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एचआइवी के लक्षण हैं तो घबराएं नहीं पूरी जांच कराएं, जानें एचआइवी संक्रमण के प्रमुख कारण

एड्स का प्राथमिक स्तर है एचआइवी एचआइवी के लक्षण कई बार वायरल बीमारियों जैसे ही होते हैं, अत: वायरल बीमारी को एचआइवी समझकर घबराएं नहीं, पर यदि आपके मल्टीपल सेक्स पार्टनर हैं, या आप मेडिकल प्रोफेशनल हैं, जो नियमित रूप से खून चढ़ाने या जमा करने का काम करते हैं, तो आपको इन लक्षणों के […]

एड्स का प्राथमिक स्तर है एचआइवी
एचआइवी के लक्षण कई बार वायरल बीमारियों जैसे ही होते हैं, अत: वायरल बीमारी को एचआइवी समझकर घबराएं नहीं, पर यदि आपके मल्टीपल सेक्स पार्टनर हैं, या आप मेडिकल प्रोफेशनल हैं, जो नियमित रूप से खून चढ़ाने या जमा करने का काम करते हैं, तो आपको इन लक्षणों के महसूस होने पर एक बार एचआइवी का टेस्ट जरूर करा लेना चाहिए.
मांसपेशियों में खिंचाव : बिना शारीरिक मेहनत के किये ही व्यक्ति को लगता है कि उसकी मांसपेशियां खिंच रही हैं और उसे अकड़न महसूस होती है.
जोड़ों में सूजन : मांसपेशियों में खिंचाव के साथ संक्रमित व्यक्ति के घुटनों, कंधों या बाकी के जोड़ों में दर्द और सूजन शुरू हो जाती है. यदि ऐसे लक्षण हों, तो तुरंत जांच कराएं.
गले में दर्द और सूखापन : आपने अनुभव किया होगा कि जब आप ज्यादा देर तक पानी नहीं पीते, तो गला सूखने लगता है और प्यास लगने की अनुभूति होती है. हालांकि, एचआइवी के संक्रमण के बाद आपको पानी पीने के बाद भी लगातार गला सूखा हुआ और खराश महसूस होगा.
सिर दर्द : संक्रमित व्यक्ति को हर वक्त सिर में हल्का हल्का दर्द रहने की शिकायत रहती है. दिन में आराम रहता है, पर शाम को दर्द काफी बढ़ जाता है.
तनाव : एचआइवी से संक्रमित व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर भी बेवजह चिंता करने लगता है, जो उसे डिप्रेशन की ओर ले जाती है. वह खुद को अंदर से कमजोर महसूस करने लगता है.
वजन घटना : वायरस शरीर को इस तरह प्रभावित करता है कि वजन तेजी से कम होने लगता है. यदि आपका खान-पान ठीक हो और फिर भी वजन घटने लगे, तो यह चिंता का विषय है.
त्वचा पर खुजली और निशान : व्यक्ति का शरीर सूखने लगता है, उसकी त्वचा पीली या सफेद होने लगती है. स्किन पर रैशेज या निशान होने लगते हैं.
नाखून के रंग में बदलाव : यदि अचानक से आपके नाखून का रंग बदलने लगे और वह टूटने लगे, तो आपको एचआइवी की जांच तुरंत करानी चाहिए.
एचआइवी संक्रमण के प्रमुख कारण
एचआइवी और बाद में एड्स की स्थिति पैदा न हो, इसके लिए यह जरूरी है कि संक्रमण से पूर्व ही रोकथाम की जाये. अत: संक्रमण के कारणों को जानना जरूरी है.
– असुरक्षित यौन संबंध में यह यदि साथी इस रोग या वायरस से ग्रसित है, तो उसके साथ यौन संबंध बनानेवाले को भी यह रोग हो सकता है.
– संक्रमित रक्त द्वारा : कई ऐसे रोग हैं, जिनमें ब्लड ट्रासफ्यूजन की जरूरत पड़ती है. इनमें एनिमिया, थैलेसीमिया, डेंगू आदि प्रमुख हैं. इसके अलावा ट्रॉमा (एक्सीडेंटल) मामलों में भी ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत हाेती है. ऐसी अवस्था में एचआइवी संक्रमित खून चढ़ाने या एचआइवी संक्रमित व्यक्ति से लिया हुआ खून चढ़ाने से भी यह रोग फैलता है.
– कई बार प्रोफेशनल डोनर (जो पैसों के लिए ब्लड बार-बार ब्लड डोनेट करते हैं) के रक्त में रक्त के सभी अवयव पूर्ण रूप से नहीं पाये जाते हैं. ऐसे लोग ज्यादातर ड्रग्स आदि के शिकार भी होते हैं. ऐसे व्यक्ति का खून अन्य व्यक्ति को चढ़ाने से भी एचआइवी का संक्रमण हो सकता है.
– संक्रमित इंजेक्शन द्वारा अगर एक सूई का इस्तेमाल किसी एचआइवी पॉजीटिव इंसान के शरीर में किया जाये और फिर उस सूई का इस्तेमाल किसी स्वस्थ मनुष्य में किया जाये, तो वह व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है.
– इसी तरह अगर संक्रमित द्वारा उपयोग किया गया ब्लेड, उस्तरा आदि का इस्तेमाल किसी स्वस्थ मनुष्य द्वारा किया जाये, तो भी वह व्यक्ति इससे संक्रमित हो सकता है.
– अगर मां HIV पॉजिटिव है, तो प्रसव के दौरान या प्रसव के बाद शिशु को स्तनपान कराने से भी शिशु को एचआइवी का संक्रमण हो सकता है.

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