Russia on US National Security Strategy: अमेरिका ने अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति पेश कर दी. इसमें उसने चीन को नंबर 1 दुश्मन घोषित किया, भारत को साझेदार बताया और रूस के साथ संघर्ष कम करने की कोशिश का जिक्र किया है. नवंबर 2025 National Security Strategy को रिलीज करने के बाद दुनिया भर से प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. यूक्रेन युद्ध को लेकर फिलहाल अमेरिका की आंखों की किरकिरी बने रूस ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. रविवार को क्रेमलिन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस निर्णय पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी. उसने कहा कि अब रूस को प्रत्यक्ष खतरे के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा, यह अच्छी बात है. क्रेमलिन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति की नई जारी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति बड़े पैमाने पर मास्को की अपनी विश्वदृष्टि से मेल खाती है, खासकर इस आकलन से कि यूरोप का प्रभाव घट रहा है.
ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित और लचीले यथार्थवाद (flexible realism) के विचार पर आधारित इस रणनीति दस्तावेज में 19वीं सदी की मोनरो डॉक्ट्रिन को पुनर्जीवित करने की बात कही गई है. इसने पश्चिमी गोलार्ध को अमेरिकी प्रभाव क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया था. इसमें चेतावनी दी गई है कि यूरोप सभ्यतागत मिटने के जोखिम में है, यह दावा किया गया है कि यूक्रेन युद्ध को समाप्त करना अमेरिका की प्राथमिकता है और यह भी कहा गया है कि वाशिंगटन का लक्ष्य मॉस्को के साथ रणनीतिक स्थिरता को पुनर्स्थापित करना है.
नाटो की समाप्ति की उम्मीद पर खुश हुआ रूस
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने राज्य टीवी के पत्रकार पावेल जारूबिन से कहा कि दस्तावेज में बताए गए कई बदलाव हमारी समझ के अनुरूप हैं. उन्होंने उस हिस्से का स्वागत किया, जिसमें नाटो को लगातार विस्तार करने वाले गठबंधन के रूप में देखे जाने की धारणा को समाप्त करने और ऐसी वास्तविकता को रोकने की प्रतिबद्धता जताई गई है. उन्होंने इसे एक सकारात्मक संकेत बताया.
सतर्क रहने की भी दी सलाह
हालांकि पेस्कोव ने रूस को सावधानी बरतने की सलाह भी दी है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी “डीप स्टेट” की सोच ट्रंप से मूल रूप से अलग है. डीप स्टेट शब्द को ट्रंप यह आरोप लगाने के लिए करते रहे हैं कि अमेरिकी नौकरशाही नेतृत्व ऐसे नेताओं को कमजोर करने की कोशिश करती है, जो मौजूदा व्यवस्था को चुनौती देते हैं. इसमें ट्रंप भी शामिल हैं, जो इसका निशाना बने हैं.
क्रीमिया हमले के बाद बदला रूस के प्रति अमेरिका का रुख
2014 में रूस द्वारा क्रीमिया के विलय और 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से, अमेरिकी रणनीतियों ने मास्को को एक हमलावर या खतरे के रूप में परिभाषित किया था, जो युद्ध के बल पर शीत युद्ध के बाद की व्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा था. रूस की स्टेट समाचार एजेंसी TASS से बातचीत में, पेस्कोव ने कहा कि रूस को प्रत्यक्ष खतरे के रूप में दर्शाने के बजाय उसके साथ रणनीतिक स्थिरता के मुद्दों पर सहयोग की बात करना एक सकारात्मक कदम है.
ट्रंप पुतिन की प्रशंसा करते रहते हैं
ट्रंप ने अक्सर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सकारात्मक और प्रशंसात्मक टिप्पणियाँ की हैं, जिसके चलते आलोचक उन पर मॉस्को के प्रति नरम होने का आरोप लगाते रहे हैं. हालांकि उनकी दोनों प्रशासनिक अवधि में रूस पर प्रतिबंध भी लगाए गए थे. यूरोप की प्रमुख शक्तियों के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने बार-बार चिंता जताई है कि ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका यूरोप से मुंह मोड़ सकता है, जबकि यूरोप अपनी सैन्य सुरक्षा के लिए वाशिंगटन पर निर्भर है.
पीस प्लान पास करवाने में जुटे हैं ट्रंप
फिलहाल ट्रंप यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए पीस प्लान लेकर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं. उनके पहले वाले प्लान पर रूस राजी था, लेकिन यूरोप और यूक्रेन की नामंजूरी के बाद यह ठंडे बस्ते में जा रहा था, लेकिन ट्रंप ने अपने दूत विटकॉफ और दामाद कुश्नर को बातचीत के लिए भेजा, ताकि बात बने. हालांकि अभी इस पर कोई सकारात्मक नतीजा रुख नहीं दिखा है.
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