नयी दिल्ली : सरकार ने कालाधन रखने वालों को एक और मौका देते हुए नोटबंदी के बाद जमा राशि की घोषणा पर कर, जुर्माना तथा अधिभार के रूप में कुल 50 प्रतिशत वसूली का प्रस्ताव आज संसद में किया. सरकार ने यह भी प्रस्ताव किया है कि इस अवधि में धन जमा कराने वालों के बारे में यदि यह सबित हुआ कि उन्होंने काला धन रखा है तो उनसे अधिक ऊंची दर और कड़े जुर्माने के साथ कुल 85 प्रतिशत की दर से वसूली की जाएगी.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आयकर कानून में संशोधन के लिए लोकसभा में एक विधेयक पेश किया जिसमें यह भी प्रावधान है कि घोषणा करने वालों को अपनी कुल जमा राशि का 25 प्रतिशत सरकार द्वारा लायी जा रही एक ‘गरीबी-उन्मूलन योजना’ में निवेश करना होगा पर इस योजना में लगाए गए पैसे पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा. साथ ही इस राशि को चार साल तक नहीं निकाला जा सकेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के नोट पर पाबंदी की घोषणा के करीब तीन सप्ताह बाद विधेयक लाया गया है. सरकार का कहना है कि जो लोग गलत तरीके से कमाई गई राशि अपने पास 500 और 1,000 के पुराने नोट में दबाकर रखे हुए थे और जो उसकी घोषणा करने का विकल्प चुनते हैं, उन्हें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण (पीएमजीके) योजना 2016 के तहत इसका खुलासा करना होगा. उन्हें अघोषित आय का 30 प्रतिशत की दर से कर भुगतान करना होगा.
इसके अलावा अघोषित आय पर 10 प्रतिशत जुर्माना लगेगा. साथ ही पीएमजीके उपकर नाम से 33 प्रतिशत अधिभार (30 प्रतिशत का 33 प्रतिशत) लगाया जाएगा. इसके अलावा, घोषणा करने वालों को अघोषित आय का 25 प्रतिशत उस योजना में लगानी होगी जिसे सरकार रिजर्व बैंक के साथ विचार कर अधिसूचित करेगी.
विधेयक के उद्देश्य और कारणों के बारे में कहा गया है कि न्याया और समानता की दृष्टि से इस योजना में आयी राशि का उपयोग सिंचाई, आवास, शौचालय, बुनियादी ढांचा, प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य तथा आजीविका जैसी परियोजनाओं में किया जाएगा.
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार जो लोग अघोषित नकदी के साथ पकड़े जाते हैं, उन पर 60 प्रतिशत की उंची दर से कर और उस पर 25 प्रतिशत अधिभार लगाया जाएगा. इस प्रकार, कुल कर 75 प्रतिशत बनता है. इसके साथ कर अधिकारी अधिकारी को उचित लगता है तो वह 10 प्रतिशत जुर्माना भी लगा सकता है. आय को कम दिखाये जाने पर 50 प्रतिशत तथा गलत जानकारी देने पर 200 प्रतिशत कर लगाने का वर्तमान प्रावधान बना रहेगा और उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है.
कराधान कानून (दूसरा संशोधन विधेयक), 2016 शीर्षक इस विधेयक के माध्यम से आयकर कानून की धारा 115बीबीई में संशोधन का प्रस्ताव करता है. यह धारा ऐसे कर्जों, निवेश, नकद धन तथा अन्य संपत्ति पर दंडात्मक कर, अधिभार तथा जुर्माने से संबंधित है जिनको लेकर कोई हिसाब न सफाई न दी जा सके. ऐसे मामलों में मौजूदा 30 प्रतिशत कर के साथ अधिभार और उपकर के प्रावधान के विपरीत ऐसी संशोधन के जरिए 60 प्रतिशत की उच्च दर से कर लगाने का प्रस्ताव किय गया है. साथ ही कर का 25 प्रतिशत अधिभार (आय का 15 प्रतिशत) देना होगा. इस प्रकार, कुल कर भार 75 प्रतिशत होगा. इसमें खर्च, कटौती आदि काटने की अनुमति नहीं होगी.
साथ ही आकलन अधिकारी 10 प्रतिशत अतिरिक्त जुर्माना लगा सकता है. इससे आय के बारे में जानकारी नहीं देने पर 85 प्रतिशत कर लगेगा. तलाशी और जब्ती में जुर्माने के लिये मौजूदा प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव है ताकि अगर आय को स्वीकार कर लिया जाता है और उसका ब्योरा दाखिल कर दिया जाता है और कर का भुगतान किया जाता तो ऐसे मामलों में कर की दर 30 प्रतिशत का जुर्माना लगाया जाएगा. अन्य मामलों में यह जुर्माना 60 प्रतिशत की दर से होगा.
फिलहाल अगर आय को स्वीकार कर के और रिटर्न भर कर उस पर कर चुकाया जाता है तो तो जुर्माना 10 प्रतिशत है. अन्य सभी मामलों में जुर्माना 60 प्रतिशत होगा. नयी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 50 प्रतिशत कर, अधिभार और जुर्मान के अलावा घोषित आय का एक चौथाई चार साल के लिये ब्याज मुक्त जमा योजना में लगाया जाएगा.
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि हतोत्साह करने वाले प्रावधान जरुरी हैं ताकि लोगों के मन में कालाधन रखने को लेकर भय हो. उन्होंने कहा, ‘‘पीएमजीकेवाई में घोषणा से यह सुनिश्चित होगा कि कोष के स्रोत के बारे में कुछ नहीं पूछा जाएगा. यह संपत्ति कर, दिवाली कानून तथा कर से जुडे अन्य कानून से छूट प्रदान करेगा. लेकिन फेमा, पीएमएलए, नारकोटिक्स और कालाधन कानून से कोई छूट नहीं मिलेगी.’
अधिया ने कहा कि जो भी जमा 10 नवंबर के बाद किया गया है, वह पीएमजीकेवाई के अंतर्गत आएगा. अंतिम तारीख अब विधेयक के पारित होने के बाद अधिसूचित करेंगे लेकिन यह संभवत: 30 दिसंबर हो सकता है. पीएमजीकेवाई वित्त कानून 2016 के नये अध्याय नौ में आएगा.
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