सीटू नेता कृष्ण सेन ने बताया है कि चाय बागानों में बैंकिंग सेवा अच्छी नहीं है. जिन चाय श्रमिकों के बैंक एकाउंट हैं, उन्हें भी पैसे निकालने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलकर बैंक अथवा एटीएम जाना पड़ता है. ऐसे अधिकांश चाय श्रमिकों का कोई बैंक खाता नहीं है. इसी वजह से नगद में ही मजदूरी देने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने के साथ-साथ अधिकारियों को ज्ञापन दिया गया है.
इधर, डुवार्स चाय बागान वर्कर्स यूनियन के सुब्रत दत्त गुप्त तथा पश्चिम बंगाल चाय श्रमिक यूनियन के अखिल बंधु सरकार ने बताया है कि वह लोग चाय श्रमिकों को नगद मजदूरी देने की मांग को लेकर लेबर कार्यालय के साथ ही बीडीओ कार्यालय में भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. एआइसीसीटीयू के प्रदीप गोस्वामी तथा सीपीएम के पीयूष मिश्र ने बताया है कि काला धन पर रोक लगाने के नाम पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो कदम उठाया है, उससे चाय श्रमिकों को परेशानी हो रही है. नोटबंदी की वजह से बागान मालिकों के पास वेतन और मजदूरी देने के लिए पैसे नहीं हैं.
खाते में पैसे देने की बात कही जा रही है. जबकि वास्तविकता यह है कि अधिकांश चाय श्रमिकों के बैंक खाते नहीं हैं. उन्होंने भी कहा कि जब तक सभी चाय श्रमिकों का बैंक एकाउंट न खोल दिया जाये, तब तक नगद से ही मजदूरी दी जानी चाहिए. इधर, जिला प्रशासन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बैंक खाता नहीं खोले जाने तक चाय श्रमिकों को नगद में मजदूरी देने की व्यवस्था की जा रही है.