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मार्च से लघु एवं मझोले उद्यमियों को आसानी से मिल सकेगा कर्ज, बैंकिंग सिस्टम में 1.6 लाख करोड़ रुपये डालेगा RBI

मुंबई : बैंकों में नकदी समस्या से निपटने के लिए रिजर्व बैंक को आगामी चौथी तिमाही में खुले बाजार परिचालन (ओएमओ) के जरिये 1,60,000 करोड़ रुपये और बैंक प्रणाली में डालने पड़ सकते हैं. बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल) ने बुधवार को एक रिपोर्ट में यह कहा. वैश्विक निवेश कंपनी ने यह भी कहा […]

मुंबई : बैंकों में नकदी समस्या से निपटने के लिए रिजर्व बैंक को आगामी चौथी तिमाही में खुले बाजार परिचालन (ओएमओ) के जरिये 1,60,000 करोड़ रुपये और बैंक प्रणाली में डालने पड़ सकते हैं. बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल) ने बुधवार को एक रिपोर्ट में यह कहा. वैश्विक निवेश कंपनी ने यह भी कहा कि मंगलवार को ओएमओ के जरिये 40,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का निर्णय मौजूदा नकदी समस्या का हल करने के लिए संभवत: पर्याप्त नहीं होगा. नकदी की कमी लगभग 1,00,000 करोड़ रुपये की है. इससे लघु एवं मझोले उद्योगों को आसानी से कर्ज उपलब्ध हो सकेगा.

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रिपोर्ट के मुताबिक कि हमारा नकदी मॉडल अनुमान बताता है कि आरबीआई को मार्च तिमाही में 1,60,000 करोड़ रुपये या 22 अरब डॉलर के ओएमओ की जरूरत होगी. यह हमारे उस अनुमान की पुष्टि करता है, जिसमें कहा गया था कि सरकारी प्रतिभूतियों के बाजार में मांग मार्च तक अधिक होगी. मुद्रा बाजार में पहले से ही 1,00,000 करोड़ रुपये का घाटा है और अग्रिम कर भुगतान के बाद यह दिसंबर में 1,40,000 करोड़ रुपये हो सकता है.

बोफोएमएल के अनुसार, अगर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का पूंजी प्रवाह कमजोर रहता है, तो आरबीआई द्वारा नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में एक फीसदी की कटौती से इनकार नहीं किया जा सकता. रिपोर्ट के अनुसार, सीआरआर में कटौती यदि होती है, तो बैंक प्रणाली में करीब 1,20,000 करोड़ रुपये आयेगा. इससे आरबीआई के लिए ओएमओ के जरिये 40,000 करोड़ रुपये डालने की ही जरूरत होगी. सीआरआर के तहत वाणिज्यिक बैंकों को न्यूनतम राशि आरबीआई के पास आरक्षित जमा के तौर पर रखनी होती है. फिलहाल, यह 4 फीसदी है.

बोफाएमएल ने कहा कि तात्कालिक सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए नियम) को अगर हल्का किया जाता है. इससे लघु एवं मझोले उद्यमों के लिए कर्ज प्रवाह बढ़ेगा. हालांकि, यह तभी होगा, जब पर्याप्त नकदी हो. सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों में 11 बैंक आरबीआई के पीसीए मसौदे के दायरे में है. इससे उनकी कर्ज देने की क्षमता और विस्तार गतिविधियां सीमित होती हैं.

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