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अतीक अशरफ हत्याकांड: हाईकोर्ट के वकील करेंगे हत्यारोपियों की पैरवी, 24 अगस्त को तय किए जाएंगे आरोप

जिला जज संतोष राय की अदालत में बुधवार को प्रतापगढ़ जिला कारागार में बंद तीनों आरोपित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जर‍िए पेश हुए. उन्होंने कोर्ट को बताया कि वह अपने मुकदमे की पैरवी के लिए अधिवक्ता गौरव सिंह को नियुक्त करना चाहते हैं.

Prayagraj: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और खालिद अजीम उर्फ अशरफ के हत्यारोपी लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्य के विरुद्ध कानूनी प्रक्रिया तेज हो गई है. सत्र न्यायालय में परीक्षण शुरू होने के साथ हत्यारोपियों की पैरवी के लिए वकील नियुक्त कर दिया गया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील गौरव सिंह प्रयागराज के इस चर्चित कांड में शूटर्स की ओर से पैरवी करेंगे. जिला जज की अदालत में 24 अगस्त को चार्ज फ्रेम होंगे. एसआईटी की चार्जशीट के आधार पर आरोप तय किए जाएंगे.

गौरव सिंह करेंगे हत्यारोपियों की पैरवी

जिला जज संतोष राय की अदालत में बुधवार को प्रतापगढ़ जिला कारागार में बंद तीनों आरोपित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जर‍िए पेश हुए. उन्होंने कोर्ट को बताया कि वह अपने मुकदमे की पैरवी के लिए अधिवक्ता गौरव सिंह को नियुक्त करना चाहते हैं. इसके बाद अदालत ने अधिवक्ता का पर्चा पत्रावली में दाखिल करने का आदेश दिया, जिससे कोर्ट की प्रक्रिया में आगे गौरव सिंह हत्यारोपियों की पैरवी कर सकें.

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24 अगस्त की तारीख तय

इस प्रकरण में जिला जज ने मुकदमे के सुनवाई के लिए अब 24 अगस्त की तारीख तय की है. आरोपितों के विरुद्ध जांच करने वाली एसआईटी अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है. इसमें हत्यारोप‍ियों अरुण, लवलेश और सनी सिंह के विरुद्ध आईपीसी की धारा 302, 307, 302, 120 बी, 419, 420, 467, 468 आर्म्स एक्ट 377 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया है.

इससे पहले कोर्ट में तीनों हत्यारोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम किए जाने थे, लेकिन आज भी चार्ज फ्रेम नहीं हो सका. पिछली पेशी में तीनों शूटरों ने आरोप तय करने के लिए कोर्ट से मोहलत की मांग की थी. 10 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने आरोप तय करने के लिए आज तक की मोहलत दी थी. अब हत्यारोपियों लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्य को वकील मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जा सकेगी.

15 अप्रैल को हुआ था अतीक-अशरफ हत्याकांड

माफिया अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की हत्या 15 अप्रैल को मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय के गेट पर गोली मारकर की गई थी. इस मामले में शासन की ओर से जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. जांच पूरी करने के बाद चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी गई है.

आरोपपत्र में हमलावरों को बताया गया आक्रामक

पुलिस कस्टडी में अतीक-अशरफ की हत्या से यूपी की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हुए थे. काल्विन अस्पताल ले जाते समय पत्रकार की भेष में आए हमलवारों ने अतीक-अशरफ पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी. एसआईटी की तरफ से दाखिल आरोपपत्र में हमलावरों को आक्रामक बताया गया है. पुलिस हिरासत में सनसनीखेज वारदात के पीछे का मकसद जरायम की दुनिया में शोहरत हासिल करना और धन कमाना बताया गया है. हमलावरों का संबंध पश्चिमी यूपी और दिल्ली के गोगी और सुंदर भाटी गिरोह जैसे आपराधिक गुटों से भी जोड़ा गया है.

शूटर साबिर पर शिकंजा कसने की तैयारी

वहीं भाजपा नेता उमेश पाल की गोलियों और बम से दिनदहाड़े हत्या करके फरार हुए पांच लाख का इनामी शूूटर मोहम्मद साबिर के मरियाडीह स्थित घर पर धूमनगंज पुलिस कुर्की नोटिस चस्पा कर चुकी है. अतीक गैंग के शूटर साबिर के मोहल्ले में पुलिस ने मुनादी भी कराई. इसके पहले अतीक अहमद की 50 हजार की इनामी बीवी शाइस्ता परवीन और पांच लाख के इनामी शूटर गुड्डू मुस्लिम के घरों पर भी पुलिस कुर्की नोटिस चस्पा कर चुकी है.

