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डिजिटल इंडिया : नीति-निर्धारण के अहम किरदार

मौजूदा दौर में तकनीकी नीतियां सरकारी कामकाज और उद्देश्यों में केंद्रीय भूमिका निभा रही हैं. ये नीतियां आम जन-जीवन से लेकर कॉरपोरेट जगत तक की दशा और दिशा को प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं. टेलीकॉम नीतियां, आधार संख्या, लाभुक के खाते में धन का सीधा हस्तांतरण, डिजिटल भुगतान, इ-कॉमर्स से संबंधित दिशा-निर्देश आदि के […]

मौजूदा दौर में तकनीकी नीतियां सरकारी कामकाज और उद्देश्यों में केंद्रीय भूमिका निभा रही हैं. ये नीतियां आम जन-जीवन से लेकर कॉरपोरेट जगत तक की दशा और दिशा को प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं. टेलीकॉम नीतियां, आधार संख्या, लाभुक के खाते में धन का सीधा हस्तांतरण, डिजिटल भुगतान, इ-कॉमर्स से संबंधित दिशा-निर्देश आदि के असर को साफ देखा जा सकता है.
बीते १०-१५ सालों में रहन-सहन के ढंग से लेकर कारोबार के तौर-तरीकों में बदलाव का बड़ा कारण भी यही है. तकनीक से जुड़ी सरकारी नीतियों को तय करने और बदलने में सरकारी अधिकारियों और सरकार द्वारा नियुक्त लोगों के साथ ऐसे अनेक लोग भी होते हैं, जिनके विचार और सलाह महत्वपूर्ण होते हैं. नीतियों की खूबियों और खामियों पर चर्चाएं तो होती ही रहती हैं, पर ऐसे प्रभावशाली लोगों के बारे में जानना भी जरूरी है. इन व्यक्तियों के बारे में परिचयात्मक प्रस्तुति आज के इन-डेप्थ में…
नंदन नीलेकणि
चेयरमैन एकस्टेप; पूर्व चेयरमैन, यूआइडीएआइ
नीलेकणि भारत की टेक-पॉलिसी को प्रभावित करनेवाली सबसे खास शख्सियत हैं. विश्वस्तरीय प्रोफेशनल्स की टीम के साथ उन्होंने आधार योजना की नींव रखी. उनकी दूरदर्शिता का परिणाम लगभग सभी तकनीकी नीतियों- मसलन, डिजिटल भुगतान, पहचान (आइडेंटिटी), वित्तीय समावेशन, डिजिटल रिकॉर्ड, वेल्फेयर आदि योजनाओं में परिलक्षित होता है.
राजन मैथ्यू
डायरेक्टर जनरल, सीओएआइ
सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यू की देश में टेलीकम्युनिकेशन के प्रमोशन, प्रोटेक्शन और प्रसार में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है. उनकी क्षमता और योग्यता को देखते हुए डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस की बैठकों में उन्हें विशेष रूप से आमंत्रितकिया जाता है.
शरद शर्मा
ऑर्बिट चेंज कैटलिस्ट, आइस्पीरिट के प्रमुख
शरद शर्मा आइस्पीरिट के प्रमुख के तौर पर जाने-पहचाने जाते हैं. ये अनेक नयी टेक पॉलिसी और स्टार्ट-अप इनोवेशन की पहल करने करनेवाले प्रमुख व्यक्तियों में से एक माने जाते हैं.
नंदकुमार सरावडे
आरबीआइ के साइबर सिक्योरिटी आर्म के प्रमुख
शांत रहनेवाले नंदकुमार एक ऐसे योग्य पेशेवर हैं, जिनकी बातें बेहद गंभीरता से सुनी जाती रही हैं.
प्रोफेसर अशोक झुनझुनवाला
आइआइटी मद्रास
प्रोफेसर अशाेक अपने समय के श्रेष्ठ विद्वान रहें हैं. कई विषयों, जिनमें विवादास्पद टेलीकॉम और स्पेक्ट्रम प्रबंधन भी शामिल रहें हैं, पर इनके विचारों को डीन से ज्यादा महत्व दिया गया है और इनकी बातों को सुना गया है.
प्रोफेसर दीपक बी पाठक
आइआइटी बॉम्बे
दीपक जैसे जानकार व्यक्ति (अकादमिक) की बातों को आज बैंकिंग तकनीक आधारित पॉलिसी सर्किल और डिजिटल डिवाइस के क्षेत्र में काफी महत्व दिया जाता है. लेकिन, अकादमिक से जुड़े इस जानकार की बातों को शिक्षा के क्षेत्र में इतना महत्व नहीं दिया जाता है.
