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एएन-32 हादसा: पंकज सांगवान के घर आने का था इंतज़ार, अब…

<p>मां-बाप को उम्मीद थी कि बेटा लौट आएगा. लेकिन एएन-32 पर सवार सभी 13 वायुसेना कर्मियों की मौत की पुष्टि के साथ ही 23 साल के पंकज सांगवान के मां-बाप की उम्मीदें ध्वस्त हो गईं.</p><p>23 साल के पंकज तीन जून को जोरहाट एयरफोर्सस स्टेशन पर तैनात थे, जब वे असम जाने के लिए एएन-32 पर […]

<p>मां-बाप को उम्मीद थी कि बेटा लौट आएगा. लेकिन एएन-32 पर सवार सभी 13 वायुसेना कर्मियों की मौत की पुष्टि के साथ ही 23 साल के पंकज सांगवान के मां-बाप की उम्मीदें ध्वस्त हो गईं.</p><p>23 साल के पंकज तीन जून को जोरहाट एयरफोर्सस स्टेशन पर तैनात थे, जब वे असम जाने के लिए एएन-32 पर सवार हुए थे. </p><p>सोनीपत के कोहला गांव में पंकज सांगवान के घर के बाहर लगे नीम के पेड़ नीचे सांत्वना व्यक्त करने लोग आ जा रहे हैं. कोहला गांव सोनीपत के गोहाना शहर के पास मौजूद है. </p><p>जाट बहुल्य इस गांव की आबादी 2500 के करीब है और इस गांव में सेना की वर्दी को पहनने को लेकर एक जुनून नजर आता है. </p><p>पंकज के चचेरे भाई मोहित सांगवान बताते हैं कि परिवार वालों और नजदीकी लोगों को ये मालूम होगा कि हमलोग तीन जून से ही किस तकलीफ को झेल रहे हैं. </p><p>मोहित नम आंखों से बताते हैं, तीन जून की शाम आठ बजे भारतीय वायुसेना के कमांडर एसके वर्मा ने पंकज के पिता राजबीर सांगवान को फ़ोन कर बताया कि एएन-32 एयरक्राफ्ट लापता हो गया है, इसमें पंकज सहित 13 वायुसेना कर्मी सवार थे. </p><p>जैसे ही ये खबर आई, परिवार ही नहीं पड़ोस और दोस्तों के साथ साथ दूसरे गांव से भी लोग आकर ढाढ़स बंधाने लगे कि पंकज जल्द ही लौट आएंगे. </p><h3>माता-पिता को होश नहीं</h3><p>लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. पंकज के घर के बाहर हुक्का गुड़गुड़ाते युवा मीडिया के लोगों को घर के अंदर जाने से रोकते हैं और केवल परिवार के नजदीकी लोगों को अंदर जाने दे रहे हैं. इतना ही नहीं वे मीडियाकर्मियों को पंकज के माता-पिता से बात करने से भी मना करते हैं.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48637488?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’मेरा बेटा होशियार था, लेकिन किस्मत धोखा दे गई'</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48623282?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">AN-32 विमान पर सवार इन सभी 13 सैन्यकर्मियों की मौत </a></li> </ul><p>मोहित बताते हैं, &quot;अपने इकलौते बेटे पंकज की मौत की पुष्टि के बाद दोनों होश में नहीं हैं. वे किसी से बात करने की स्थिति में नहीं हैं.&quot;</p><p>नीम के पेड़ नीचे बैठे युवा पंकज की प्रशंसा करते नजर आते हैं. हरियाणा स्कूली शिक्षा बोर्ड से सीनियर सेकेंडरी में पंकज 88 प्रतिशत अंकों के साथ उतीर्ण हुए थे.</p><p>यहां बैठे युवाओं में कईयों ने दावा किया कि वे पिछले 10 दिनों से अपने घर नहीं गए हैं. ये सब यहां रहकर पंकज के परिवार वालों को भरोसा दिला रहे थे कि चमत्कार होगा और पंकज सकुशल अपने घर लौटेंगे.</p><p>पंकज के एक और चचेरे भाई धर्मेंद्र सांगवान बताते हैं, &quot;चमत्कार भी होते ही हैं, लेकिन अब जब भारतीय वायुसेना ने सभी 13 लोगों की मौत की पुष्टि कर दी है, तो हमलोगों के पास परिवार वालों से कहने के लिए कुछ बचा नहीं हैं. परिवार वाले बीते दस दिनों से ना तो कुछ खाए-पीए हैं और ना ही सोए हैं.&quot;</p><p>पंकज के पिता राजबीर सांगवान हरियाणा मार्केटिंग बोर्ड में जूनियर इंजीनियर हैं जबकि मां सुनीता देवी हाउस वाइफ़ हैं.</p><h3>आफ़िसर बनना चाहते थे पंकज </h3><p>मोहित सांगवान ने बताया कि पंकज जुलाई, 2015 में भारतीय वायुसेना में नियुक्त हुए थे. उन्होंने दो बार एनडीए की परीक्षा भी पास की थी लेकिन एसएसबी इंटरव्यू में पास नहीं कर पाए थे. </p><p>मोहित सांगवान बताते हैं, &quot;पंकज के लिए सितारों वाली जैतून वर्दी पहला और अंतिम प्यार था. वह ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर रहा था और सीडीएस परीक्षा के जरिए आफिसर बनने की तैयारी कर रहा था.&quot; </p><p><strong>मां से </strong><strong>फ़ोन पर अंतिम </strong><strong>बातचीत</strong></p><p>मोहित ने बीबीसी को बताया कि पंकज ने दो जून को आखिरी बार फोन किया था और अपनी मां से करीब 20 मिनट तक बात की थी. मोहित के मुताबिक पंकज इस दौरान काफी खुश थे और उन्होंने बताया था कि 17 दिनों की छुट्टी मिल गई है, वे 27 जून को आने वाले थे.</p><p>मोहित कहते हैं, &quot;घर वालों को उनके छुट्टी पर आने का इंतज़ार था, अब वे तिरंगे में लिपटे शहीद की तरह घर आएंगे.&quot;</p><p>घर वालों को इस बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं है कि पंकज का पार्थिव शरीर कब तक गांव पहुंचेगा, इस बारे में भारतीय वायुसेना की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी परिवार वालों को नहीं मिली है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि पार्थिव शरीर 15 जून को दिल्ली पहुंचेगा.</p><h3>अपग्रेड हों एयरक्राफ्ट</h3><p>पंकज के चचेरे भाई धर्मेंद्र सांगवान कहते हैं कि तीन जून को एएन-32 हादसे में 13 लोगों की मौत हो गए हैं, लेकिन सरकार को इसका पता लगाने में 10 दिन लग गए, इससे ज्यादा चौंकाने वाली बात क्या होगी.</p><p>धर्मेंद्र सांगवान कहते हैं, &quot;अगर एयरक्राफ्ट अपग्रेडेड होता तो इन सबकी जानें नहीं जाती, लेकिन अभी अहम बात यह है कि कई जानें अभी भी जोखिम उठा रही हैं.&quot;</p><p>धर्मेंद्र ये भी बताते हैं, &quot;मुझे एयरक्राफ्ट की तकनीकी पहलुओं के बारे में कोई जानकारी नहीं है लेकिन इतना मालूम है कि किसी जान की कीमत किसी भी चीज से ज्यादा होती है. सरकार को आउटडेटेड एयरक्राफ्ट के मामले को बेहतर ढंग से देखना चाहिए.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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