एसटीएफ की कोशिशों के बावजूद नहीं मिला सुराग

उमेश पाल की 24 फरवरी को दिनदहाड़े हत्या करने के बाद से अतीक गैंग के शूटर मोहम्मद साबिर और गुड्डू मुस्लिम का अभी तक कोई सुराग नहीं लग सका है. पुलिस और एसटीएफ के हाथ तमाम कोशिशों के बाद भी खाली हैं. यहां तक कि इनाम की राशि बढ़ाते-बढ़ाते पांच लाख कर दी गई है. फिर भी मोहम्मद साबिर और गुड्डू मुस्लिम की कोई जानकारी नहीं मिल सकी है.

शाइस्ता परवीन भी अब तक फरार

अहम बात है कि पुलिस को अतीक की बीवी शाइस्ता परवीन का भी कोई सुराग नहीं मिल सका है. इनके ऊपर आत्मसमर्पण करने का दबाव बढ़ाने की कोशिश करते हुए धूमनगंज पुलिस ने मरियाडीह निवासी शूटर साबिर का कुर्की वारंट जारी कराते हुए उसके घर नोटिस चस्पा कराया है. पुलिस ने मोहल्ले में उसके खिलाफ मुनादी भी कराई. पुलिस अफसरों के मुताबिक कानूनी प्रक्रिया के तहत ये कार्रवाई की गई है.

पुलिसकर्मी बने अतीक अहमद के मददगार!

इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को हलफनामा देकर यह स्पष्ट करने का आदेश दिया है कि पुलिस कार्यालय की गोपनीय सूचनाएं देने के आरोपी पुलिसकर्मी के मददगार कौन हैं. न्यायमूर्ति अजीत कुमार की अदालत ने प्रयागराज में उर्दू अनुवादक के पद पर तैनात रहे मुनव्वर खान पर गंभीर आरोपों के बावजूद कड़ी कार्रवाई नहीं होने पर हैरानी भी जताई.

खान का तबादला माफिया अतीक अहमद से जुड़ाव के शक में हाथरस किया गया था. उर्दू अनुवादक मुनव्वर खान ने अपने तबादले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. मुनव्वर की ओर से कहा गया कि प्रयागराज पुलिस कार्यालय में उर्दू अनुवादक के पद पर कार्यरत रहने के दौरान उसे कार्यालय की गोपनीयता भंग करने के कारण प्रशासनिक आधार पर हाथरस स्थानांतरित किया गया था. इस दौरान मिलने वाले भत्ते भी उसे नहीं दिए जा रहे हैं.

सरकार के स्थाई अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याची का स्थानांतरण नहीं हुआ, बल्कि अस्थाई रूप से हाथरस संबद्ध किया गया है. उस पर कार्यालय की गोपनीय सूचनाएं माफिया को देने का आरोप था. इस पर याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि खान का तबादला विभागीय नीति के विरुद्ध किया गया है. स्थानांतरण नीति में संबद्धीकरण है ही नहीं.

पुलिस कमिश्नर को 22 अगस्त तक दाखिल करना है हलफनामा

याची का सेवाकाल भी सिर्फ 14 महीने बचा है. कोर्ट ने गोपनीयता भंग करने जैसे गंभीर आरोप के बावजूद संबद्धीकरण पर हैरानी जताई. कहा, प्रतीत हो रहा है कि पुलिस विभाग में याची की कोई रक्षा कर रहा है या फिर तबादला आदेश का बचाव करने के लिए कमजोर आधार पर आरोप लगाए गए हैं.

कोर्ट ने प्रयागराज पुलिस आयुक्त को 22 अगस्त तक जांच करके हलफनामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही कहा कि अगर पुलिस आयुक्त स्थिति को स्पष्ट करने में विफल रहे तो अदालत मामले में सख्ती से पेश आएगी.

25 पुलिसकर्मियों की प्रयागराज से बाहर की गई तैनाती

दरअसल भाजपा नेता उमेश पाल की 24 फरवरी को दिनदहाड़े हत्या के महीनेभर बाद अतीक अहमद गैंग के मददगार 25 पुलिसकर्मियों को जिले से बाहर तैनाती दी गई थी. इनका तबादला प्रशासनिक आधार पर किया गया था. जिन पुलिसकर्मियों को हटाया गया था, उनमें दरोगा, हेड कांस्टेबल, कांस्टेबल के साथ उर्दू अनुवादक मुनव्वर खान भी शामिल है.

इनमें अधिकांश लोगों को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दूरदराज इलाकों में गैरवरीयता वाले पदों पर तैनाती दी गई थी. कुछ को पीटीसी मुरादाबाद भी भेजा गया था. इन सभी के तबादला आदेश में प्रशासनिक आधार पर कार्रवाई की बात कही गई थी. हालांकि माना जा रहा है कि अतीक अहमद के मददगार होने की शिकायत शासन तक शिकायत के बाद इन्हें प्रयागराज से हटाया.

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