भुवनेश्वर से अरविन्द मिश्र और संजीत कुमार की रिपोर्ट
Water From Air: अगर आपसे यह कहा जाए कि हवा से सीधे पानी निकालकर उसे पिया जा सकता है, तो शायद आप इस बात से सहमत न हों, लेकिन यह बात सत्य है कि आज हवा से पानी निकालकर उससे अपनी प्यास बुझाई जा रही है. इस नई तकनीक ने पेयजल समस्या को पूरी तरह से खत्म करने का दावा किया है. इससे न केवल भूजल को बचाया जा सकता है, बल्कि वायुमंडल को भी साफ किया जा सकता है. जी हां यह तकनीक ओडिशा में खेले गए हॉकी विश्व कप (Hockey World Cup 2023) के दौरान बाहर से आ रहे दर्शकों को प्यास बुझाने में काफी मददगार साबित हुई.
हवा से पानी बनाने की तकनीक ने हॉकी वर्ल्ड कप में दर्शकों की बुझाई प्यास
चाहे भुवनेश्वर का कलिंगा स्टेडियम हो या फिर राउरकेला का विश्व प्रसिद्ध बिरसा मुंडा स्टेडियम हो, दोनों ही जगह पर इस तकनीक को लगाया गया और जिसके जरिए दर्शक अपनी प्यास लगातार बुझा रहे थे. लोग आश्चर्यचकित भी हो रहे थे इस तकनीक को देखकर कि आखिर ऐसा हो कैसे रहा है. हवा से सीधे पीने का पानी कैसे तैयार किया जा रहा है. तो आपको हम इस तकनीक के बारे में बताते हैं कि यह कैसे काम करती है और अभी यह तकनीक किन किन देशों में चलाया जा रहा है.
इजरायल की कंपनी वाटरजेन का प्रोजेक्ट
दरअसल, यह तकनीक इजरायल की कंपनी वाटरजेन ने तैयार की है. वाटर जेन कंपनी सीधे हवा से पानी तैयार करती है और लोगों की प्यास बुझा रही है. आज यह अमेरिका, जापान, संयुक्त अरब अमीरात, सहित 90 देशों में लगातार काम कर रही है.
कैसे बनाता है हवा से पीने वाला पानी
पीने योग्य पानी बनाने के लिए वायुमंडलीय हवा को मशीन में लगे दो फिल्टर के जरिए फिल्टर किया जाता है. फिल्टर हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों और गंदगी को हटाती है. जिसके बाद नमी पानी में बदल जाती है.
घर में भी लगाया जा सकता है वाटरजेन
खास बात यह है कि हम इस तकनीक को अपने घर पर भी लगा सकते हैं और पानी की समस्या से निजात पा सकते हैं. कंपनी के इंडिया हेड पंकज ने बताया कि घर में अगर इस तकनीक को लगाया जाए तो इसमें 2,50,000 रुपये का खर्च आ सकता है. लंबे समय तक आप इस तकनीक को इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि बीच बीच में फिल्टर बदलना पड़ सकता है.