैंसर के खिलाफ anti-proleferative तत्वों का निर्माण करता है. ब्रोकली, बेरीज, टमाटर, लहसुन, बीन्स, अखरोट इत्यादि कैंसर जैसी बीमारी को दूर रखने में फायदेमंद है.

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