22.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

NDA में फंस गया था सीटों पर पेच, फिर एंट्री हुई BJP के इस नेता की और मान गए चिराग 

NDA: बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले बताते हैं कि जब कई दौर की बातचीत के बाद भी चिराग पासवान नहीं माने और बैठक बेनतीजा रही. तब बीजेपी के संकटमोचक कहे जाने वाले धर्मेंद्र प्रधान सीट समझौते के लिए चिराग के घर गए और देर रात बैठक करके लोजपा प्रमुख को मनाने में कामयाब हो गए.

NDA: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही NDA में शामिल पार्टियों ने अपने लिए ज्यादा से ज्यादा सीटों के लिए बीजेपी और जेडीयू पर दबाव बनाना शुरु कर दिया. सूत्र बताते हैं कि लोजपा (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने अपने लिए 40 सीटों की मांग की. वहीं, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नेताओं ने 15-15 सीटों की मांग की. ऐसे में उन्हें मनाने के लिए बीजेपी के कई नेताओं ने  पटना से लेकर दिल्ली तक कई स्तर की बैठकें की. इसका असर ये हुआ कि जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा तो मान गए लेकिन चिराग अपनी मांग पर अड़ रहे और उन्हें मनाने के लिए बीजेपी के सबसे बड़े संकटमोचक को खुद आना पड़ा और उनसे बातचीत के बाद चिराग 29 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए मान गए. 

दिल्ली में देर रात हुई बैठक और मान गए चिराग 

सूत्र बताते हैं कि कई दौर की बातचीत के बाद भी जब चिराग पासवान नहीं माने और  बैठक बेनतीजा रही. तब बीजेपी के संकटमोचक कहे जाने वाले धर्मेंद्र प्रधान और भाजपा महासचिव विनोद तावड़े गतिरोध तोड़ने के लिए  पासवान के घर गए.  इस दौरान लंबी चर्चा के बाद धर्मेंद्र प्रधान ने चिराग को 29 सीटों के अंतिम समझौते पर सहमत होने के लिए मना लिया. वहीं, अपनी संयमित बातचीत शैली के लिए जाने जाने वाले धर्मेंद्र प्रधान ने एनडीए के सहयोगियों के साथ कई बैठकें की और फिर रविवार शाम को NDA में सीटें के बंटवारे का एलान हो पाया. 

 पार्टी के लिए निभाते हैं संकटमोचक की भूमिका 

 शांत स्वभाव और तेज राजनीतिक समझ रखने वाले प्रधान को भाजपा का भरोसेमंद संकटमोचक माना जाता है, जिन्हें अक्सर तब जिम्मेदारी सौंपी जाती है जब पार्टी के लिए हालात कठिन होता है. इस बार भी, बतौर बिहार चुनाव प्रभारी, उनकी भूमिका सिर्फ गठबंधन में कार्डिनेशन बनाने तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने गठबंधन में बैलेंस  रखने में निर्णायक भूमिका निभाई. 

बिहार की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें

धर्मेंद्र प्रधान का बिहार से पुराना और असरदार नाता रहा है. 2010 में एनडीए की ऐतिहासिक जीत (243 में से 206 सीटें) हो या 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का बेहतरीन प्रदर्शन (40 में से 31 सीटें), इन सभी में उनकी रणनीतिक समझ की गहरी छाप देखी जा सकती है. बिहार के अलावा भी वे कई राज्यों में पार्टी को बड़ी जीत दिला चुके हैं. उत्तर प्रदेश (2022) में लगातार दूसरी बार सत्ता, हरियाणा (2024) में एंटी-इनकंबेंसी के बावजूद तीसरी बार सरकार बनवाना, उत्तराखंड (2017) में सत्ता में वापसी, और पश्चिम बंगाल (2021) में नंदीग्राम सीट पर जीत दर्ज कराना उनकी बड़ी उपलब्धि रही है. इसके साथ ही 2024 में उन्होंने अपने गृह राज्य ओडिशा में सरकार बनाकर बीजेपी नेतृत्व में अपना भरोसा बनाए रखा.

इसे भी पढ़ें: Bihar Elections 2025: बिहार की इस सीट पर कभी नहीं जीती JDU, 2010 में भाजपा को मिली थी आखिरी जीत

Prashant Tiwari
Prashant Tiwari
प्रशांत तिवारी डिजिटल माध्यम में पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में एक्टिव हैं. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी से करके राजस्थान पत्रिका होते हुए फिलहाल प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम तक पहुंचे हैं, देश और राज्य की राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखते हैं. साथ ही अभी पत्रकारिता की बारीकियों को सीखने में जुटे हुए हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel