भारत की टेक इंडस्ट्री में आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश करते हुए ज़ोहो के को-फाउंडर और चीफ साइंटिस्ट श्रीधर वेम्बू ने अपने मैसेजिंग ऐप ‘अरट्टाई’ को लेकर बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि यह ऐप भले ही दिखने में साधारण लगे, लेकिन इसके पीछे दो दशकों की गहन घरेलू इंजीनियरिंग और रिसर्च की ताकत छिपी है.
अरट्टाई: दिखने में सिंपल, तकनीकी रूप से गहरा
श्रीधर वेम्बू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, अरट्टाई सतह पर एक सरल प्रोडक्ट है, लेकिन इसके अंदर बहुत गहराई है. उन्होंने बताया कि यह ऐप ज़ोहो के खुद के मैसेजिंग और ऑडियो-वीडियो फ्रेमवर्क पर चलता है, जिसे पिछले 15 वर्षों से लगातार विकसित किया जा रहा है.

20 साल की टेक्नोलॉजी का आधार
वेम्बू ने ज़ोहो की एक और महत्वपूर्ण तकनीक का ज़िक्र किया- एक डिस्ट्रिब्यूटेड फ्रेमवर्क जो बड़े स्तर पर ऑपरेशन्स को मैनेज करता है. यह सिस्टम सर्वर और डेटाबेस के बीच वर्कलोड को बैलेंस करता है, साथ ही फॉल्ट टॉलरेंस, सिक्योरिटी और परफॉर्मेंस ट्रैकिंग का भी ध्यान रखता है. यह तकनीक ज़ोहो के पूरे प्रोडक्ट इकोसिस्टम की रीढ़ है.
रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर ज़ोर
वेम्बू ने बताया कि उन्होंने अब पूरी तरह से रिसर्च एंड डेवलपमेंट में काम करना शुरू कर दिया है और आने वाले समय में ज़ोहो से कई नई इनोवेशन देखने को मिलेंगी. उन्होंने कहा, हमारी स्थायित्व की ताकत हमारे R&D की गहराई से आती है.
इंजीनियर को बताया ‘ऋषि’
अरट्टाई टीम को संदेश देते हुए वेम्बू ने कहा कि एक समर्पित इंजीनियर एक ऋषि की तरह होता है, जो बाहरी शोर से प्रभावित नहीं होता. उन्होंने टीम से कहा, प्रशंसा, आलोचना या प्रसिद्धि से विचलित न हों, अपने मार्ग पर अडिग रहें.
अरट्टाई: मेड-इन-इंडिया का जवाब
तमिल में ‘अरट्टाई’ का मतलब है ‘चैट’. यह ऐप ज़ोहो की ओर से व्हाट्सऐप जैसे ग्लोबल ऐप्स को टक्कर देने के लिए पेश किया गया है. हालांकि यह अभी मुख्यधारा में नहीं आया है, लेकिन वेम्बू का संदेश बताता है कि कंपनी का फोकस दीर्घकालिक और स्वतंत्र तकनीक निर्माण पर है.
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