Russia offers India Su-57 Fighter Jet: मंगलवार को अमेरिका ने सऊदी अरब के साथ F-35 फाइटर जेट की डील की. हालांकि अभी तक इस पर पूरी जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन इसकी पुष्टि आधिकारिक रूप से व्हाइट हाउस ने कर दी है. यह डील फाइनल हुई, इसके तुरंत बाद रूस ने भारत को Su-57E पर आधारित एक व्यापक पैकेज की पेशकश की है, जिसमें हथियार, लाइसेंस प्राप्त उत्पादन और असीमित तकनीकी हस्तांतरण शामिल है. यह कदम मॉस्को द्वारा नई दिल्ली के साथ अपनी रणनीतिक रक्षा साझेदारी को दोबारा गति देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की भारत यात्रा से पहले की गई यह पेशकश ऐसे समय में की गई है, जब भारत अपनी अगली पीढ़ी की लड़ाकू विमान फ्लीट के विकल्प तलाश रहा है और पश्चिमी साझेदारों की तकनीक साझा न करने की सीमाओं को लेकर असंतोष बढ़ रहा है.
रूस ने दुबई एयर शो में अपने Su-57 लड़ाकू विमान का उन्नत निर्यात संस्करण प्रदर्शित किया है. एयर शो में मौजूद रूसी अधिकारियों ने बताया कि Su-57E अब सीरियल प्रोडक्शन में है और इसे लगातार रूसी एयरोस्पेस फोर्सेज में शामिल किया जा रहा है. इसी विमान को रूस ने भारत को ऑफर किया है, जिसमें न सिर्फ लड़ाकू विमान, बल्कि लंबे समय तक मेंटेनेंस, इंटीग्रेशन सपोर्ट और एयर-लॉन्च्ड हथियारों के दस से अधिक नए तरह का लाइसेंस प्राप्त उत्पादन भी दिया जाएगा. रूस ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि यदि भारत गहरे सहयोग में रुचि दिखाता है तो भारतीय मूल के गोला-बारूद को भी प्रणाली में एकीकृत किया जा सकता है. इस पेशकश में यह प्रस्ताव भी है कि Su-57E की आपूर्ति और उसके बाद भारत में तकनीक के पूर्ण हस्तांतरण के साथ इसका उत्पादन भी किया जाएगा.
रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के अधिकारी ने की पुष्टि
रूस ने 100% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का वह प्रस्ताव दिया है, जिसकी मांग भारत अपनी हर बड़ी रक्षा डील में करता आया है. वियॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार दुबई एयर शो के दौरान रूस की सरकारी हथियार निर्यात एजेंसी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के एक वरिष्ठ प्रतिनिधि ने कहा, “हम रूस में बने Su-57 विमान की आपूर्ति के साथ-साथ भारत में विमान के उत्पादन का आयोजन करने के लिए तैयार हैं, जिसमें तकनीक हस्तांतरण शामिल होगा.” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह पैकेज “पांचवीं पीढ़ी की तकनीकों, इंजनों और अन्य महत्वपूर्ण प्रणालियों के तकनीकी अधिगम” तक विस्तृत है.

रूस के अधिकारी ने इस मामले में मॉस्को की खासियत को रेखांकित किया कि तकनीक हस्तांतरण में विश्वसनीयता, पारदर्शिता और कोई प्रतिबंध या संभावित प्रतिबंध नहीं होगा. उन्होंने इशारा किया कि कुछ साझेदारों के विपरीत, रूस भू-राजनीतिक परिस्थितियों में बदलाव आने पर भी किसी कंपोनेंट या अपग्रेड को रोकेगा नहीं. उन्होंने कहा, “Su-57 का निर्माण करना मतलब सभी महत्वपूर्ण कंपोनेंट का निर्माण करना, बिना इस डर के कि प्रतिबंधों के कारण आपको कुछ नहीं मिल पाएगा.” प्रस्ताव के तहत भारत के कारखानों में “लाइसेंस उत्पादन के स्तर में क्रमिक वृद्धि” और अंततः गहन स्थानीयकरण की योजना है.
