इस्लामाबाद : पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के राजनीति में वापसी के मंसूबों पर पानी फेरते हुये एक अदालत ने आज संविधान को दो बार निरस्त करने और वर्ष 2007 में आपातकाल के दौरान न्यायाधीशों को हिरासत में लिये जाने के लिये उन पर आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया.
मुख्य न्यायाधीश दोस्त मुहम्मद खान की अध्यक्षता वाली पेशावर हाई कोर्ट के चार न्यायाधीशों की पीठ ने यह प्रतिबंध लगाया और मुशर्रफ की 11 मई को होने वाले आम चुनाव के लिये नामांकन पत्र को नामंजूर किये जाने को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया.पीठ ने कहा कि आजीवन प्रतिबंध इसलिये लगाया गया है क्योंकि मुशर्रफ ने दो बार संविधान को निरस्त किया और वर्ष 2007 में आपातकाल के दौरान न्यायाधीशों को हिरासत में लिया. उसने कहा कि मुशर्रफ को राष्ट्रीय, प्रांतीय और सीनेट के चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाता है. मुशर्रफ के एक वकील साद शिबली ने कहा कि वह इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे. इससे पहले चुनाव अधिकारियों ने मुशर्रफ के सत्ता में रहने के दौरान किये गये कृत्यों की वजह से इस्लामाबाद, पंजाब, सिंध और खैबर-पख्तूनख्वा में चार संसदीय सीटों से उनके नामांकन पत्र को खारिज कर दिया था.
मुशर्रफ के वकीलों ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के चित्रल क्षेत्र में एक संसदीय सीट से नामांकन पत्र खारिज किये जाने के खिलाफ पेशावर उच्च न्यायालय में अपील किया था. उल्लेखनीय है कि 69 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति इस समय इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में स्थित अपने फार्म हाउस में रखे गये हैं जिसे एक उप जेल घोषित किया गया है. मुशर्रफ को वर्ष 2007 में आपातकाल के दौरान न्यायाधीशों को बर्खास्त करने और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था. उधर रावलपिंडी में एक आतंकवाद निरोधक अदालत ने आज बेनजीर हत्या मामले में मुशर्रफ को एक पखवाड़े के लिये न्यायिक हिरासत में भेज दिया.