।। दक्षा वैदकर ।।
‘म छली जल की रानी है’ अपनी इस फिल्म के प्रोमोशन के लिए स्वरा भास्कर कई शहरों में जा रही है. एक इंटरव्यू में उन्होंने अपना संघर्ष बताया और कहा ‘काम के दौरान मैंने यही समझा है कि जिस व्यक्ति ने अपमान सहना सीख लिया, वह आगे बढ़ गया.’ स्वरा ने कितनी बेहतरीन बात कही.
आज प्रोफेशनल लाइफ में कई बार ऐसा वक्त आता है जब आप अपमानित महसूस करते हैं. सामनेवाला ऊंची आवाज में हमें सभी के सामने डांट देता है, कह देता है कि आपको तो कुछ आता ही नहीं है, इस फील्ड को छोड़ दो, क्या कभी अपनी शक्ल आइने में देखी है?
ऐसे समय में आपके लिए जरूरी है कि आप अपमान सहन कर लें. अगर आपने अपने अपमान का बदला उसी वक्त सामनेवाले से उसका अपमान कर के ले लिया, तो बात वहीं खत्म हो जायेगी. ठीक इसके विपरीत यदि आपने अपमान सहन कर लिया और उसे अपने अंदर एक चैलेंज के रूप में लिया, उस अपमान को भी जी लिया, तो आप आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होंगे.
दरअसल, अपमान के कड़वे शब्द हम जब-जब याद करते हैं, वह हमारे सीने में खुद को साबित करने की एक आग पैदा करते रहते हैं. यह आग ही हमें प्रेरित करती है. आज इस बात का सबूत हम अपने आसपास देख सकते हैं. जितने भी सफल लोग हैं, उन सभी के पास ऐसे किस्से हैं, जब किसी ने उनका अपमान किया हो और उन्होंने खुद को काम के जरिये साबित कर दिखाया हो.
एक बड़े-से पार्लर की ऑनर से जब मैंने उनकी सफलता का राज पूछा, तो उन्होंने कहा कि मेरी भाभियों की वजह से मैं सफल हुई. दरअसल, पहले मेरा रंग डार्क था, रहन-सहन भी ठीक नहीं था. हंसने से दांत बाहर दिखने लगते थे. हाइट भी मेरी बहुत कम ही है. अक्सर मेरी भाभियां मुङो इन बातों को ले कर अपमानित करती थीं. सभी के सामने वे मेरे दांतों पर कमेंट करतीं. कम हाइट की वजह से मुङो टिंगी, बुटकी आदि नामों से पुकारती. तब पापा ने मुङो कहा कि उन्हें उल्टा जवाब देने से बेहतर है कि तुम खुद को साबित करो.
बात पते की..
– आप सामनेवाले से अपमान का बदला खुद को साबित कर के लें, यही सही तरीका है. इससे आपकी छवि पर भी अच्छा असर पड़ता है.
– लोगों का काम ही है बोलना, कमियां निकालना. आप उनसे लड़ेंगे, तो इसमें आपका ही नुकसान है. उन्हें बोल कर नहीं, कुछ कर के दिखायें.