Chinese Laser Air Defense System Failed: सऊदी अरब की सेना ने हाल ही में चीन के लेजर आधारित एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर बेहद कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है. सेना ने इसे बेहद कमजोर और “महाघटिया” करार दिया है. दरअसल, सऊदी अरब उन शुरुआती देशों में शामिल था, जिसने चीन का स्काईशील्ड इंटीग्रेटेड एंटी-ड्रोन सिस्टम खरीदा था. फरवरी 2024 में हुए इस सौदे को लेकर दावा किया गया था कि यह सिस्टम दुश्मन देशों के ड्रोन स्वार्म हमलों को आसानी से नाकाम कर देगा. लेकिन जब इसे वास्तविक परिस्थितियों में टेस्ट किया गया, तो यह सिस्टम पूरी तरह से फेल साबित हुआ.
जानकारी के अनुसार, चीन के इस लेजर एयर डिफेंस सिस्टम में कई अहम हिस्से शामिल हैं. इसमें ड्रोन डिटेक्शन रडार, जैमिंग व्हीकल्स और चीन इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी ग्रुप कॉर्पोरेशन (CETC) का साइलेंट हंटर लेजर डायरेक्टेड एनर्जी वेपन लगाया गया है. दावा किया गया था कि यह सिस्टम हार्ड किल और सॉफ्ट किल दोनों ऑप्शन उपलब्ध कराता है, यानी या तो ड्रोन को सीधा नष्ट कर सकता है या उसे इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के जरिए निष्क्रिय कर सकता है. इस सिस्टम की हर बैटरी में चार वाहन होते हैं 3D TWA रडार, AESA तकनीक वाला 360-डिग्री कवरेज रडार, दो जैमिंग व्हीकल और साइलेंट हंटर लेजर वेपन. लेकिन सऊदी अरब की रेगिस्तानी परिस्थितियों ने इसके तमाम दावों की पोल खोल दी.
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टेस्टिंग के दौरान सबसे अहम हिस्सा, साइलेंट हंटर लेजर, बिल्कुल उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया. सऊदी सेना के एक पूर्व अधिकारी ने खुलासा किया कि इस सिस्टम से किसी ड्रोन को मार गिराने में 15 से 30 मिनट तक लगातार टार्गेटिंग करनी पड़ती थी. इतनी देर में कोई भी हमला एयर डिफेंस सिस्टम को ही ध्वस्त कर सकता है. इसके अलावा, रेगिस्तान की धूल और रेत ने सिस्टम की ऑप्टिकल ट्रैकिंग को बिगाड़ दिया और लेजर बीम की ताकत को काफी कमजोर कर दिया. वहीं, तेज गर्मी ने कूलिंग सिस्टम पर दबाव डालते हुए पावर खपत इतनी बढ़ा दी कि लेजर फायरिंग क्षमता घट गई.
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कहा जा रहा है कि सऊदी सेना इस विफलता से बेहद नाराज है और उसने इस चीनी तकनीक की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए हैं. इससे पहले पाकिस्तान ने भी भारतीय हमलों के दौरान चीनी एयर डिफेंस सिस्टम की असफलता झेली थी. अब सऊदी अरब का अनुभव भी यही बता रहा है कि चीन के हाईटेक हथियारों के दावे असली युद्ध स्थितियों में अक्सर नाकाम हो जाते हैं.
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