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रांची : लंबे समय तक आंतक का पर्याय बन चुके कुंदन पाहन को आज पुलिस ने सामने लाया.एडीजी अभियान आर के मल्लिक के समक्ष कुंदन पाहन ने सरेंडर किया. कुंदन को पुलिस ने 15 लाख का चेक सौंपा. रांची में डीआईजी कार्यालय परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में कुंदन पाहन ने आत्मसमर्पण किया. मौके पर रांची के DIG अमूल वेणुकांत होमकर ने कहा कि नक्सली हिंसा के रास्ता छोड़कर मुख्यधारा से जुड़े, नहीं तो पुलिस की गोली खाने के लिए तैयार रहे झारखण्ड पुलिस के ‘नई दिशा, एक नयी पहल’ के आत्मसमर्पण समारोह में अपर पुलिस महानिदेशक संजय लाटेकर, एसएसपी कुलदीप द्विवेदी, ग्रामीण एसपी राजकुमार लकड़ा इत्यादि पुलिस के कई अन्य वरीय पदाधिकारी उपस्थित थे.
कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन के सिर पर था 15 लाख का इनाम
कुंदन पाहन ने क्या कहा
आत्मसमर्पण के बाद कुंदन पाहन ने कहा कि मैंने जो भी किया वह गलत था. इस बात की प्रायश्चित के लिए आया हूं. मुझे सुधरने का मौका दें. कुंदन पाहन ने कहा कि आज तक जो भी घटना घटी , प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जो भी घटनाएं मेरी नेतृत्व में घटी है, उस गलती को स्वीकारता हूं. डर से नहीं बल्कि आत्मग्लानि से मैं यहां आया हूं.
कौन है कुंदन पाहन
बैंक के कैश वैन समेत पांच करोड़ रुपये की लूट, डीएसपी प्रमोद कुमार सिंह समेत छह पुलिसकर्मियों की हत्या और विधायक रमेश सिंह मुंडा की हत्या की घटना के बाद दहशत का माहौल बन गया था. बुंडू, तमाड़ और अड़की इलाके में कुंदन पाहन का आतंक पुलिस के सिर चढ़ कर बोलने लगा था. वह वक्त था वर्ष 2008 का.
रांची-टाटा रोड पर सफर के दौरान लोग दहशत में रहते थे. रात में वाहनों के चक्के थम जाते थे. शाम ढलते ही बुंडू-तमाड़ के बाजार बंद हो जाते थे. हालात ऐसे बने हुए थे कि अगर किसी राजनेता या डीजीपी समेत अन्य पुलिस अफसर को सड़क मार्ग से जमशेदपुर जाना होता था, तो टाटा रोड में सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती करनी पड़ती थी. नामकुम के बाद से तमाड़ थाना क्षेत्र की सीमा तक जगह-जगह फोर्स की तैनाती की जाती थी. तब इस बात की आशंका रहती थी कि कुंदन पाहन का दस्ता रोड पर आकर किसी वीवीआइपी पर फायरिंग न कर दे.वर्ष 2009 में स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार का अपहरण कर हत्या किये जाने की घटना ने पुलिस विभाग को सकते में डाल दिया था. तब पुलिस मुख्यालय की तरफ से कई कदम उठाये गये थे.
आइपीएस प्रवीण सिंह को रांची का एसएसपी बनाया गया. तैमारा घाटी, अड़की व बुंडू के सुदूर गांवों में सीआरपीएफ का कैंप खोला गया. इसके बाद पुलिस ने बुंडू, तमाड़, राहे और अड़की इलाके में कुंदन पाहन के दस्ते के खिलाफ लगातार कई बड़े अभियान चलाये. कई बार चार-चार घंटे तक पुलिस व कुंदन पाहन के दस्ते के बीच मुठभेड़ हुई. पुलिस ने अड़की व बुंडू इलाके में कई सभाएं की. जिसमें शामिल होनेवाले ग्रामीणों की कुंदन पाहन ने हत्या कर दी. इस कारण कुंदन पाहन को ग्रामीणों का सहयोग मिलना बंद हो गया.
इस दौरान कुंदन पाहन और संगठन के शीर्ष नेताओं के बीच भी अनबन की खबरें आने लगीं. वर्ष 2011 में पुलिस को यह खबर भी मिली कि भाकपा माओवादी संगठन ने कुंदन पाहन से रिश्ता तोड़ लिया है. इसके बाद कई तरह की दूसरी खबरें भी पुलिस को मिलीं. जिसमें कुंदन पाहन के गंभीर रूप से बीमार होने से लेकर उसकी मौत हो जाने तक की खबरें शामिल हैं. लेकिन संगठन से निकाले जाने के बाद कुंदन पाहन किस हाल में था, इसकी कोई पक्की सूचना पुलिस को कभी नहीं मिली. न ही पुलिस अब तक उसकी कोई तसवीर हासिल कर पायी.