Bihar Election 2025| भभुआ, विकास कुमार : रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र को कैमूर जिले में राजनीति की पाठशाला कही जाती है. इसे समाजवाद का गढ़ भी माना जाता है. लेकिन, अब भाजपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से मिल रही कड़ी टक्कर में अब इस गढ़ को बचा पाना राजद के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है. पिछले विधानसभा चुनाव और 2024 में उपचुनाव की तरह इस बार भी भाजपा, बसपा और राजद में कड़ी टक्कर है. 2024 के उपचुनाव की तरह ही इस बार भी भाजपा से निवर्तमान विधायक अशोक कुमार सिंह, बसपा से पूर्व विधायक दिवंगत अंबिका यादव के भतीजे सतीश कुमार सिंह और राजद से पूर्व मंत्री जगदानंद सिंह के बेटे अजित कुमार सिंह हैं.
राजद,भाजपा और जन सुराज ने उतारे हैं राजपूत उम्मीदवार
वहीं, जन सुराज पार्टी से आनंद कुमार सिंह लड़ रहे हैं. राजद, भाजपा व जन सुराज पार्टी तीनों के उम्मीदवार राजपूत जाति हैं, इसलिए इस समुदाय के वोटों में बिखराव तय माना जा रहा है, जिससे बसपा को लाभ मिलता दिख रहा है. हालांकि, राजद मुस्लिम, बिंद और राजद के अन्य आधार वोटों की गोलबंदी कर जीतने का प्रयास कर रहा है. वहीं, भाजपा राजपूत के अलावा भूमिहार, ब्राह्मण, वैश्य, कुशवाहा व अति पिछड़ों के वोटों के आधार पर जीत का दावा कर रही है.
- दो बार से चूक रही बसपा, राजद और भाजपा के लिए बड़ी चुनौती
- पिछले 2 बार से काफी नजदीकी मुकाबले में पराजित हो रही है बसपा
- 19 में 11 बार समाजवादियों ने किया है इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व
सबसे अधिक 45 हजार रविदास वोटर
इस विधानसभा क्षेत्र में कुल दो लाख 77 हजार 873 वोटर हैं. सबसे अधिक करीब 45 हजार रविदास हैं, जो बसपा के कोर वोटर हैं. दूसरे नंबर पर करीब 40 हजार राजपूत हैं. वहीं, तीसरे नंबर पर करीब 30 यादव हैं, जिनके अधिकतर वोट बसपा प्रत्याशियों को मिलने की संभावना जतायी जा रही है. पिछले साल उपचुनाव में राजपूतों के अधिकतर वोट भाजपा को मिले थे. इस बार इनके वोट भाजपा, राजद व जन सुराज में बंटने की संभावना है. हालांकि, एक संभावना यह भी है कि यदि यादव बसपा उम्मीदवार के पक्ष में पूरी तरह से गोलबंद हो गये, तो राजपूतों की भी गोलबंदी भाजपा या राजद के पक्ष में हो सकती है.
बिहार की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
22 हजार मुसलमान वोटर
मुसलमानों की संख्या करीब 22 हजार है. अभी मुसलमान राजद के साथ खड़े नजर आते हैं. लेकिन, यह देखना दिलचस्प होगा कि यदि राजपूत राजद प्रत्याशी को छोड़ कर भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में पूरी तरह गोलंबद हो जाते हैं, तो क्या मुस्लिम राजद के साथ मजबूती से खड़े रहते हैं या भाजपा को हराने के लिए बसपा को रणनीतिक वोट करते हैं. इसके अलावा यहां 18-20 भूमिहार, 17 हजार कुशवाहा, 10 हजार बिंद व करीब 10 हजार वैश्य वोटर हैं.
3 प्रखंडों में बंटी है विधानसभा
यह विधानसभा क्षेत्र तीन प्रखंडों में बांटा है- रामगढ़, दुर्गावती और नुआंव और तीन प्रखंडों में हाल के चुनावों में अलग-अलग वोटिंग पैटर्न देखने को मिला है. दुर्गावती प्रखंड में यादव व रविदास की संख्या अधिक है और यहां पिछले दो चुनावों व पिछले साल उपचुनाव में बसपा को लीड मिली थी. यहीं से बसपा उम्मीदवार आते हैं. इस बार बसपा की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी, वह यहां कितने अंतर से लीड लेती है. रामगढ़ प्रखंड राजपूत बहुल है और इसमें रामगढ़ बाजार भी है. इसी प्रखंड में राजद व भाजपा उम्मीदवार के गांव हैं. पिछले उपचुनाव में भाजपा को यहां लीड मिली थी. इस बार भी उसकी सफलता यहां की मार्जिन पर निर्भर है. वहीं, नुआंव प्रखंड में भूमिहार व अति पिछड़ी जातियों की संख्या अधिक है. यहां भी तीनों दलों-भाजपा, राजद व बसपा में कड़ी टक्कर है.
अहम सवाल : तेजस्वी के नाम राजद का आधार समीकरण एकजुट होगा या बिखर जायेगा?
रामगढ़ सीट समाजवादियों का मजबूत किला था, क्योंकि दो प्रमुख जातियों-यादव व राजपूत के वोटर एक साथ इनके पक्ष में वोट करते थे. राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह छह बार और उनके बेटे सुधाकर सिंह एक बार चुनाव जीत चुके हैं. जगदानंद सिंह से पहले उनके ही बड़े भाई सच्चिदानंद सिंह तीन बार चुनाव जीते थे. लेकिन, 2000 में बसपा के टिकट पर अंबिका यादव के चुनाव लड़ने के कारण इस समीकरण में दरार आयी, जो 2024 के उपचुनाव में और चौड़ी हो गयी. अब देखना है कि तेजस्वी यादव के नाम यह समीकरण फिर एकजुट होता है या बिखरता है.
2020 का विधानसभा चुनाव का रिजल्ट
| उम्मीदवार का नाम | पार्टी का नाम | प्राप्त वोट |
|---|---|---|
| सुधाकर सिंह | राजद | 58083 |
| अंबिका यादव | बसपा | 57894 |
| अशोक कुमार सिंह | भाजपा | 56084 |
| जीत का अंतर | 189 |
2024 में हुए उपचुनाव का रिजल्ट
| उम्मीदवार का नाम | पार्टी का नाम | प्राप्त वोट |
|---|---|---|
| अशोक कुमार सिंह | भाजपा | 62257 |
| सतीश कुमार सिंह | बसपा | 60895 |
| अजीत कुमार सिंह | राजद | 35825 |
| जीत का अंतर | 1362 |
इसे भी पढ़ें
Bihar Elections 2025 : इस बार 56 लाख ज्यादा पड़े वोट, प्रवासी मजदूर और Gen Z बने X फैक्टर?
Bihar Election 2025: सहायता राशि पर बोले नीतीश कुमार- किसी को पैसे लौटाने की जरूरत नहीं
Bihar Election Result: बिहार में रिकार्ड वोटिंग, 25 वर्षों बाद हुआ 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदान

