Jaish-e-Mohammed Launches Online Jihadi Course: पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM), जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया है, अब महिलाओं के लिए एक नई यूनिट ‘जमात-उल-मुमिनात’ स्थापित कर रहा है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, इस यूनिट ने ‘तुफात-अल-मुमिनात’ नामक ऑनलाइन ट्रेनिंग कोर्स शुरू किया है. इसका उद्देश्य कथित तौर पर महिलाओं को जिहाद और इस्लाम से जुड़े उनके “ड्यूटी” के बारे में ट्रेंड करना और उन्हें संगठन में भर्ती करना है.
Jaish-e-Mohammed Launches Online Jihadi Course: धर्म और जिहाद पर केंद्रित होगा कोर्स
इस ऑनलाइन कोर्स में धर्म और जिहाद पर केंद्रित पाठ होंगे. ये कोर्स महिलाओं को जैश की नई महिला शाखा में ट्रेंड और भर्ती करने के लिए डिजाइन किए गए हैं. पाकिस्तान के रूढ़िवादी सामाजिक परिवेश को देखते हुए, जहां महिलाओं की काम-काज सीमित है, संगठन ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का सहारा लिया है. कोर्स के नेतृत्व में जैश के वरिष्ठ नेता होंगे, जिनमें संस्थापक मसूद अजहर की बहनें भी शामिल हैं. मसूद अजहर भारत में कई आतंकवादी हमलों के मास्टरमाइंड हैं और उन्हें संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवादी घोषित किया है.
प्रतिदिन 40 मिनट की क्लासेस
एनडीटीवी के अनुसार, ‘तुफात-अल-मुमिनात’ पाठ्यक्रम 8 नवंबर से शुरू होगा. इसमें रोजाना 40 मिनट के ऑनलाइन सत्र होंगे. प्रत्येक प्रतिभागी से लगभग 500 पाकिस्तानी रुपये (करीब 156 रुपये) “दान” के रूप में जमा कराने और ऑनलाइन फॉर्म भरने को कहा गया है. यह वसूली दर्शाती है कि संगठन एफएटीएफ (Financial Action Task Force) के दिशानिर्देशों का पालन करने का दावा करने के बावजूद, नई पहचान के तहत धन जुटाने का काम जारी रखता है.
मास्टरमाइंड के रिश्तेदार सिखाएंगे कोर्स
रिपोर्टों के अनुसार, जमात-उल-मुमिनात का नेतृत्व मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर करेंगी. सादिया के पति यूसुफ अजहर, जो संगठन के वरिष्ठ कमांडर थे, इस साल की शुरुआत में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारा गए था. मई में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में बहावलपुर स्थित जैश मुख्यालय को निशाना बनाया गया था. यह भारत की प्रतिक्रिया थी, जो पिछले महीने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले के बाद की गई थी.
इस हमले में अजहर के कई परिवारिक सदस्य और संगठन के वरिष्ठ नेता मारे गए थे. इसके अलावा, मसूद अजहर की अन्य बहनें सफिया और अफरीरा फारूक भी इस कोर्स में शामिल हैं. अफरीरा फारूक, पुलवामा हमले के प्रमुख साजिशकर्ता उमर फारूक की पत्नी हैं, जो बाद में भारतीय सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा गए था.
महिलाओं की भर्ती- रणनीति या जरूरत?
जेईएम नेटवर्क पर नजर रखने वाले अधिकारियों के अनुसार, संगठन अब कमांडरों की पत्नियों और बहावलपुर, कराची, मुजफ्फराबाद, कोटली, हरिपुर और मनसेहरा स्थित धार्मिक केंद्रों में पढ़ने वाली आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को निशाना बना रहा है. एक वरिष्ठ आतंकवाद-रोधी अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि, “ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले के बाद, जैश के नेतृत्व को एहसास हुआ कि महिला सदस्यों का इस्तेमाल सुरक्षा जांच से बचने और रसद या दुष्प्रचार अभियानों को अंजाम देने के लिए किया जा सकता है. यह पाठ्यक्रम उसी रणनीति का हिस्सा है.”
देवबंदी संगठन में महिलाओं की भागीदारी
परंपरागत रूप से, देवबंदी मूल का संगठन जैश-ए-मोहम्मद महिलाओं को सशस्त्र जिहाद में शामिल होने से रोकता था. लेकिन अब खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक, मसूद अजहर और उसके भाई तल्हा अल-सैफ ने महिलाओं को संगठन के संचालन तंत्र में शामिल करने की मंजूरी दे दी है. यह बदलाव एक रणनीतिक बदलाव का संकेत देता है, जो आईएसआईएस, बोको हराम, हमास और लिट्टे जैसी आतंकवादी संगठनों की रणनीति के समान है, जिनमें महिलाओं को सक्रिय भूमिका में शामिल किया जाता रहा है.
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