भारत-रूस का रक्षा सहयोग है पुराना
वहीं लंबी अवधि में, रूस विमान के संयुक्त विकास का भी प्रस्ताव दे रहा है. अधिकारी ने कहा, “सॉफ्टवेयर सुधारकर और विमान को समग्र रूप से अपग्रेड करके इसके उन्नयन की संभावना है.” उन्होंने इसे 1960 के दशक में MiG-21 के उत्पादन से शुरू हुई साझेदारी का अगला अध्याय बताया. “हम 60 वर्षों के सहयोग को विमान उत्पादन के क्षेत्र में जारी रखने का प्रस्ताव रखते हैं.” भारत के लिए रूस बड़ा सहयोगी रहा है. वहब्रह्मोस जैसी सामरिक परियोजनाएँ चला रहा है और Su-30MKI का भारत में उत्पादन भी करता है. इसके साथ ही भारत के लिए S-400 भी रूस ने ही तैयार किया है.
भारत ने रूस से इतर भी किए रक्षा सौदे
भारत केवल रूस पर ही निर्भर नहीं रहना चाहता. उसने अमेरिकी और फ्रांसीसी रक्षा उत्पादों की ओर भी कदम बढ़ाए हैं. हालांकि भारत के लिए अमेरिका के साथ डील के बावजूद जीई मोटर्स के इंजन को हासिल करना मुश्किल हो रहा है. वहीं हाल ही में डिलीवरी के लिए आ रहे तीन अपाचे हेलीकॉप्टर भी बीते दिनों अमेरिका वापस लौट गए. इसी बीच फ्रांस ने साफरान के साथ फाइटर जेट इंजन की डील करने की कोशिश की है. भारत फ्रांस के साथ पहले ही राफेल का भारी-भरकम सौदा कर चुका है.

Su-57E लड़ाकू विमान के बारे में क्या पता है?
रूस का दावा है कि Su-57E पांचवीं पीढ़ी के सभी मानकों को पूरा करता है. इसमें उच्च प्रतिशत में कॉम्पोजिट सामग्री, रडार-अवशोषक कोटिंग और स्टील्थ बढ़ाने के लिए आंतरिक हथियार बे शामिल हैं. रूस के अनुसार, यह डिजाइन सक्रिय रडार उपयोग के दौरान भी विमान की पहचान को कम करने में सक्षम है, जिसकी पुष्टि वास्तविक युद्ध अभियानों में हुई है.
विमान में लंबी सुपरसोनिक सहनशक्ति, AI-सहायता वाले निर्णय समर्थन के साथ अत्यधिक स्वचालित कॉकपिट और एकीकृत काउंटरमेजर सूट मौजूद है. ऑनबोर्ड AESA रडार की रेंज reportedly 240 किलोमीटर बताई गई है. इसके साथ IRST सिस्टम और सर्वदिशात्मक ऑप्टिकल सेंसर भी लगाए गए हैं, जो व्यापक स्थितिजन्य जागरूकता प्रदान करते हैं. इसमें दस से अधिक नए एयर-लॉन्च्ड हथियार भी विमान के साथ प्रदर्शित किए गए, जिनमें लंबी दूरी की हवा-से-हवा मिसाइलें, प्रिसिजन-गाइडेड म्यूनिशन और स्टैंडऑफ स्ट्राइक सिस्टम शामिल हैं.

Su-57 की 10 सबसे बड़ी खूबियां
1. असली पांचवीं पीढ़ी की स्टेल्थ क्षमता
Su-57 में भारी मात्रा में कंपोजिट मटीरियल, रडार-अवशोषक कोटिंग, और इंटरनल वेपन बे हैं, जो इसे रडार पर लगभग अदृश्य बना देते हैं.
