सिलीगुड़ी: तृणमूल कांग्रेस ने सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर पद के चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार नहीं उतारने का निर्णय लिया है. हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने सिलीगुड़ी नगर निगम से इस संबंध में दो नामांकन पत्र लिये थे, लेकिन आज नामांकन की अंतिम तिथि को उसे जमा नहीं कराया.
आज तृणमूल कांग्रेस के नेता तथा उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव सिलीगुड़ी नगर निगम गये और वहां उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए बताया कि पिछले साढ़े चार वर्षो के दौरान कांग्रेस ने वाम मोरचा की सहायता से अल्पसंख्यक बोर्ड का गठन कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है.
उन्होंने पूर्व मेयर गंगोत्री दत्ता पर हमला करते हुए कहा कि जिस तरह से सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके में नागरिक सेवाएं प्रभावित हुई है और एक पर एक भ्रष्टाचार के आरोप लगे, वैसे में मेयर गंगोत्री दत्ता के पास इस्तीफा देने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था. उन्होंने कहा कि गंगोत्री दत्ता ने कांग्रेस शासित बोर्ड को भंग कर एवं अपने पद से इस्तीफा देकर अपनी असफलता को ढकने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का जनाधार पूरी तरह से खिसक गया है. हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में करीब करीब सभी वार्डो में कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी.
सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके में कांग्रेस उम्मीदवार सुजय घटक को मात्र सात से आठ प्रतिशत मत ही मिले हैं. ऐसे में कांग्रेस का जनाधार यहां पूरी तरह से खत्म हो गया है. सिलीगुड़ी नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति किये जाने की संबंध में इस मामले में निर्णय राज्य सरकार को करना है. उन्होंने कहा कि सिलीगुड़ी नगर निगम के कमीश्नर सोनम वांग्दी भुटिया राज्य सरकार को रिपोर्ट करेंगे और उसके बाद प्रशासक की नियुक्ति को लेकर फैसला होगा, लेकिन तृणमूल कांग्रेस सिलीगुड़ी नगर निगम के चुनाव के पक्ष में है.
श्री देव ने कहा कि वह जनता की अदालत में जाना चाहते हैं. उन्होंने सिलीगुड़ी नगर निगम के चुनाव के बाद तृणमूल कांग्रेस द्वारा बोर्ड के गठन किये जाने की उम्मीद जाहिर की. उन्होंने कहा कि मेयर पद का चुनाव लड़ने का फिलहाल कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि 47 सदस्यीय सिलीगुड़ी नगर निगम में बोर्ड गठन के लिए 24 सदस्यों की जरूरत पड़ेगी. संख्या बल उनके पास नहीं है. उनके पास सिर्फ 15 काउंसिलर ही हैं. अन्य दलों की सहायता से वह सिलीगुड़ी नगर निगम का सत्ता हासिल करना नहीं चाहते.