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लगातार 6 दिन से गिर रहे शेयर बाजार में अभी और आयेगी गिरावट, जानें जेफरीज ने क्या कहा

विश्व के तमाम सेंट्रल बैंक अपनी नीतिगत दरों में बदलाव करेंगे. इसकी वजह से लिक्विडिटी में कमी आयेगी और इसका सबसे ज्यादा इमर्जिंग मार्केट्स पर विपरीत असर पड़ेगा.

Share Market News: शेयर बाजार में लगातार 6 कारोबारी सत्र से गिरावट है. अभी इसमें और गिरावट आने की आशंका जतायी जा रही है. ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेेफरीज (Jefferies) ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि पिछले दिनों भारत के स्टॉक मार्केट में जो तेजी आयी थी, अब सुस्त पड़ जायेगी. इस साल शेयर मार्केट में गिरावट का रुख देखा जायेगा.

इमर्जिंग मार्केट्स पर पड़ेगा विपरीत असर

जेफरीज (Jefferies) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत समेत तमाम इमर्जिंग मार्केट्स के शेयर बाजारों (Stocks Markets) में गिरावट का रुख रहेगा. ब्रोकरेज फर्म ने कहा है कि विश्व के तमाम सेंट्रल बैंक (Central Banks) अपनी नीतिगत दरों (Monetary Policy) में बदलाव करेंगे. इसकी वजह से लिक्विडिटी में कमी आयेगी और इसका सबसे ज्यादा इमर्जिंग मार्केट्स पर विपरीत असर पड़ेगा.

अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने का अनुमान

अमेरिका में ब्याज दरों (Interest Rates) के बढ़ने के अनुमान की वजह से अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड 2 फीसदी से ज्यादा हो गयी है. इसका असर यह हुआ है कि सरकारी बॉन्ड्स (Govt. Bonds) में बड़ा निवेश हुआ. सरकारी बॉन्ड्स में निवेश जारी है. यही वजह है कि भारत में विदेशी संस्थागत निवेशक (FPI) लगातार अपने शेयर बेच रहे हैं, जिसकी वजहसे शेयर बाजार में गिरावट का दौर देखा जा रहा है.

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ग्लोबल लिक्विडिटी घटने से वैल्यूएशन में कमी

पिछले कुछ माह में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बड़ी बिकवाली की है. अप्रैल 2021 से अब तक विदेशी संस्थागत निवेशक 20 अरब डॉलर (करीब 1490.84 अरब रुपये) भारतीय शेयर बाजार से निकाल चुके हैं. ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म ने कहा है कि ग्लोबल लिक्विडिटी घटने से वैल्यूएशन में कमी देखने को मिलेगी.

10 साल के उच्चतम स्तर पर रहेगा करेंट अकाउंट डेफिसिट

जेफरीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें निफ्टी (Nifty) का दिसंबर 2022 का एवरेज टार्गेट 17,500 दिख रहा है. इसकी रेंज 16,500 से 18,500 के बीच रहेगी. भारतीय जीवन बीमा (LIC) का पब्लिक इश्यू ऐसे वक्त आ रहा है, जब विदेशी फंड बिकवाली कर रहे हैं. फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit) को शॉर्ट टर्म में इंडियन मार्केट के लिए बड़ा जोखिम माना जा रहा है. वर्ष 2022-23 में करेंट अकाउंट डेफिसिट जीडीपी का 2.5 फीसदी रहने का अनुमान है, जो 10 साल का सबसे ऊंचा स्तर है.

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बाजार पर इन वजहों से बना रह सकता है दबाव

जेफरीज ने कहा है कि भारत का आयात काफी बढ़ गया है. गैर-तेल और गैर-स्वर्ण आयात में 20 फीसदी की वृद्धि हुई है. नॉन-ऑयल और नॉन-गोल्ड आयात की ग्रोथ 20 फीसदी रही है. डोमेस्टिक डिमांड में रिकवरी, कमोडिटी की ऊंची कीमतें और महंगे क्रूड ऑयल से करेंट अकाउंट पर दबाव बने रहने का अनुमान है. बता दें कि जेफरीज ने कहा है कि शेयर बाजार में वर्ष 2000 जैसी गिरावट फिर देखने को मिल सकती है.

Posted By: Mithilesh Jha

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