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इस देश में पहली बार पाए गए मच्छर, वैज्ञानिकों ने बताया कारण; वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

Mosquitoes Found In This Country First Time: आइसलैंड में पहली बार मच्छर पाए गए. कीट विशेषज्ञों ने गर्म वसंत के बाद कुलिसेटा एनुलैटा प्रजाति के मच्छरों की खोज की. जानिए कैसे यह बदल सकता है द्वीप का इकोसिस्टम और जलवायु परिवर्तन (Climate Change).

Mosquitoes Found In This Country First Time: आइसलैंड, जो अब तक मच्छर-मुक्त माना जाता था, वहां हाल ही में पहली बार मच्छर पाए गए हैं. यह खोज उस गर्म वसंत के बाद हुई, जिसमें तापमान ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए. अब सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक अस्थायी घटना है या आइसलैंड के नाजुक इकोसिस्टम में बड़ा बदलाव होने वाला है? कीट विशेषज्ञ ब्योर्न हेजाल्टसन मच्छरों की तलाश में एक अनोखी विधि का इस्तेमाल कर रहे थे. वे पतंगों को आकर्षित करने के लिए शराब में भीगी रस्सियों का उपयोग कर रहे थे. कई रातों की मेहनत के बाद उन्होंने दो मादा और एक नर मच्छर पाए. बाद में यह पुष्टि हुई कि ये मच्छर कुलिसेटा एनुलैटा प्रजाति के थे, जो ठंडी सर्दियों में भी जीवित रह सकते हैं.

Mosquitoes Found In This Country First Time: आइसलैंड क्यों था मच्छर-मुक्त?

अब तक आइसलैंड, अंटार्कटिका के साथ, उन कुछ जगहों में शामिल था जहां मच्छर नहीं पाए जाते थे. इसकी वजह यहां की ठंडी जलवायु और स्थिर पानी की कमी है. मच्छर आमतौर पर ऐसे स्थानों में ही प्रजनन करते हैं. लेकिन हाल के वर्षों में तापमान में हुई वृद्धि ने द्वीप के इकोसिस्टम पर जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के प्रभाव को लेकर नई चिंताएं बढ़ा दी हैं. हेजाल्टसन ने सोशल मीडिया पर यह खोज साझा की. उन्होंने लिखा कि उन्होंने “रेड वाइन रिबन पर एक अजीब मक्खी” देखी और हैरान रह गए. उनका अनुमान है कि ये मच्छर पास के ग्रुंडार्टंगी औद्योगिक क्षेत्र से शिपिंग कंटेनरों के जरिए आ गए होंगे.

वैज्ञानिकों ने दी पुष्टि

मच्छरों की पहचान के लिए उन्हें आइसलैंडिक इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरल हिस्ट्री भेजा गया. वहां के कीटविज्ञानी मैथियास अल्फ्रेडसन ने पुष्टि की कि यह प्रजाति वास्तव में कुलिसेटा एनुलैटा है. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ये मच्छर आइसलैंड तक कैसे पहुंचे. वैज्ञानिक इस पर नजर बनाए हुए हैं, खासकर इसलिए क्योंकि आने वाले वर्षों में तापमान और बढ़ सकता है. 

जलवायु परिवर्तन न केवल मच्छरों के आने का कारण बन सकता है, बल्कि स्थानीय वन्यजीवों को भी प्रभावित कर सकता है, जो लंबे समय से ठंडी परिस्थितियों में ढले हुए हैं. हेजाल्टसन की यह खोज आइसलैंड के लिए संभावित पारिस्थितिक मोड़ हो सकती है. अब देखना यह है कि क्या ये मच्छर द्वीप पर स्थायी रूप से बस जाएंगे या केवल अस्थायी तौर पर आए हैं.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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