<figure> <img alt="अमित शाह" src="https://c.files.bbci.co.uk/13820/production/_107640997_99340731-d682-4aac-b0b8-12c0ee761e0e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Twitter/@AMITSHAH</footer> </figure><p>जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. इसकी मियाद तीन जुलाई को ख़त्म होने वाली थी.</p><p>केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का प्रस्ताव रखा. ये प्रस्ताव पारित तो हो गया मगर इससे पहले कांग्रेस की ओर से ज़ोरदार विरोध देखने को मिला. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि अगर जम्मू-कश्मीर में चुनी हुई सरकार होती तो ज़्यादा बेहतर होता.</p><p>कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने तो ये भी दावा किया कि राज्य में पहले रही पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार की गलत नीतियों का ही परिणाम है कि लगातार राष्ट्रपति शासन बढ़ाना पड़ रहा है. </p><p>जवाब में अमित शाह ने कश्मीर समस्या के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार बताया और कहा कि इस धारा का सबसे ज्यादा दुरुपयोग कांग्रेस ने ही किया है और वो भी राजनीति लाभ के लिए. </p><p>अमित शाह ने दावा किया कि पिछले एक साल के राष्ट्रपति शासन के दौरान ‘आतंकवाद के ख़िलाफ़ कड़ी नीति’ अपनाई गई है और इसकी ‘जड़ों पर वार’ किया गया है.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>:</strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48800213?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अमित शाह ने लोकसभा में कश्मीर पर क्या कहा</a></p><figure> <img alt="कश्मीर में सैनिक" src="https://c.files.bbci.co.uk/13C2A/production/_107583908_c373b464-aa4f-4d1b-a67d-71af087f97f3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>हाल ही में घाटी का दौर करके लौटे गृहमंत्री अमित शाह ने इस बात को लेकर ये साफ़ नहीं किया कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कब होंगे. उन्होंने कहा कि जब चुनाव आयोग कहेगा, चुनाव करा दिए जाएंगे.</p><p>इसे लेकर बीबीसी संवाददाता<strong> आदर्श राठौर</strong> ने बात की जम्मू-कश्मीर की राजनीति पर नज़र रखने वाली वरिष्ठ पत्रकार <strong>अनुराधा भसीन</strong> से. पढ़िए, उनका नज़रिया. </p><p><strong>'</strong><strong>सरकार का पाखंड सामने आया</strong><strong>'</strong></p><p>अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में इस साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव हो जाएंगे. राष्ट्रपति शासन की मियाद बढ़ाने का तकनीकी कारण यह है कि इसे क़ानूनी रूप से छह महीने के बाद और बढ़ाना पड़ता है. चूंकि यहां चुनी हुई सरकार नहीं है तो इसकी मियाद आगे बढ़नी ही थी. </p><p>जहां तक बात है चुनाव की, इस वक्त कहना मुश्किल है कि केंद्र सरकार इस समय जम्मू-कश्मीर में चुनाव चाहती है या नहीं. </p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48740275?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">राज्यपाल के बयान पर क्यों ख़ामोश हैं अलगाववादी </a></p><figure> <img alt="नरेंद्र मोदी और अमित शाह" src="https://c.files.bbci.co.uk/0792/production/_107583910_335e16e4-a337-467d-8d2b-8e1940c04959.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>अगर सुरक्षा या कानून व्यवस्था को देखते हुए इस समय विधानसभा चुनाव करवाना उचित नहीं समझा जा रहा है तो इससे इनके दोहरे मापदंड सामने आते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि आपने इसी साल फ़रवरी में पंचायत चुनाव करवा दिए थे जब हालात आज से भी ज़्यादा ख़राब थे. </p><p>इसके बाद आपने संसदीय चुनाव करवा दिए. उस चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव भी हो सकते थे क्योंकि आपने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हुए थे.</p><p>तो उस समय चुनाव नहीं करवाए गए क्योंकि उनको राजनीतिक रूप से शायद ऐसा करना सूट नहीं करता था. इससे उनका पाखंड सामने आता है.</p><p>अमित शाह ने शुक्रवार को संसद में कहा भी कि एक साल के भीतर पंचायती चुनाव कराए गए और ऐसा भी पहली बार हुआ कि राज्य में लोकसभा चुनाव हुए और एक भी व्यक्ति की जान नहीं गई जोकि जम्मू-कश्मीर के लिहाज़ से बहुत बड़ी बात है.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48619796?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर में सरकार की चरमपंथियों के साथ चाय पर चर्चा? </a></p><p><strong>इन चुनाव का लोकतांत्रिक </strong><strong>महत्व क्या?</strong></p><p>चुनाव करवाने हों तो वैसे ही कराए जा सकते है जैसे आपने दो चुनाव करवाए हैं. लेकिन सवाल उठता है कि उन चुनावों का लोकतांत्रिक मूल्य क्या है?</p><p>पंचायत चुनावों के दौरान और लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ इलाकों में मतदान प्रतिशत को देखिए. कुछ इलाक़ों मे तो पंचायतों की सीटें ही खाली हैं. </p><p>संसदीय चुनावों में भी इलेक्शन बूथों में तो वोटर ही नहीं आए. जिस तरह से हाल में चुनाव हुए हैं, उससे एक तरह से लोकतंत्र का माखौल भी बन जाता है. उसी तरह से करवाना था तो विधानसभा चुनाव भी हो सकते थे.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>:</strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/social-48673391?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पाकिस्तानी सेना ने कहा, डियर अमित शाह 27 फ़रवरी याद है न?</a></p><p><strong>'</strong><strong>चरमपंथ पर नीति फ़ेल</strong><strong>'</strong></p><p>शुक्रवार को संसद में अमित शाह ने पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों की नीतियों पर सवाल उठाए.</p><p>उन्होंने यह दावा भी किया कि पिछले एक साल में राष्ट्रपति शासन के दौरान आतंकवाद के खिलाफ ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई गई और इसकी जड़ों को खत्म करने के लिए सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी.</p><p>मगर आंकड़े तो नहीं बताते कि कहां तक हालात काबू हुए हैं. चरमपंथियों की संख्या वैसी है, घुसपैठ जारी है, लोग अलग-थलग हो रहे हैं. मीडिया पर दबाव डालकर बेशक़ ये फै़क्टर दिखाए नहीं जा रहे मगर सूरत-ए-हाल वही है.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48558190?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अमित शाह को काला झंडा दिखाने वाली छात्रा निलंबित</a></p><figure> <img alt="पथराव करते युवक" src="https://c.files.bbci.co.uk/649D/production/_107575752_a2978d6b-e6ed-4969-80c8-e811e6a08440.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>आप मीडिया को दबाकर, सच को छिपा सकते हैं मगर सच तो सच है. हालात बिगड़ रहे हैं. यहां तक कि पुलिस की रिपोर्ट है कि घाटी में आईएस के भी चरमपंथी हैं.</p><p>बेशक़ ज्यादा नहीं हैं, चंद ही सही मगर यह नया ट्रेंड है. यह बताता है कि इनकी नीति नाकाम रही है. जितना आप कश्मीर के लोगों को दबाएंगे, उसमें इस तरह के परिणाम तो देखने को मिलेंगे ही.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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जम्मू-कश्मीर में चुनाव और चरमपंथ पर कुछ छिपा रहे हैं शाह?-नज़रिया
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