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खूबसूरत आंखों में खौफनाक अदाएं, पुतिन की रशियन जासूस फिर हुई एक्टिव, करामात जानकर पकड़ लेंगे माथा

Anna chapman Russian Spy: अमेरिका से निकाली गयी रूसी जासूस अन्ना चैपमैन अब पुतिन की खुफिया टीम में वापस आ गई हैं. कभी ‘ब्लैक विडो’ के नाम से मशहूर अन्ना अब कौन सा नया मिशन संभाल रही हैं?

Anna chapman Russian Spy: कहते हैं खूबसूरती कभी-कभी सबसे बड़ा हथियार होती है. और अगर दिमाग उससे भी ज्यादा तेज हो, तो खेल बड़ा हो जाता है. रूस की जानी-मानी जासूस अन्ना चैपमैन की कहानी कुछ ऐसी ही है फिल्म जैसी, रहस्यमयी और सस्पेंस से भरी हुई. कभी अमेरिका ने उन्हें देश से निकाल दिया था, और आज वो रूसी खुफिया एजेंसी से जुड़े नए प्रोजेक्ट की मुखिया हैं. नाम बदला है, चेहरा वही है. अब वो ‘अन्ना रोमानोवा’ के नाम से जानी जाती हैं.

Anna chapman Russian Spy: कौन हैं अन्ना चैपमैन?

अन्ना चैपमैन वो नाम है जिसने 2010 में पूरी दुनिया में हलचल मचा दी थी. अमेरिका की खुफिया एजेंसी एफबीआई ने उन्हें एक रूसी स्लीपर एजेंट के रूप में गिरफ्तार किया था. वो “ऑपरेशन घोस्ट स्टोरीज” नाम के मिशन का हिस्सा थीं, जिसमें अमेरिका में रह रहे सिक्रेट रूसी एजेंटों का पर्दाफाश हुआ था. गिरफ्तारी के बाद जब मीडिया में उनकी तस्वीरें आईं लाल बाल, नीली आंखें और एक मॉडल जैसा लुक तो सब हैरान रह गए. कई अखबारों ने उन्हें “रियल लाइफ ब्लैक विडो” कहा.

कैसे बनीं जासूसी जगत की सुर्खियां?

2010 में एफबीआई ने न्यूयॉर्क में अन्ना और नौ दूसरे एजेंटों को गिरफ्तार किया. आरोप था कि ये लोग बिना पहचान बताए सालों से अमेरिका में रहकर जासूसी कर रहे थे. उन्होंने रूसी अधिकारियों से संपर्क के लिए अपने लैपटॉप में गुप्त वायरलेस नेटवर्क बनाया था. एफबीआई के मुताबिक अन्ना ने ऐसा करीब दस बार किया. 27 जून 2010 को गिरफ्तारी के बाद उन्होंने माना कि वो रूसी संघ के गैरकानूनी एजेंट के रूप में काम कर रही थीं. इसके बाद अमेरिका ने उसे कैदियों की अदला-बदली के तहत रूस भेज दिया. इस सौदे में रूस ने चार ऐसे लोगों को छोड़ा जिन्होंने पश्चिमी खुफिया एजेंसियों को जानकारी दी थी. उन्हीं में एक थे सर्गेई स्क्रिपल, जिन्हें बाद में ब्रिटेन में जहर देने की कोशिश की गई थी.

लंदन वाला चैप्टर

गिरफ्तारी से पहले अन्ना चैपमैन लंदन में रहती थीं. वो वहां एलेक्स चैपमैन नाम के एक ब्रिटिश युवक से शादी कर चुकी थीं, जिससे उन्हें ब्रिटिश नागरिकता मिली. कहानी में मोड़ तब आया जब एलेक्स ने उन पर पावर ड्रिल से हमला करने की कोशिश का आरोप लगाया. लंदन में अन्ना का दायरा बड़ा था राजनेता, बिजनेस टायकून, और कुलीन परिवार. कई लोग कहते हैं, “वो बातों से दिल जीत लेती थीं, और मुस्कान से भरोसा.” इसी के जरिए उन्होंने ब्रिटिश समाज के कई बड़े लोगों के बीच अपनी जगह बना ली थी.

अमेरिका में कैसे पकड़ी गईं

2009 में जब अन्ना मैनहट्टन आईं, तो उन्होंने सबको बताया कि वो रियल एस्टेट का काम करती हैं. लेकिन एफबीआई की नजर उनके हर कदम पर थी. जांच में सामने आया कि वो अपने लैपटॉप से रूसी अधिकारियों से गुप्त संदेश भेजती थीं. कई बार ऐसा हुआ जब उन्होंने कुछ ही मिनटों के लिए नेटवर्क एक्टिव किया, जानकारी भेजी और नेटवर्क बंद कर दिया. फिल्मों में जो चीजें हम “मिशन इम्पॉसिबल” में देखते हैं, वही असल जिंदगी में अन्ना कर रही थीं.

रूस लौटने के बाद नई जिंदगी

अमेरिका से निकाले जाने के बाद अन्ना चैपमैन रूस लौटीं. वहां उन्होंने खुद को नए रूप में पेश किया पहले बिजनेसवुमन, फिर टीवी एंकर और बाद में सोशल मीडिया स्टार के रूप में. उन्होंने अपनी किताब “Bondianna: To Russia With Love” में लिखा कि मुझे पता था कि मर्दों पर मेरा क्या असर होता है. प्रकृति ने जो दिया, मैंने बस उसे सही तरीके से इस्तेमाल किया. किताब में उन्होंने अपने ग्लैमरस जीवन, महंगी पार्टियों और ताकतवर लोगों से मुलाकातों का जिक्र किया है. एक वाकया उन्होंने लिखा कि कैसे स्ट्रिप पोकर का खेल जीतने के बाद उन्हें लंदन के एक हेज फंड में नौकरी मिल गई.

पुतिन के साथ नया रोल

अब अन्ना फिर चर्चा में हैं. ब्रिटिश अखबार द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, अब वो अन्ना रोमानोवा नाम से जानी जाती हैं और रूस में खुफिया संग्रहालय (Russian Intelligence Museum) की प्रमुख बनी हैं. यह संग्रहालय मास्को के गोर्की पार्क के पास है और सीधे पुतिन की खुफिया एजेंसी एसवीआर (SVR) से जुड़ा है. इसका मकसद है कि रूस की जासूसी के इतिहास और उपलब्धियों को “राष्ट्रीय गौरव” के रूप में दिखाना. यानि, अन्ना फिर उसी दुनिया में लौट आई हैं फर्क बस इतना है कि अब वो खुलकर उसी सिस्टम का चेहरा हैं, जिसके लिए पहले सीक्रेट रूप से काम करती थीं.

अब 43 साल की अन्ना रूस में एक देशभक्त और पुतिन समर्थक शख्सियत मानी जाती हैं. वो सोशल मीडिया पर पारंपरिक रूसी मूल्यों को बढ़ावा देती हैं. टीवी और कार्यक्रमों में अक्सर वो क्रेमलिन समर्थक अभियानों में हिस्सा लेती हैं. रूस में अब वो एक राष्ट्रीय गौरव का पहचान बन चुकी हैं.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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