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सेवा क्षेत्र में लगातार तीसरे महीने वृद्धि के बावजूद चुनौतियां बरकरार

नयी दिल्ली : देश के सेवा क्षेत्र में अप्रैल माह में लगातार तीसरे महीने तेजी का रुख रहा, हालांकि नये कारोबार और रोजगार कमजोर रहने से इस दौरान वृद्धि की रफ्तार कुछ हल्की पड़ी है. देश के सेवा क्षेत्र की गतिविधियों पर नजर रखने वाले ‘दि निक्केई इंडिया सविर्सिज पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) के मुताबिक, […]

नयी दिल्ली : देश के सेवा क्षेत्र में अप्रैल माह में लगातार तीसरे महीने तेजी का रुख रहा, हालांकि नये कारोबार और रोजगार कमजोर रहने से इस दौरान वृद्धि की रफ्तार कुछ हल्की पड़ी है. देश के सेवा क्षेत्र की गतिविधियों पर नजर रखने वाले ‘दि निक्केई इंडिया सविर्सिज पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) के मुताबिक, अप्रैल में सेवा क्षेत्र का सूचकांक 50.2 अंक रहा, जबकि एक माह पहले मार्च में यह 51.5 अंक पर था. अप्रैल में वृद्धि की कमजोर रफ्तार को देखते हुए सेवा क्षेत्र में बाजार की चुनौतीपूर्ण स्थिति का पता चलता है. सर्वेक्षण के अनुसार, प्रतिस्पर्धात्मक दबाव के बीच सेवा क्षेत्र में विज्ञापन अभियान से नये कामकाज की वृद्धि को समर्थन मिला है.

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निक्केई इंडिया का सेवा क्षेत्र की गतिविधियों का सूचकांक अप्रैल माह में 50 अंक से ऊपर रहा है. सूचकांक 50 अंक के उपर वृद्धि का संकेत देता है, जबकि इससे नीचे रहने पर गिरावट दर्शाता है. इस लिहाज से अप्रैल में लगातार तीसरे माह वृद्धि का रख रहा, लेकिन वृद्धि की दर कमजोर पड़ी है.

आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री और रिपोर्ट की लेखिका पॉलियाना डे लिमा ने कहा कि भारतीय सेवा क्षेत्र के बारे में पीएमआई के अप्रैल आंकड़ों से पता चलता है कि मौजूदा आर्थिक परिवेश हैरान करने वाला है. इसमें वृद्धि रहने के बावजूद कुछ व्यावसायिक क्षेत्रों में चिंता बढ़ी है. नोटबंदी के दौरान तीन महीने गिरावट में रहने के बाद फरवरी से भारतीय सेवा क्षेत्र में वृद्धि का रख बना था.

लीमा ने कहा कि गतिविधियां धीमी रहीं और नये कामकाज और गतिविधियों में मामूली वृद्धि ही रही. भविष्य के लिए भी सेवा क्षेत्र की कंपनियों की उम्मीद कुछ कमजोर पड़ी है. वे अब सतर्कता के साथ भविष्य के प्रदर्शन को लेकर आशावान हैं. लीमा ने कहा कि ताजा परिणाम संकेत देते हैं कि नोटबंदी के बाद सुधार का रास्ता अभी भी काफी उबड़-खाबड़ बना हुआ है. यह बताता है कि सेवा क्षेत्र अभी भी संकटपूर्ण स्थिति से बाहर नहीं निकला है.

इस बीच विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में भी रफ्तार धीमी पडी है. मार्च के बाद से निजी क्षेत्र में गतिविधियों की वृद्धि रफ्तार हल्की पड़ी है. मौसमी आधार पर समायोजित निक्केई इंडिया कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स अप्रैल में 51.3 अंक रहा. इससे पिछले महीने मार्च में यह 52.3 अंक पर था. मूल्य के मोर्चे पर औसत इनपुट लागत मुद्रास्फीति मार्च के नौ माह की ऊंचाई से कुछ कमजोर पड़ी है. इस दौरान जहां एक तरफ ईंधन के दाम में गिरावट की रिपोर्ट थी. वहीं, ट्रक हड़ताल की वजह से परिवहन लागत कुछ ऊंची रही.

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