Lithuania emergency balloon intrusions from Belarus: आसमान में उड़ा गुब्बारा और देश में लग जाए आपातकाल. सुनने में अजीब लगता है, लेकिन जिस देश की उत्तर से दक्षिण तक की सीमा 276 किमी और पूर्व से पश्चिम तक की दूरी 373 किमी हो, वह जरूर सहम जाएगा. और अगर वह रूस के अगल-बगल हो तो उसकी सांसे तो और भी फूल जाएंगी. रूस के कलिनिनग्राद सीमा से लगे लिथुआनिया की सरकार ने देशभर में ‘नेशनवाइड इमरजेंसी सिचुएशन’ लागू कर दी है. इसकी वजह है बेलारूस की ओर से लगातार भेजे जा रहे मौसम जांच वाले गुब्बारे, जिनका उपयोग सिगरेट की तस्करी के लिए किया जा रहा है. बेलारूस में तस्कर अब ड्रोन की जगह गुब्बारों से ड्रग्स और सिगरेट भेज रहे हैं, क्योंकि गुब्बारे ड्रोन से काफी सस्ते हैं और पकड़ में आना भी कठिन होता है. लिथुआनिया के अधिकारियों का कहना है कि इस साल अब तक करीब 600 तस्करी से जुड़े गुब्बारे और लगभग 200 ड्रोन देश के हवाई क्षेत्र में घुस चुके हैं, जिनकी वजह से विलनियस हवाईअड्डे को कई बार बंद करना पड़ा.
लिथुआनिया की प्रधानमंत्री इंगा रुगीनियेने ने इन गुब्बारों के प्रवेश की निंदा करते हुए कहा कि ये देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक उड्डयन के लिए खतरा हैं. लिथुआनिया की यह “आपात स्थिति” पूर्ण आपातकाल से एक स्तर नीचे है. कई मौकों पर ये गुब्बारे विमानों के लैंडिंग रूट में आ गए, जिसके चलते विल्नियस इंटरनेशनल एयरपोर्ट को बार-बार बंद करना पड़ा. अक्टूबर के बाद से एयरपोर्ट को 60 घंटे से अधिक समय के लिए रोकना पड़ा और 30,000 से अधिक यात्रियों की उड़ानें प्रभावित हुईं.
क्यों खतरनाक है ये गुब्बारे?
इस साल लिथुआनियाई अधिकारियों ने 600 से ज्यादा गुब्बारे पकड़े हैं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 966 था. मौसम गुब्बारे लगभग 10 किलोमीटर (6 मील) की ऊंचाई तक जा सकते हैं. यानी सीधे उस लेवल तक, जहां विमान उड़ान भरते और उतरते हैं. ऐसे में अगर कोई भी गुब्बारा यदि यात्री विमान से टकरा जाए तो बड़ा हादसा हो सकता है. इसी जोखिम के चलते लिथुआनिया ने इसे केवल तस्करी नहीं, बल्कि सुरक्षा पर सीधा हमला मानकर देशभर में आपात स्थिति जैसे कदम लागू किए हैं. लिथुआनिया के आंतरिक मंत्रालय के अनुसार, इन गुब्बारों के कारण अक्टूबर से अब तक विलनियस एयरपोर्ट को 60 घंटे से अधिक समय के लिए बंद रखना पड़ा. सिर्फ अक्टूबर में ही लगभग 30,000 यात्री प्रभावित हुए.
बेलारूस ने जिम्मेदारी से किया इंकार
उधर, बेलारूस के नेता अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने इन गुब्बारों में अपने देश की किसी भी भूमिका से इंकार किया और लिथुआनिया पर मामले को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा- यह असंभव है. अगर गुब्बारे वहां पहुंचे भी हों, तो भी पायलटों से बात की है. वे कहते हैं कि इनसे कोई खतरा नहीं होता. सवाल यह है कि आखिर क्यों? क्या वे हमसे लड़ना चाहते हैं? हमें युद्ध नहीं चाहिए और मुझे भरोसा है कि लिथुआनियाई जनता भी युद्ध नहीं चाहती, न ही पोलिश, लातवियाई या एस्टोनियाई लोग.लिथुआनिया और बेलारूस के बीच सीमा को लेकर तनाव नया नहीं है. 2021 में भी लिथुआनिया ने सीमा पर आपातकाल लागू किया था. उसने आरोप लगाया था कि बेलारूस जानबूझकर प्रवासियों को उसकी सीमा की ओर धकेल रहा है.
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लिथुआनिया ने लगाया गंभीर आरोप
वहीं इसके उलट लिथुआनिया के राष्ट्रपति गितानस नाउसैदा का कहना है कि उनके पास पर्याप्त प्रमाण हैं कि यह कार्रवाई जानबूझकर अस्थिरता फैलाने की रणनीति का हिस्सा है. पिछले हफ्ते लिथुआनिया की प्रधानमंत्री ने कहा कि यह केवल तस्करी का मामला नहीं है, बल्कि इससे अंतरराष्ट्रीय कानून और विमानन सुरक्षा सीधे प्रभावित हो रही है. ऐसी कार्रवाइयों को आतंकवाद के रूप में भी मान्यता दी जा सकती है. तनाव इतना बढ़ गया कि लिथुआनिया ने अक्टूबर में बेलारूस से लगी अपनी दो सीमा चौकियों को बंद कर दिया. इसके जवाब में बेलारूस ने लिथुआनियाई मालवाहक वाहक ट्रकों को अपनी सड़कों में प्रवेश करने से रोक दिया.
सेना को अतिरिक्त अधिकार देने का प्रस्ताव
लिथुआनियाई सरकार ने संसद से अनुरोध किया है कि आपात स्थिति के दौरान सेना को पुलिस, बॉर्डर गार्ड और सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने की अनुमति दी जाए. अगर संसद मंजूरी देती है, तो सेना को किसी इलाके में आने-जाने पर रोक लगाने, वाहनों को रोककर जांच करने, लोगों व उनके दस्तावेजों की तलाशी, संदिग्धों को हिरासत में लेने और जरूरत पड़ने पर बल का प्रयोग करने के अधिकार मिल जाएंगे. ये अधिकार तब तक लागू रहेंगे, जब तक सरकार स्थिति को सामान्य घोषित नहीं कर देती.
EU की प्रतिक्रिया- ‘हाइब्रिड वॉर’
लुकाशेंको रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी सहयोगी हैं. देश में 2022 में रूस के यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने के आक्रमण के बाद राज्य स्तरीय आपातकाल घोषित किया गया था. यूरोप वैसे भी यूक्रेन युद्ध की वजह से पहले ही रूस के खिलाफ है. इस घटना के बाद से यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने भी हालात को गंभीर बताते हुए कहा कि बेलारूस द्वारा किए जा रहे ये गुब्बारा घुसपैठ ‘हाइब्रिड अटैक’ जैसी हैं. उन्होंने यह बयान लिथुआनिया के राष्ट्रपति नौसेदा से मुलाकात के दौरान दिया. वहीं EU अब बेलारूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों पर काम कर रहा है. ब्रसेल्स में बेलारूस के प्रतिनिधि को तलब कर कड़ी चेतावनी भी दी गई है.
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