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मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल के निर्यात पर लगाया टैक्स, US-यूरोप को तेल बेचकर मुनाफा कमा रहीं रिफाइनरियां

सरकार द्वारा पेट्रोल, डीजल और एटीएफ के निर्यात पर टैक्स लगाने के पीछे सबसे बड़ी वजह भारत की रिफाइनरियों द्वारा मोटा मुनाफा कमाना है. सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड जैसी कंपनियों द्वारा अमेरिका और यूरोप समेत दूसरे देशों को पेट्रोल, डीजल और एटीएफ के किए जाने वाले निर्यात पर टैक्स लगा दिया है.

नई दिल्ली : यूक्रेन पर इस साल 24 फरवरी को रूस द्वारा सैन्य कार्रवाई शुरू करने के बाद से पेट्रोलियम पदार्थों के बड़े खिलाड़ियों ने आपदा को अवसर बनाकर मोटा मुनाफा कमाना शुरू कर दिया. भारत में भी सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने इस अवसर को भुनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखा. रूस की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी रोसनेफ्ट और रिलायंस इंडस्ट्रीज समर्थित नायरा एनर्जी जैसी रिफाइनरियों ने यूक्रेन संकट के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों को तेल बेचकर मोटा मुनाफा कमाना शुरू कर दिया. अब मोदी सरकार ने अब पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन (एयर ट्रैफिक फ्यूल) के निर्यात पर टैक्स लगा दिया है. इसके साथ ही, सरकार ने स्थानीय तौर पर उत्पादित कच्चे तेल से होने वाले मोटे मुनाफे पर भी टैक्स लगा दिया है.

अमेरिका-यूरोप समेत दूसरे देशों के निर्यात पर टैक्स

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड जैसी कंपनियों द्वारा अमेरिका और यूरोप समेत दूसरे देशों को पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन (एटीएफ) के किए जाने वाले निर्यात पर टैक्स लगा दिया है. इसके साथ ही, ओएनजीसी और वेदांता लिमिटेड जैसी कंपनियों द्वारा स्थानीय स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल से मिलने वाले अप्रत्याशित लाभ पर भी टैक्स लगाने का फैसला किया है.

पेट्रोल और एटीएफ के निर्यात पर 6 रुपये लीटर की दर से टैक्स

वित्त मंत्रालय की ओर से जारी की गई अधिसूचना में कहा गया है कि सरकार ने पेट्रोल और एटीएफ के निर्यात पर 6 रुपये प्रति लीटर की दर से टैक्स लगाया है. इसके साथ ही, सरकार ने डीजल के निर्यात पर 13 रुपये प्रति लीटर की दर से टैक्स लगाया है. इसके अलावा, कच्चे तेल के घरेलू स्तर पर उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन का अतिरिक्त कर लगाया गया है. साथ ही, सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी, ऑयल इंडिया लिमिटेड और निजी क्षेत्र की वेदांता लिमिटेड की केयर्न ऑयल एंड गैस के कच्चे तेल के उत्पादन पर टैस लगाने का फैसला किया है. इससे सरकार को 2.9 करोड़ टन कच्चे तेल के घरेलू स्तर पर उत्पादन से सालाना 67,425 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है.

सरकार ने पेट्रोल-डीजल के निर्यात पर क्यों लगाया टैक्स

सरकार द्वारा पेट्रोल, डीजल और एटीएफ के निर्यात पर टैक्स लगाने के पीछे सबसे बड़ी वजह भारत की रिफाइनरियों द्वारा मोटा मुनाफा कमाना है. इस साल की 24 फरवरी को रूस द्वारा यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई शुरू करने के बाद भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज और रूस की रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी जैसी रिफायनरियों ने तेल किल्लत का सामना कर रहे अमेरिका और यूरोप जैसे क्षेत्रों में ईंधन का निर्यात करके मोटा मुनाफा कमाना शुरू कर दिया. इसके बाद सरकार ने इनके निर्यात पर टैक्स लगाने का फैसला किया.

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घरेलू पेट्रोल पंपों को सप्लाई करने के बजाय निर्यात कर रहीं कंपनियां

इसके साथ ही, आवश्यक ईंधन के निर्यात पर टैक्स लगाने के पीछे सरकार का मकसद घरेलू पेट्रोल पंपों पर आपूर्ति बेहतर करना भी है. इस समय मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में ईंधन की कमी का संकट खड़ा है. ऐसी विकट स्थिति में निजी रिफाइनरियां ईंधन की स्थानीय स्तर पर बिक्री करने के बजाए इसके निर्यात को तवज्जो दे रही हैं.

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