नयी दिल्ली : सरकार जगह-जगह दी जा रही सार्वजनिक वाई-फाई सेवाओं के बीच इंटरऑपरेबिलिटी की व्यवस्था की मंजूरी देने की योजना बना रही है1 इस सुविधा के जरिये सार्वजनिक वाईफाई का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स को एक बार लॉग-इन करना होगा और वह देशभर में वायरलेस इंटरनेट सेवाएओं से जुड़ा रहेगा. उसे बार-बार लॉग-इन करने की जरूरत नहीं होगी.
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एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि सार्वजनिक वाई-फाई की इंटरऑपरेबिलिटी पर विचार हो रहा है. यह यूजर्स को देशभर के सभी सार्वजनिक वाई-फाई क्षेत्रों से जुड़े रहने में मदद करेगा, जब भी वह इसके दायरे में आयेंगे. यूजर्स को एक बार लॉग-इन करना होगा और दूसरे वाई-फाई नेटवर्क जैसे बीएसएनएल, एयरटेल, जियो इत्यादि डिवाइस को पहचान लेंगे और उसे नेटवर्क से जोड़ देंगे.
सूत्र ने कहा कि इस प्रस्ताव को डिजिटल संचार आयोग (डीसीसी) की अंतरमंत्रालयी समिति की बैठक में रखा जा सकता है. यह बैठक मंगलवार को होनी है. राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति 2018 के तहत सरकार ने 2020 तक 50 लाख और 2022 तक एक करोड़ सार्वजनिक वाईफाई हॉटस्पॉट लगाने का लक्ष्य रखा है.
उन्होंने कहा कि मौजूदा नियमों के तहत एक मोबाइल डिवाइस यूजर्स सार्वजनिक वाई-फाई से जुड़ने के लिए एक फॉर्म भरना होता है. इसके बाद उनके मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आता है, जिसे डालना होता है. कभी-कभी यूजर के मोबाइल पर ओटीपी नहीं आता है और वह सार्वजनिक वाई-फाई से नहीं जुड़ पाता है.
सूत्र ने कहा कि सरकार का ध्यान डिजिटल सेवाएं देने और डेटा नवोन्मेष को बढ़ावा देने पर है. वाई-फाई की इंटरऑपरेबिलिटी मोबाइल यूजर्स को यात्रा के समय डेटा कनेक्टिविटी से जुड़े रहने में मदद करेगा. यह लाइसेंस स्पेक्ट्रम के बोझ को कम करेगा और कॉल ड्रॉप की समस्या को दूर करने में भी सहायता करेगा.