कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने आज केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि गोवा में चल रहे आईएफएफआई फिल्मोत्सव में मलयाली फिल्म एस दुर्गा का प्रदर्शन होने दिया जाए. कुछ दिन पहले ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फिल्मोत्सव में प्रदर्शित की जाने वाली सूची से इस फिल्म को हटा दिया था.
न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन ने फिल्म निर्देशक सनल कुमार शशिधरन की याचिका को स्वीकार करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव और फिल्म महोत्सव निदेशालय समेत प्रतिवादियों को भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के 48वें संस्करण में फिल्म के सत्यापित संस्करण को प्रदर्शित करने का निर्देश दिया.
फिल्म को महोत्सव के पैनोरमा वर्ग से हटाये जाने के बाद शशिधरन ने यह कहते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था कि निर्णय असंवैधानिक है. 13 सदस्यीय जूरी की सिफारिशों को खारिज करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फिल्म एस दुर्गा और मराठी फिल्म न्यूड को महोत्सव से हटा दिया था. यह फिल्मोत्सव 28 नवम्बर तक चलेगा.
याचिकाकर्ता ने कहा था कि मंत्रालय ने बिना किसी कानूनी प्राधिकार के मनमाने तरीके से जूरी के निर्णय पर रोक लगा दी और उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया तथा कोई कारण भी नहीं बताया.
न्यायाधीश ने अपने आदेश में केंद्र सरकार के वकील की दलील का जिक्र किया कि जूरी ने फिल्म को इसलिए हटा दिया था क्योंकि तीन अक्तूबर को फिल्म के चयन के समय उसे सेंसर बोर्ड का प्रमाणपत्र नहीं मिला था.
सेंसर बोर्ड ने 10 अक्तूबर को फिल्म का नाम बदलकर एस दुर्गा किये जाने और अन्य कुछ चीजें हटाये जाने के बाद से यूाए प्रमाणपत्र दिया था. मंत्रालय की दलील के संदर्भ में अदालत ने कहा कि निश्चित रुप से अप्रमाणित संस्करण की स्क्रीनिंग नहीं की जा सकती. अदालत ने कहा कि जूरी ने फिल्म का चुनाव किया, लेकिन केवल इसलिए प्रदर्शन से इनकार कर दिया गया क्योंकि उसने उस प्रति को देखा जो प्रमाणित नहीं थी.