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‘2005 से पहले डराकर लेते थे वोट…’, CM नीतीश ने लालू सरकार पर निशाना साधते हुए 1993 का किया जिक्र

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर अपने शासनकाल की उपलब्धियां गिनाईं. उन्होंने कहा कि 2005 से पहले पिछड़े और वंचित वर्गों के लिए कोई काम नहीं हुआ, जबकि उनकी सरकार ने “न्याय के साथ विकास” के सिद्धांत पर सबके उत्थान का काम किया है.

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को अपने एक्स हैंडल (पूर्व ट्विटर) पर एक विस्तृत पोस्ट जारी कर 19 वर्षों के शासनकाल की उपलब्धियों को गिनाया. उन्होंने बिहार में हुए सामाजिक परिवर्तन और वंचित तबकों के सशक्तिकरण को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. नीतीश ने 2005 से पहले की सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि “तब के दौर में पिछड़े, अतिपिछड़े, दलित-महादलित और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की न तो सुध ली गई, न उन्हें कोई मान-सम्मान या भागीदारी दी गई.”

“2005 से पहले वोट लेते थे डराकर, काम करते थे परिवार के लिए”

मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में लिखा कि 2005 से पहले की सरकारें सिर्फ वोट लेने के वक्त गरीबों के घर पहुंचती थीं, और झूठे वादों के सहारे उन्हें बरगलाया जाता था. नीतीश ने कहा, “वोट के समय डराकर और धमकाकर इन वर्गों से समर्थन लिया जाता था, फिर सत्ता में आने के बाद खुद को मालिक समझने वाले लोग राजनीति में सिर्फ अपने परिवार को आगे बढ़ाने में लग जाते थे.”

“न्याय के साथ विकास” का मंत्र

नीतीश कुमार ने कहा कि 24 नवंबर 2005 को जब राज्य में नई सरकार बनी, तब उन्होंने ‘न्याय के साथ विकास’ की नीति अपनाई और समाज के हर तबके को आगे बढ़ाने का काम शुरू किया. उन्होंने लिखा कि “पूरे बिहार को अपना परिवार मानकर हमने शिक्षा, रोजगार और सम्मान के क्षेत्र में सबका ध्यान रखा है.”

मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में यह भी कहा कि उनके शासन में पिछड़े, दलित और वंचित समाज के युवाओं को शिक्षा और रोजगार के अवसर मिले हैं. छात्र-छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति, छात्रावास और प्रशिक्षण जैसी योजनाएं शुरू की गईं.

“मंडल कमीशन की तर्ज पर साजिश का किया था विरोध”

नीतीश कुमार ने 1993 का एक वाकया भी याद किया जब, उनके अनुसार, “बिहार में अतिपिछड़ों और पिछड़ों को एक ही वर्ग में डालने की साजिश हो रही थी.” उन्होंने कहा कि उस वक्त उन्होंने इसका सख्त विरोध किया था और स्पष्ट किया था कि जननायक कर्पूरी ठाकुर की आरक्षण नीति में छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

आरक्षण और कल्याण योजनाओं का ब्यौरा

नीतीश ने अपनी सरकार की नीतियों का उल्लेख करते हुए बताया कि 2006 में पंचायती राज और नगर निकाय चुनावों में अतिपिछड़ा वर्ग के लिए 20% आरक्षण लागू किया गया. वहीं 2016 में राज्य न्यायिक सेवा की सीधी नियुक्तियों में पिछड़े वर्ग को 12% और अत्यंत पिछड़े वर्ग को 21% आरक्षण का प्रावधान किया गया.

उन्होंने यह भी बताया कि 2007-08 में पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की स्थापना की गई. इसके बजट में वर्षों में भारी वृद्धि हुई. 2008-09 में जहां यह 42.17 करोड़ रुपये था, वहीं 2025-26 में यह बढ़कर 1900 करोड़ रुपये हो गया है.

“हर जिले में जननायक कर्पूरी ठाकुर छात्रावास”

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में जननायक कर्पूरी ठाकुर छात्रावास का निर्माण कराया गया है, जहां लगभग 4,500 छात्र निःशुल्क रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. इसके अलावा 2018 से अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा-अतिपिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए आवासीय विद्यालय, छात्रावास, छात्रवृत्ति और अनाज योजना लागू की गई है.

नीतीश ने कहा कि उनकी सरकार ने सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना, ग्राम परिवहन योजना और उद्यमी योजना के जरिए युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया है.

“हमने समाज के हर तबके को साथ लेकर बढ़ाया बिहार”

अपने संदेश के अंत में नीतीश कुमार ने लिखा कि बिहार में हुए विकास का श्रेय किसी एक वर्ग को नहीं, बल्कि सभी को है. उन्होंने कहा कि “हमने समाज के हर तबके को साथ लेकर आगे बढ़ने का काम किया है। न्याय, सम्मान और विकास की यह यात्रा आगे भी जारी रहेगी.”

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Abhinandan Pandey
Abhinandan Pandey
भोपाल से शुरू हुई पत्रकारिता की यात्रा ने बंसल न्यूज (MP/CG) और दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अनुभव लेते हुए अब प्रभात खबर डिजिटल तक का मुकाम तय किया है. वर्तमान में पटना में कार्यरत हूं और बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को करीब से समझने का प्रयास कर रहा हूं. गौतम बुद्ध, चाणक्य और आर्यभट की धरती से होने का गर्व है. देश-विदेश की घटनाओं, बिहार की राजनीति, और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि रखता हूं. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स के साथ प्रयोग करना पसंद है.

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