Bihar Election 2025: पटना. भारत में संसदीय शासन व्यवस्था 1861 के इंडियन काउंसिल एक्ट के तहत लागू हुई. 1892 में भारतीय परिषद अधिनियम के तहत पहली बार केंद्रीय और प्रांतीय विधान परिषदों के लिए चुनाव हुआ. हालांकि, उस चुनाव में भी अधिकतर सदस्य या तो निर्विरोध निर्वाचित हुए या नियुक्त किए गए थे, लेकिन सितंबर 1892 में जहां लोगों को पहली बार वोट डालकर प्रतिनिधि चुनने का मौका मिला वो शहर था पटना. इस एक सीट पर दो उम्मीदवारों ने नामांकन किया था. इस चुनाव में पटना के लोगों ने मतदान कर केंद्रीय परिषद में गैर-सरकारी सदस्यों का चुनाव कर संसदीय इतिहास में एक नया अध्याय लिख दिया. इससे केंद्रीय परिषद में जनप्रतिनिधि की भागीदारी संभव हो सकी. तब से आज तक बिहार में कई चुनाव हो चुके हैं, लेकिन मतदान का प्रतिशत अब तक फिसड्डी ही रहा है. आजादी के बाद जब सभी नागरिकों को वोट का अधिकार मिला, उसके बाद भी यह आंकड़ा 65 प्रतिशत के आंकड़े को नहीं छू पाया है. महज तीन चुनावों में अब तक मतदान का प्रतिशत 60 का आंकड़ा पार किया है.
बूथों तक नहीं पहुंचते आधे से अधिक वोटर
देश में राज्यवार हुए विधानसभा चुनावों में सबसे कम मतदान प्रतिशत वाला राज्य बिहार ही है. गणतंत्र की जननी और राजनीतिक जागरुकता वाले समाज होने के बावजूद बिहार देश का इकलौता राज्य है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में 60 प्रतिशत से कम मतदान हुआ है. 2020 और उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में बिहार छोड़कर सभी राज्यों में 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है. पिछले वर्ष जम्मू व कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव में भी 63.33 प्रतिशत मतदाताओं ने अपनी भागीदारी दी. अब तक 21 राज्यों में 70 प्रतिशत से अधिक और 10 राज्यों में 80 प्रतिशत अधिक मतदान विधानसभा चुनाव में दर्ज किए गए हैं. त्रिपुरा विधानसभा के लिए 2023 में सबसे अधिक 87.45 प्रतिशत मतदान हुआ. बिहार के बाद उत्तर प्रदेश कम मतदान करने वाले राज्यों में शामिल में शामिल है. अन्य राज्यों की अपेक्षा बिहार में वोटरों के बीच मतदान को लेकर उत्सुकता कम देखी गयी है. हाल में हुए SIR के बाद बड़ी संख्या में वोटरों की संख्या कम हुई है. ऐसे में इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद की जा रही हैृ.
सिर्फ तीन बार 60 के पार गया मतदान प्रतिशत
आजादी के बाद हुए चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि 1951 से लेकर अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में सिर्फ 1990, 1995 और 2000 में ही मतदान प्रतिशत का आंकड़ा 60 के पार गया है. 1990 में 62.04, 1995 में 61.79 और 2000 में 62.57 प्रतिशत मतदान हुआ था.
आजादी के बाद कब कितना हुआ मतदान
1951 में 30.51 प्रतिशत
1957 में 41.32 प्रतिशत
1962 में 44.47 प्रतिशत
1967 में 51.51 प्रतिशत
1969 में 52.79 प्रतिशत
1972 में 52.79 प्रतिशत
1977 में 50.51 प्रतिशत
1980 में 57.28 प्रतिशत
1985 में 56.27 प्रतिशत
1990 में 62.04 प्रतिशत
1995 में 61.79 प्रतिशत
2000 में 62.57 प्रतिशत
2005 में 46.19 प्रतिशत
2005 में 45.91 प्रतिशत
2010 में 52.65 प्रतिशत
2015 में 56.66 प्रतिशत
2020 में 56.93 प्रतिशत

