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फेसबुक और ट्विटर से बढ़ रही है डिप्रेशन की शिकायत

गैजेट डेस्क अगर आपको बार-बार फेसबुक चेक करने की आदत है तो थोड़ा ठहरिये, यह खबर आपकी नींद उड़ा देगी. दरअसल पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च से पता चला है कि ऑफलाइन रहने वाले लोगों की तुलना में ऑनलाइन रहने वाले इंसान को डिप्रेशन का शिकार होने का 2.7 गुना ज्यादा खतरा रहता है. स्टडी […]

गैजेट डेस्क

अगर आपको बार-बार फेसबुक चेक करने की आदत है तो थोड़ा ठहरिये, यह खबर आपकी नींद उड़ा देगी. दरअसल पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च से पता चला है कि ऑफलाइन रहने वाले लोगों की तुलना में ऑनलाइन रहने वाले इंसान को डिप्रेशन का शिकार होने का 2.7 गुना ज्यादा खतरा रहता है.
स्टडी में फेसबुक,यू ट्यूब, ट्विटर, गूगल प्लस और पिन्टरेस्ट सहित सभी ऑनलाइन नेटवर्किंग साइट को यूज करने वाले 1700 लोगों पर अध्ययन किया गया. इन लोगों में 19 से 32 साल के युवक शामिल थे. रिसर्च से पता चला कि औसतन प्रतिदिन यूजर्स 61 मिनट फेसबुक पर अपना वक्त बीताते हैं. एक सप्ताह में कम-से-कम 30 बार लोग सोशल नेटवर्किंग साइट में लॉग इन करते हैं.
रिसर्च में शोधकर्ताओं ने बताया कि सोशल मीडिया अब लोगों के दिनचर्या में शामिल हो गया है. ऐसे हालत में लोगों का सिर्फ इसका सकरात्मक यूज करना चाहिए. हालांकि यह पहली दफा नहीं है कि जब नौजवानों को सोशल मीडिया की वजह से स्वास्थ्य की समस्या का पता चला है. इससे पहले 2013 के मिशीगन यूनिवर्सिटी में हुए रिसर्च इस तरह की बातें सामने आयी थी.पिट स्कूल के हेल्थ साइंस के प्रोफेसर प्राइमेक ने कहा कि सोशल मीडिया यूज करने वाले सभी लोगों के साथ इस तरह की दिक्कत नहीं है.
सोशल नेटवर्किंग साइट का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसके एक्टिव यूजर्स है या पेसिव. उन्होंने यह भी कहा कि डिप्रेशन की बात काफी हद तक इस पर निर्भर करती है कि आप इसे सहयोग के लिए यूज करते हैं कि टकराव के लिए. उन्होंने कहा कि विस्तृत अध्ययन के बाद इसके बेहतर उपयोग के लिए गाइडलाइन जारी किया जा सकेगा.

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