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इलेक्‍ट्रिक कार और हाइब्रिड कार की लड़ाई, कौन बनेगा भारत का अगला ऑटो ट्रेंड?

EV Vs Hybrid: भारत में EV (इलेक्ट्रिक कार) और हाइब्रिड कारों की बाजार में तेजी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा- EV इंफ्रास्ट्रक्चर, बैटरी कॉस्ट, सब्सिडी और Hybrid की रेंज + लागत तुलना के साथ जानें कौन बनेगा 2030 तक ऑटो का दमदार ट्रेंड

EV Vs Hybrid: भारत में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में एक नई जंग छिड़ चुकी है- इलेक्ट्रिक (EV) बनाम हाइब्रिड (HEV). जहां सरकारी सब्सिडी, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश और बैटरी टेक्नोलॉजी EV को आगे बढ़ा रहे हैं, वहीं Hybrid कार अपनी बेहतर रेंज, ईंधन की बचत और इंफ्रास्ट्रक्चर की चिंता न होने के कारण अपनी पकड़ बनाए हुए हैं. सवाल यही है- 2030 तक कौन सा प्लैटफॉर्म बाजी मार लेगा?

EV बनाम Hybrid: मार्केट का डेटा क्या कहता है?

भारत में FY25 में EV की बिक्री बढ़कर 1.97 मिलियन यूनिट्स हो गई, जिसमें चार पहिया वाहन भी शामिल हैं. दूसरी ओर, Hybrid कारों की मांग भी मजबूत रही. 2024 के पहले सात महीनों में Hybrid बिक्री 51,897 यूनिट्स, जिसका 27% YoY बढ़ोतरी रही, जबकि BEV (Battery Electric Vehicles) की बिक्री सिर्फ 10% बढ़ी.

EV और Hybrid: तकनीक के मोरचे पर तुलना

EV: चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी आई है- पब्लिक ईवी चार्जिंग स्टेशंस में FY22 से FY25 तक 5 गुना वृद्धि जरूर हुई है, लेकिन अभी भी केवल हर 235 EV पर 1 चार्जर उपलब्ध है. टाटा ने चार्जर्स को दोगुना करने की योजना बनाई है, Maruti ने Fast Charging पॉइंट्स 100 शहरों में लगाने का निर्णय किया है.

Hybrid: हाइब्रिड कारों की लोकप्रियता बढ़ रही है क्योंकि ये पेट्रोल और बैटरी दोनों का उपयोग करती हैं- एक चार्जिंग पर रेंज कितनी मिलेगी, इस बात का डर समाप्त हो रहा है. इंफ्रास्ट्रक्चर की चिंता कम, और शुरुआती लागत भी EV की तुलना में कम है.

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EV बनाम Hybrid: कंज्यूमर किसे चुनें?

सिटी ड्राइव: छोटे शहरों में चार्जिंग नेटवर्क सीमित है, ऐसे में हाइब्रिड बेहतर विकल्प साबित होता है.

लॉन्ग डिस्टेंस ड्राइव (वीकेंड ट्रिप्स, इंटरस्टेट):EVचार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार रहा है, लेकिन हाइब्रिड अभी सुरक्षित और भरोसेमंद विकल्प है.

ओनरशिप का टोटल कॉस्ट: हाइब्रिड में शुरुआती खर्च कम, मेनटेनेंस आसान है. ईवी में लंबी अवधि में खर्च कम होता है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चरल निवेश आवश्यक है.

भविष्य की झलक: 2030 तक कौन बचेगा?

सरकार 2030 तक 30% EV बाजार शेयर पाने पर काम कर रही है. चार्जिंग इन्फ्रा और टेक्नोलॉजी (Fast Charging, Battery swapping) पर काम तेजी से बढ़ रहा है, जिससे EV की स्वीकार्यता और बढ़ेगी.

Hybrid अपने बैलेंस्ड फीचर्स के कारण Bridge Technology की तरह काम कर रहा है, लेकिन जब इंफ्रा बेहतर होगा और बैटरी महंगी नहीं रहेगी, तब EV ही घिरते हुए बाजार को कंट्रोल करेगा.

टॉप पर होगा EV

अभी के लिए Hybrid कार ज्यादा प्रैक्टिकल और आसान विकल्प हैं, खासकर जहां चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर अधूरा है. लेकिन जैसे-जैसे चार्जिंग नेटवर्क मजबूत हो रहा है, EV स्थिर, किफायती और भविष्य की दिशा में बढ़ने वाला विकल्प सिद्ध होगा. 2030 तक भारत में EV स्पष्ट रूप से टॉप पर होगा और हाइब्रिड केवल ट्रांजिशन की सीढ़ी.

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Rajeev Kumar
Rajeev Kumar
राजीव, 14 वर्षों से मल्टीमीडिया जर्नलिज्म में एक्टिव हैं. टेक्नोलॉजी में खास इंटरेस्ट है. इन्होंने एआई, एमएल, आईओटी, टेलीकॉम, गैजेट्स, सहित तकनीक की बदलती दुनिया को नजदीक से देखा, समझा और यूजर्स के लिए उसे आसान भाषा में पेश किया है. वर्तमान में ये टेक-मैटर्स पर रिपोर्ट, रिव्यू, एनालिसिस और एक्सप्लेनर लिखते हैं. ये किसी भी विषय की गहराई में जाकर उसकी परतें उधेड़ने का हुनर रखते हैं. इनकी कलम का संतुलन, कंटेंट को एसईओ फ्रेंडली बनाता और पाठकों के दिलों में उतारता है. जुड़िए [email protected] पर

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