19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

National Sports Day 2020 : हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद ‘दद्दा’ ने जब ठुकराया था हिटलर का प्रस्ताव

National Sports Day 2020, Major Dhyan Chand Birthday Special : हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती 29 अगस्त को है, उनके जन्मदिन को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. मेजर ध्यानचंद का खेल ऐसा था कि पूरी दुनिया उनकी ओर हैरत से देखती थी और उनके अनोखे खेल ने पूरे विश्व का ध्यान खींचा था. ध्यानचंद ने ही ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था.

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती 29 अगस्त को है, उनके जन्मदिन को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. मेजर ध्यानचंद का खेल ऐसा था कि पूरी दुनिया उनकी ओर हैरत से देखती थी और उनके अनोखे खेल ने पूरे विश्व का ध्यान खींचा था. ध्यानचंद ने ही ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था.

मेजर ध्यानचंद के बारे में यह कहा जाता है कि जब वे हॉकी खेलते थे और गेंद उनके पास आ जाती थी तो उनसे गेंद छीनना अच्छे से अच्छे खिलाड़ी के लिए भी बहुत कठिन काम था. वे बॉल को इस तरह अपनी स्टिक से चिपकाकर रखते थे कि लोग हैरत में पड़ जाते थे. नीदरलैंड में अधिकारियों ने ध्यानचंद का हॉकी स्टिक तोड़ कर जांचा था कि कहीं उनके हॉकी स्टिक में कोई ऐसी चीज तो नहीं है जो बॉल को चिपकाकर रखती है.

मेजर ध्यानचंद ने अपने करियर में 400 से अधिक गोल दागे थे. उनकी गोल करने की क्षमता को देखकर महान क्रिकेटर डॉंन ब्रेडमैन ने कहा था कि यह तो मैदान पर गोल बरसता है. ध्यानचंद ने 1928 में एम्सटर्डम, 1932 में लॉस एंजेलिस और 1936 के बर्लिन ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का नेतृत्व किया. उनके बारे में अनेक किवंदतियां मशहूर हैं, लेकिन 1936 में बर्लिन ओलंपिक खेलों के दौरान जर्मनी के तानाशाह हिटलर के प्रस्ताव को ठुकराने के लिए विशेष तौर पर उन्हें याद किया जाता है.

1936 के बर्लिन ओलंपिक में भारत और जर्मनी के बीच खेले गये मुकाबले को जर्मन तानाशाह हिटलर ने भी देखा था. उस फाइनल मुकाबले को भारत ने जर्मनी से 8-1 से हराया था. उस मुकाबले में ध्‍यानचंद ने 6 गोल दागे थे. हॉकी के जादूगर के खेल को देख कर सिर्फ हिटलर ही नहीं, जर्मनी के हॉकी प्रेमियों के दिलोदिमाग पर भी एक ही नाम छाया था और वह था ध्यानचंद. ध्‍यानचंद के खेल से प्रभावित होकर हिटलर ने उन्हें सेना में सबसे ऊंचे पद का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने विनम्रता के साथ यह ठुकरा दिया. ध्‍यानचंद ने कहा था, ‘मैंने भारत का नमक खाया है, मैं भारत के लिए ही खेलूंगा.’

Also Read: IPL 2020: धौनी की टीम चेन्नई सुपर किंग्स के 12 सदस्य कोरोना पॉजिटिव, पूरी टीम हुई कोरेंटिन

ध्यानचंद का जन्म उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था. उन्होंने अपने कैरियर में 400 से अधिक गोल किये और वे विश्व के सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी बने. 1922 में 16 साल की उम्र में ध्यानचंद पहले ब्राह्मण रेजिमेंट में भरती हुए. जिस समय वो सेना में भरती हुए उस समय तक उनके मन में हॉकी के लिए प्यार नहीं था. लेकिन रेजिमेंट के सूबेदार मेजर तिवारी ने उन्हें प्रेरित किया और ध्यानचंद हॉकी की दुनिया में आये. ध्यानचंद ने 1928,1932 और 1936 में देश को हॉकी में गोल्ड दिलाया. वे भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भी रहे. उनकी कप्तानी में ही टीम ने ओलंपिक में गोल्ड जीता.

ध्यानचंद को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए 1956 में पद्मभूषण दिया गया था. उन्हें भारतरत्न देने की मांग बराबर उठती रहती है, लेकिन अबतक उन्हें भारत रत्न नहीं दिया गया है.

Posted By : Rajneesh Anand

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें