JSW-JFE Steel Deal: भारत के स्टील सेक्टर में एक बार फिर बड़ी हलचल मचने वाली है. सज्जन जिंदल की JSW Group और जापान की JFE Steel के बीच एक संभावित डील की चर्चा जोरों पर है. जो देश के औद्योगिक परिदृश्य को बदल सकती है. बताया जा रहा है कि JSW अपनी कंपनी Bhushan Power and Steel Ltd (BPSL) में 50 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है, जिससे न सिर्फ JSW को वित्तीय मजबूती मिलेगी बल्कि JFE को भी भारत के तेजी से बढ़ते स्टील बाजार में कदम जमाने का मौका मिलेगा. यह सौदा अगर तय हो जाता है, तो यह दोनों कंपनियों के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है.
क्या है डील की कहानी?
सज्जन जिंदल के नेतृत्व में चलने वाली JSW Group अपनी कंपनी Bhushan Power and Steel Ltd (BPSL) में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है. यह डील जापान की कंपनी JFE Steel के साथ हो सकती है, जिससे BPSL की कुल कीमत करीब 30,000 करोड़ रुपये आंकी जा रही है. अगर यह सौदा पक्का होता है, तो JSW को लगभग 15,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं, जो कंपनी की विस्तार योजनाओं को नई ताकत दे सकता है.
JFE को क्या फायदा होगा?
इस डील से जापान की JFE Steel को भारत जैसे तेजी से बढ़ते स्टील बाजार में मजबूत जगह मिलेगी. BPSL की ओडिशा में 4.5 मिलियन टन की स्टील यूनिट है, जिसे आगे बढ़ाकर 10 मिलियन टन तक ले जाने की योजना है. साथ ही, JFE अपनी आधुनिक तकनीक भी इसमें शामिल कर सकेगी, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार हो सकता है.
JSW और JFE की पुरानी साझेदारी
JSW और JFE का यह रिश्ता नया नहीं है. 2010 में JFE ने JSW में 4,800 करोड़ रुपये निवेश कर 15% हिस्सेदारी ली थी और तब से वह कंपनी की बोर्ड में भी शामिल है. पिछले एक साल में दोनों ने कई नए प्रोजेक्ट्स पर साथ काम किया है. जैसे अक्टूबर 2024 में thyssenkrupp Electrical Steel India का अधिग्रहण और अगस्त 2025 में 5,845 करोड़ रुपये की लागत से नई फैक्ट्री विस्तार की घोषणा की थी.
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क्यों अटका था समझौता?
BPSL पहले दिवालिया कंपनियों की सूची में थी और JSW ने 2021 में 19,700 करोड़ रुपये में इसे खरीदा था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस डील को “गैरकानूनी” बताते हुए रद्द कर दिया था. बाद में सितंबर 2025 में अदालत ने JSW के पक्ष में फैसला दिया था. इसके बाद ही JFE के साथ बातचीत फिर से शुरू हुई और अब यह डील दिसंबर तक तय हो सकती है.
आगे क्या होगा?
अगर यह साझेदारी होती है, तो JSW और JFE दोनों ही भारत के स्टील उद्योग में नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं. साथ ही, यह भारत को वैश्विक स्तर पर एक मजबूत स्टील हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है.
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