Bihar Elections 2025: बिहार में पिछले दो दशक से NDA की सरकार है. ऐसे में सूबे की लगभग सभी सीटों पर कभी न कभी बीजेपी या जेडीयू के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. लेकिन सूबे में कुछ ऐसी भी सीटें हैं जहां जेडीयू को आज तक जीत नहीं मिली है. इन्हीं में से एक सीट लखीसराय जिले की सूर्यगढ़ा विधानसभा सीट है. यह सीट मुंगेर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह विधानसभा क्षेत्र तीन प्रखंडों पिपरिया, सूर्यगढ़ा और चानन से मिलकर बना हुआ है.
2020 में JDU को मिली थी हार
1990 तक सूर्यगढ़ा विधानसभा सीट पर कांग्रेस और वाम दलों (मुख्य रूप से सीपीआई) को जीत मिलती रही है. दोनों ही पार्टियों ने यहां चार-चार बार चुनावी जीत दर्ज की है. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में इस सीट से राजद के टिकट पर प्रहलाद यादव ने जेडीयू के रामानंद मंडल को हराकर जीत हासिल की. प्रहलाद यादव सूर्यगढ़ा के प्रमुख नेताओं में गिने जाते हैं और अब तक इस क्षेत्र से पांच बार विधायक रह चुके हैं. हालांकि अब वह बीजेपी के साथ हैं.
आखिरी बार 2010 में BJP को मिली थी जीत
जेडीयू इस सीट पर कभी भी जीत दर्ज नहीं कर सकी है. हालांकि, 2005 और 2010 में प्रेम रंजन पटेल ने भाजपा को इस क्षेत्र में जीत दिलाई थी, जिससे यहां पार्टी की पकड़ बनी. हालांकि 2024 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन का साथ छोड़ NDA में आए तो सूर्यगढ़ा के विधायक प्रहलाद यादव NDA में शामिल हो गए.
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शेरशाह सूरी और हुमायूं के बीच यहां हुआ था युद्ध
सूर्यगढ़ा क्षेत्र का इतिहास कहता है कि यह स्थान 1534 में शेरशाह सूरी और हुमायूं के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध का स्थल था. इस युद्ध में शेरशाह सूरी ने हुमायूं को हराकर दिल्ली सल्तनत का शासक बनने में सफलता प्राप्त की थी. इसे ‘सूरजगढ़ा का युद्ध’ के नाम से जाना जाता है. इतिहास के साथ-साथ इस क्षेत्र का धार्मिक महत्व भी कम नहीं है. माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने पास की एक पहाड़ी पर तीन साल तक तपस्या की थी, जिससे बौद्ध धर्म का भी यहां प्रभाव रहा है.
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