मोहनदास पई
अध्यक्ष मनिपाल ग्लोबल एजुकेशन सर्विसेज व अरिन कैपिटल, पूर्व सीएफआे, इन्फोसिस
मोहनदास स्टार्टअप्स, इनोवेशन और सरकार में तकनीक की भूमिका को लेकर बेहद मुखर रहते हैं. और इस संबंध में अक्सर अपने विचारों को व्यक्त करते रहते हैं.
प्रमोद वर्मा
एकस्टेप के सीटीओ, इंडिया स्टैक के आर्किटेक्ट, एनपीसीआइ, जीएसटीएन के सलाहकार, आधार के पूर्व मुख्य शिल्पकार
प्रमोद वर्मा नंदन नीलेकणि के आधार टीम के सबसे ज्यादा प्रभावशाली सदस्य हैं.
विराट भाटिया
आइइए, दक्षिण एशिया, एटी एंड टी के प्रेसिडेंट व फिक्की कम्युनिकेशंस व डिजिटल इकोनॉमी कमिटी के अध्यक्ष
विराट पर्दे के पीछे के सबसे ज्यादा प्रभावी लॉबिस्ट में से एक माने जाते हैं. इनके स्टॉक बीते कुछ वर्षों से नीचे जा रहे हैं. प्रौद्योगिकी नीति की इन्हें समझ है और इस क्षेत्र से जुड़ाव को लेकर ये जाने जाते हैं.
एपी होता
एनपीसीआइ के एमडी व सीइओ
सरकार द्वारा कैशलेस सोसायटी बनाने पर जोर देने के बाद होता भारत के सर्वोच्च भुगतान अधिकारी की भूमिका निभा रहे हैं. अपने इस प्रभावशादी ओहदे को लेकर ही ये इन दिनों चर्चा में हैं.
सुनील अब्राहम
एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर, सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी
सरकार के साथ अनेक मुद्दों पर असहमति के बाद सीआइएस की स्थिति अभी थोड़ी कमजोर हुई है, लेकिन सुनील का हौसला कम नहीं हुआ है और तकनीक से संबंधित अनेक प्रमुख नीतियों पर नजर रख रहे हैं. उनकी और उनके संस्थान की राय नीतियों के साथ जनमत को भी प्रभावित करती है.
आर चंद्रशेखर
नैस्कॉम के अध्यक्ष
भारत के आइटी सर्विस और सॉफ्टवेयर निर्यातक कंपनी का प्रतिनिधित्व करनेवाली कंपनी नैस्कॉम के प्रमुख चंद्रशेखर प्रोद्योगिकी नीति बनाने में खासा दखल रखते हैं. यही उनकी प्रमुख पहचान भी है.
सुनील मित्तल
संस्थापक और चेयरमैन, भारती इंटरप्राइजेज
भारतीय इंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील मित्तल न केवल टेलीकॉम सेक्टर, बल्कि भारतीय कॉरपोरेट जगत के प्रभावी बिजनेस लीडर हैं. तकनीकी नीतियों में अपना विशेष स्थान रखनेवाले मित्तल का चकाचौंध से दूर रहनेवाला व्यक्तित्व है. भारती का सिंग्टेल, सॉफ्टबैंक, एक्सा, डेल मॉन्ट जैसी वैश्विक संस्थाओं के साथ हिस्सेदारी है.
अमिताभ कांत
सीइओ, नीति आयोग
वर्तमान सरकार में सबसे प्रभावी और महत्वपूर्ण ब्यूरोक्रेट में शुमार अमिताभ कांत नीति आयोग के सीइओ हैं. केरल कैडर के 1980 बैच के आइएएस अधिकारी अभिताभ की ‘मेक-इन-इंडिया’, स्टार्ट-अप इंडिया और ‘इन्क्रेडिबल इंडिया’ जैसे बेहद महत्वपूर्ण सरकारी अभियानों में केंद्रीय भूमिका है.
गुलशन राय
नेशनल साइबर सिक्योरिटी को-ऑर्डिनेटर, चीफ इन्फॉरमेशन सिक्योरिटी ऑफिसर, भारत सरकार
एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में भारत की साइबर सुरक्षा और सुरक्षा उपायों को तय करने में गुलशन राय की महत्वपूर्ण भूमिका है. गुलशन राय साइबर सिक्योरिटीके लिए स्पेशल सेक्रेटरी बनने से पहले इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी विभाग में ‘इमरजेंसी रिस्पांस टीम’ का नेतृत्व
कर चुके हैं.
राजेश जैन
संस्थापक, नेटकोर सोल्युशंस; अंशकालिक सदस्य, यूआइडीएआइ
लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा के डिजिटल चुनावी अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले राजेश जैन यूआइडीएआइ में अंशकालिक सदस्य के रूप में सेवाएं दे चुके हैं. डिजिटल मार्केटिंग उद्यम में पहचान रखनेवाले जैन ने आधार की सफलता में प्रभावी भूमिका अदा की है.
सुभो रे
अध्यक्ष, आइएएमएआइ
इंटरनेट और मोबाइल सेक्टर की शीर्ष संस्था इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आइएएमएआइ) के अध्यक्ष सुभो रे फेसबुक, गूगल जैसी वैश्विक कंपनियों और सरकार के बीच एक कड़ी की भूमिका निभाते हैं.
सुहान मुखर्जी
पार्टनर, पीएलआर चैंबर्स
मुखर्जी एक लॉ फर्म के प्रमुख हैं, लेकिन टेक पॉलिसी निर्धारण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है. वह भारत में उबेर के सलाहकार की भूमिका निभा चुके हैं.
अरविंद गुप्ता
डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर
साइबर सुरक्षा के मुद्दे पर अरविंद गुप्ता निर्णायक टीम का हिस्सा हैं. स्रोतों के मुताबिक, गुप्ता द्वारा लिखे गये आइटी मंत्री के भाषणों में उनकी प्रभावी भूमिका परिलक्षित होती है.
तकनीकी नीतियों की रूप-रेखा पर असर डालनेवाले अन्य कुछ खास नाम इस प्रकार हैं- भारतीय जनता पार्टी के सूचना-तकनीक इकाई के प्रमुख और डिजिटल इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक अरविंद गुप्ता, सांसद एवं उद्यमी राजीव चंद्रशेखर, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश छारिया, आधार प्राधिकरण के सीइओ एबी पांडे, आइआइएम-अहमदाबाद के सेंटर फॉर टेलीकॉम एक्सलेंस की प्रमुख प्रोफेसर रेखा जैन, फेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी निदेशक आंखी दास तथा तकनीकी से जुड़े कानूनी पहलुओं के जानकार राहुल मैथन.
आरएस शर्मा
चेयरमैन, टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया, पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी सचिव, यूआइडीएआइ के पूर्व सीइओ.यूआइडीएआइ यानी यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी आॅफ इंडिया और आधार परियोजना को लीड कर चुके शर्मा सूचना प्रौद्योगिकी सचिव रह चुके हैं. उनकी कार्यावधि के दौरान सरकार ने ओपेन एपीआइ पॉलिसी को पारित किया, ताकि विविध सरकारी सेवाओं के बीच अापसी संवाद को पारदर्शी तरीके से सुगम बनाया जा सके. अपने कार्यों के संबंध में इन्हें ठोस फैसले लेनेवाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है.
समीर शरण
वाइस-प्रेसिडेंट, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन.
तकनीकी मामलों के महारथी शरण का रिलायंस से संबंध रहा है. तकनीक के इर्द-गिर्द वार्तालाप में दक्ष समीर साइबर सुरक्षा और इंटरनेट गवर्नेंस के फ्लैगशिप ‘साइफाइ’ इवेंट से जुड़े रहे हैं. कहा जाता है कि संबंधित क्षेत्र में अमेरिका और भारत के बीच वार्ता प्रक्रिया में इनकी अहम भूमिका है. तकनीकी नीतियों को प्रभावित करने की ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में बड़ी ताकत है और इसमें समीर का उल्लेखनीय योगदान है.
अजय शाह
प्रोफेसर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी़
बतौर अर्थशास्त्री शाह ने डिजिटल पेमेंट और वित्तीय समावेशी नीतियों को बढ़ावा दिया है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में अपनी टीम के साथ उन्होंने यूआइडीएआइ और ट्राइ के लिए अनेक काम किये हैं, जिसकी सराहना सरकार
भी कर चुकी है.
राजन आनंदन
वाइस प्रेसिडेंट, दक्षिण पूर्व एशिया और भारत, गूगल़
गूगल जैसी ताकतवर कंपनी में नेतृत्व की क्षमता की कसौटी पर खरे उतरनेवाले अानंदन के प्रति लोगों में भरोसा कायम हुआ है और ‘डिजिटल इंडिया’ को व्यापक बनाने में इनकी अहम भूमिका समझी जा रही है.
मनीष सभरवाल
चेयरमैन एंड को-फाउंडर, टीमलीज
शिक्षा, कौशल, जॉब ग्रोथ जैसे मसलों पर व्यावहारिक नजरिया रखनेवाले और विचार व्यक्त करनेवाले मनीष को नंदन नीलेकणि का बेहद करीबी समझा जाता है.

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