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थाईलैंड के वैज्ञानिकों ने खोजी दुनिया की सबसे दुर्लभ चीज, जो पाई जाती है सिर्फ 3 लोगों में, जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान!

Thailand Scientists Discovered World Rarest Thing: थाईलैंड के वैज्ञानिकों ने खोजा दुर्लभ B(A) रक्त समूह, जो दुनिया में केवल 0.00055% लोगों में पाया जाता है. जानें रक्त समूह कैसे बनते हैं, B(A) का रहस्य और अन्य अनोखे रक्त प्रकार जैसे CRIB और Gwada-नेगेटिव, जो ट्रांसफ्यूजन के लिए चुनौतियां और नई संभावनाएं पेश करते हैं.

Thailand Scientists Discovered World Rarest Thing: रक्त समूहों की जानकारी हम सभी जानते हैं A, B, AB और O, साथ में Rh फैक्टर, यानी पॉजिटिव या नेगेटिव. लेकिन थाईलैंड के वैज्ञानिकों ने इसे और दिलचस्प बना दिया है. उन्होंने 5,44,000 से ज्यादा रक्त नमूनों की जांच की और तीन ऐसे लोगों को पाया जिनका रक्त समूह B(A) है. इनमें एक मरीज और दो रक्तदाता हैं. ये बहुत ही दुर्लभ हैं और केवल 0.00055 प्रतिशत लोगों में पाए जाते हैं.

Thailand Scientists Discovered World Rarest Thing:रक्त समूह कैसे तय होते हैं?

रक्त समूह एंटीजन यानी प्रोटीन, शुगर या लिपिड पर निर्भर करते हैं. ये हमारे शरीर में किसी अजनबी तत्व को पहचानते हैं और इम्यून सिस्टम को प्रतिक्रिया देने पर मजबूर करते हैं. A-एंटीजन में प्रमुख शुगर होती है N-एसीटाइलगैलैक्टोसामाइन. B-एंटीजन में प्रमुख शुगर होती है D-गैलैक्टोज. AB में दोनों एंटीजन मौजूद होते हैं. O पॉजिटिव में Rh फैक्टर होता है. O नेगेटिव में न A, न B, और न ही Rh(D) एंटीज़न होता है. सफल रक्त संक्रमण के लिए दाता और प्राप्तकर्ता के एंटीजन मेल खाने चाहिए. इसलिए O-नेगेटिव को यूनिवर्सल डोनर कहा जाता है. ये सब जानकारी ABO जीन में, जो नौवें क्रोमोसोम पर स्थित है, कोडित होती है.

Thailand Scientists Discovered World Rarest Thing :B(A) रक्त समूह क्या है?

B(A) रक्त समूह ABO जीन का म्यूटेशन है. शोधकर्ताओं ने इन तीन लोगों में ABO जीन के चार अलग-अलग वैरिएंट पाए. ये वैरिएंट उस एंजाइम (ग्लाइकोसिलट्रांसफरेज) को बदल देते हैं, जो लाल रक्त कोशिकाओं में एंटीजन बनाता है. इसका मतलब है कि इन लोगों की लाल रक्त कोशिकाएं मुख्य रूप से Type B की तरह दिखती हैं, लेकिन इसमें A-एंटीजन के छोटे-छोटे निशान भी मौजूद हैं. इसलिए इनका रक्त A, B, AB या O किसी के साथ भी सुरक्षित रूप से ट्रांसफ्यूज नहीं किया जा सकता.

अन्य दुर्लभ रक्त समूह

कुछ रक्त समूह दुनिया में बहुत ही कम पाए जाते हैं. उदाहरण के लिए समझें जैसे कि O-नेगेटिव केवल 7 प्रतिशत आबादी में मिलता है. केवल 50 लोग ही Rh-नेगेटिव हैं, जिनमें Rh एंटीजन बिल्कुल नहीं होता. 2025 में 38 वर्षीय महिला, कोलार, बेंगलुरु में रक्त समूह CRIB पाया गया. उसी वर्ष, यूरोप में एक व्यक्ति का Gwada-नेगेटिव रक्त पाया गया, इतना अनोखा कि कोई संगत दाता मौजूद नहीं है.

वैज्ञानिकों के अनुसार, इन दुर्लभ रक्त समूहों की खोज हमें आनुवंशिकी की जटिलताओं समझने में मदद करती है. साथ ही, ये रक्त दान और ट्रांसफ्यूजन के क्षेत्र में नई चुनौतियां और संभावनाएं भी सामने लाती हैं.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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