22.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

झारखंड हाईकोर्ट ने कहा- संविदा व दैनिककर्मी आवेदन दें, सरकार तीन माह में ले निर्णय

निर्धारित समय के अंदर विभागीय स्तर पर यदि यह मामला निष्पादित नहीं होता है, तो वैसी स्थिति में विभाग के सचिव कारण बताते हुए उनके मामले को मुख्य सचिव के पास भेज देंगे.

रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा व दैनिक कर्मियों के सेवा नियमितीकरण को लेकर दायर पांच दर्जन से अधिक याचिकाओं पर फैसला सुनाया. अदालत ने कहा कि संविदा कर्मियों का नियमितीकरण झारखंड का बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है. याचिकाओं को निष्पादित करते हुए अदालत ने प्रार्थियों को निर्देश दिया कि वह अपना अभ्यावेदन (रिप्रेजेंटेशन) एक माह के अंदर संबंधित विभाग को देंगे. संबंधित विभाग सुप्रीम कोर्ट के स्टेट ऑफ कर्नाटक बनाम उमा देवी, नरेंद्र कुमार तिवारी बनाम झारखंड सरकार के फैसले के आलोक में तीन माह के अंदर निर्णय लेंगे.

निर्धारित समय के अंदर विभागीय स्तर पर यदि यह मामला निष्पादित नहीं होता है, तो वैसी स्थिति में विभाग के सचिव कारण बताते हुए उनके मामले को मुख्य सचिव के पास भेज देंगे. मुख्य सचिव विशेषज्ञों की समिति बना कर सेवा नियमितीकरण पर चार माह में विधिसम्मत निर्णय लेंगे. यह समिति सुप्रीम कोर्ट व हाइकोर्ट के फैसले को संज्ञान में रखते हुए फैसला लेगी. इसके बाद भी यदि प्रार्थी को लगता है कि उनके मामले में सही फैसला नहीं हुआ है, तो वह फिर से कोर्ट आ सकते हैं. पूर्व में मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

Also Read: झारखंड हाईकोर्ट ने कहा- थानाें में अधिकतर केसों में शत-प्रतिशत आरोपियों का स्वीकारोक्ति बयान कैसे संभव

इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा, अमृतांश वत्स, अधिवक्ता सौरभ अरुण आदि ने पैरवी की थी. उन्होंने अदालत को बताया था कि स्वीकृत व रिक्त पद पर 10 वर्षों से अधिक समय से कार्यरत हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी कई फैसलों में कहा है कि यदि 10 वर्ष या उससे अधिक समय कर्मी अस्थायी रूप से स्वीकृत व रिक्त पद पर काम कर रहे हैं, तो सरकार योजना बना कर उन्हें नियमित करे. राज्य सरकार ने सेवा नियमितीकरण नियमावली भी लागू की है.

प्रार्थियों का यह भी कहना था कि स्वीकृत या रिक्त पद नहीं भी हो, तो भी संविदा या दैनिककर्मी लंबे समय से कार्यरत हैं, वैसी स्थिति में सरकार को पद स्वीकृत कर उनकी सेवा नियमित करनी चाहिए. वहीं राज्य सरकार की ओर से संविदा व दैनिककर्मियों की सेवा नियमित करने से इनकार किया था. कहा गया था कि जिस समय कर्मियों की नियुक्ति हुई थी, उस समय वह पद स्वीकृत व रिक्त में शामिल नहीं था. हालांकि बाद में यह पद स्वीकृत व रिक्त पदों में शामिल किया गया. इसलिए याचिकाकर्ताओं की सेवा नियमित नहीं की जा सकती है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी धारो उरांव, नूतन कुमारी, कपिल देव सिंह, महेंद्र उरांव, अशोक पंडित सहित 69 अलग-अलग याचिकाएं दायर की गयी थी.

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel