मनीषा प्रियम, राजनीतिक विश्लेषक
जहां भी उन्हें अपने सरकार के काम-काज में सुधार करने की जरूरत पड़ी, उन्होंने बिना किसी इगो के तुरंत इसे किया. तो मोदी सरकार ने जो जनोपयोगी कार्य किये, उसका उन्हें प्रतिफल मिला है. इसीलिए जनता ने एक बार फिर से उन्हें पांच साल का कार्यकाल दिया है. कुल मिलाकर देखा जाये तो अपने कार्यकाल के दौरान मोदी ने जो कदम उठाये हैं, उसका जनता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा और उसने सोचा कि मोदी को पांच साल और देना चाहिए. जहां तक गठबंधन की बात है, तो उसे लेकर जनता के मन में अविश्वास था, तभी तो वह फेल हो गयी.
हालांकि, उत्तर प्रदेश में उसने कुछ अच्छा किया, लेकिन बिहार में वह बेअसर रही. कांग्रेस तो अमेठी में भी हार गयी. तो अब यह कांग्रेस और गठबंधन को ही सोचना होगा कि आखिर उनकी रणनीति कहां फेल हुई और आगे उन्हें कैसी रणनीति बनानी चाहिए.

