UP News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ज़ीरो टॉलरेंस नीति के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बार फिर कठोर प्रशासनिक कार्रवाई की है. औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी ने उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPSIDA) के विद्युत-यांत्रिक प्रबंधक हेमेंद्र प्रताप सिंह को अनियमितता, अनुशासनहीनता और कार्य निष्पादन में लापरवाही के आरोपों के चलते सेवा से बर्खास्त कर दिया है. सरकार के इस कदम को योगी प्रशासन की उस नीति से जोड़ा जा रहा है, जिसके तहत अधिकारी या कर्मचारी अगर अपने दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी और पारदर्शिता से नहीं करते, तो उन्हें बख्शा नहीं जाता.
जांच से उजागर हुई गंभीर लापरवाही
विभागीय सूत्रों के अनुसार, हेमेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि वे बिना अनुमति कई महीनों तक कार्य से अनुपस्थित रहे. उन पर यह भी आरोप था कि उन्होंने उच्च अधिकारियों के आदेशों का पालन नहीं किया और कार्यप्रणाली में बार-बार नियमों की अवहेलना की. UPSIDA के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक जांच समिति गठित की. समिति की रिपोर्ट में पाया गया कि संबंधित अधिकारी ने अवकाश स्वीकृति प्रक्रिया का पालन नहीं किया, अनुशासनहीन रवैया अपनाया और विभागीय आदेशों की अवहेलना की.
आयोग की सहमति के बाद हुई बर्खास्तगी
जांच रिपोर्ट को देखते हुए UPSIDA प्रशासन ने लोक सेवा आयोग से अनुमोदन प्राप्त कर बर्खास्तगी की सिफारिश की, जिसे औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी ने अंतिम स्वीकृति दी. इसके बाद मंत्रालय ने आदेश जारी कर हेमेंद्र प्रताप सिंह की सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया. अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई विभाग में अनुशासन बहाली और पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम है.
सेवा इतिहास और विवादित कार्यकाल
हेमेंद्र प्रताप सिंह को नवंबर 2020 में ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण से स्थानांतरित कर UPSIDA भेजा गया था. हालांकि, उन्होंने नए स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने में करीब डेढ़ वर्ष की देरी की और 18 अप्रैल 2022 तक अनुपस्थित रहे. इस दौरान न तो उन्होंने अवकाश के लिए आवेदन किया और न ही अपने अनुपस्थित रहने का कोई स्पष्टीकरण दिया. विभाग ने कई बार नोटिस जारी किए, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने के कारण यह मामला गंभीर अनुशासनहीनता की श्रेणी में आ गया.
योगी सरकार की ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति पर फिर मुहर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार यह संदेश देते रहे हैं कि उनकी सरकार में भ्रष्टाचार, लापरवाही और मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. पिछले कुछ महीनों में कई विभागों में ऐसे ही मामलों में निलंबन और बर्खास्तगी की कार्रवाई की जा चुकी है. नंद गोपाल नंदी की यह ताजा कार्रवाई उसी दिशा में एक और ठोस उदाहरण है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि शासन में जवाबदेही सर्वोपरि है.
विभाग में संदेश: पारदर्शिता और जिम्मेदारी जरूरी
औद्योगिक विकास विभाग के सूत्रों का कहना है कि इस निर्णय से अन्य अधिकारियों को भी स्पष्ट संदेश गया है कि किसी भी प्रकार की अनियमितता, मनमानी या आदेशों की अवहेलना बर्दाश्त नहीं की जाएगी. विभाग अब सभी क्षेत्रीय इकाइयों से कर्मचारियों की उपस्थिति, कार्यप्रदर्शन और नियमों के अनुपालन की नियमित रिपोर्ट मांग रहा है.
नंद गोपाल नंदी बोले- “किसी को नियमों से ऊपर नहीं समझना चाहिए”
मंत्री नंद गोपाल नंदी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार का लक्ष्य है कि हर विभाग पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों पर कार्य करे. उन्होंने कहा, “कोई भी अधिकारी या कर्मचारी खुद को नियमों से ऊपर नहीं समझे. शासन की नीति साफ है- काम करें, ईमानदारी से करें, वरना कार्रवाई तय है.”