2. सक्रिय रडार के साथ भी कम दिखाई देता है
रूस के अनुसार इसकी स्टेल्थ डिजाइन इतनी उन्नत है कि सक्रिय रडार ऑन होने पर भी दुश्मन के रडार इसे पकड़ने में मुश्किल महसूस करते हैं, यह रियल कॉम्बैट में साबित भी हो चुका है.
3. लंबे समय तक सुपरसोनिक उड़ान (Supercruise)
Su-57 बिना आफ्टरबर्नर के लंबे समय तक सुपरसोनिक गति बनाए रख सकता है, जिससे ईंधन बचता है और थर्मल सिग्नेचर कम होता है.
4. हाई-ऑटोमेशन कॉकपिट + AI सपोर्ट
- कॉकपिट में AI सिस्टम पायलट को खतरे की पहचान कर देता है
- हथियार चयन
- त्वरित निर्णय
- उड़ान सहायता जैसी सुविधाएं देता है, जिससे लड़ाई के समय पायलट का दबाव कम होता है.
5. शक्तिशाली AESA रडार (240 किमी रेंज)
इसका AESA रडार लगभग 240 किलोमीटर तक लक्ष्य खोज सकता है, मल्टी-टारगेट ट्रैकिंग कर सकता है और इलेक्ट्रॉनिक जामिंग से बचने में सक्षम है.
6. 360° सिचुएशनल अवेयरनेस
IRST और चारों दिशाओं में लगे ऑप्टिकल सेंसर इसे आसमान में एक फ्लाइंग सर्विलांस सिस्टम बना देते हैं, यह पीछे, बगल और नीचे तक सब देख सकता है.
7. सुपर-मेन्यूवरेबिलिटी (अत्यधिक फुर्ती)
थ्रस्ट-वेक्टरिंग इंजन और एडवांस्ड एयरोडायनेमिक्स की वजह से यह बेहद तीखे मोड़ ले सकता है और दुश्मन की मिसाइलों को चकमा देने में माहिर है.
8. बहुउद्देश्यीय कॉम्बैट क्षमता (True Multirole Fighter)
- एयर-टू-एयर डॉगफाइट
- जमीनी सर्जिकल स्ट्राइक
- दुश्मन एयर डिफेंस को नष्ट करना (SEAD/DEAD- दुश्मन की वायु रक्षा को दबाने/दुश्मन की वायु रक्षा को नष्ट करने)
- समुद्री हमले
9. 10+ नए हथियार यानी मिनी आर्सेनल
- लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइलें
- प्रिसिजन-गाइडेड बम
- स्टैंडऑफ स्ट्राइक वेपन्स
10. मजबूत डिजाइन और कम मेंटेनेंस
इसमें मजबूत संरचना, काउंटरमेजर सिस्टम और ऑनबोर्ड डायग्नोस्टिक टेक्नोलॉजी है, जो इसे ज्यादा टिकाऊ, सुरक्षित और कम मेंटेनेंस वाला बनाती है.
बीते 24 घंटे नेता-राजनयिकों के बीच रही हलचल
इधर पिछले 24 घंटे मॉस्को और दिल्ली, दोनों जगह काफी व्यस्त रहे. मॉस्को में, भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने राष्ट्रपति पुतिन और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की और SCO प्रमुखों की बैठक में भाग लिया. दिल्ली में, रूस के राष्ट्रपति के सलाहकार और रूसी फेडरेशन की समुद्री बोर्ड के चेयरमैन निकोलाई पात्रुशेव ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की. भारतीय बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने “राष्ट्रपति पुतिन को अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ दीं और कहा कि वे अगले महीने भारत में उनकी मेजबानी करने के लिए उत्सुक हैं.” दोनों पक्षों ने समुद्री क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने पर विचार-विमर्श किया, जिसमें कनेक्टिविटी, कौशल विकास, जहाज निर्माण और ब्लू इकोनॉमी में नए अवसर शामिल थे.
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