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आया 8.7 तीव्रता का भूकंप और दौड़ पड़े राहतकर्मी
गंगतोक/ दार्जिलिंग/ कालिम्पोंग/ मिरिक : बुधवार को सिक्किम और उत्तर बंगाल में भूकंप की स्थिति में बचाव कार्य के अभ्यास के लिए मॉक ड्रिल किया गया. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा तैयार रिस्पांस सिस्टम को जांचने क लिए यह अभ्यास किया गया. सुबह 11.15 बजे रिक्टर स्केल पर 8.7 तीव्रता का भूकंप मानकर बचाव […]
गंगतोक/ दार्जिलिंग/ कालिम्पोंग/ मिरिक : बुधवार को सिक्किम और उत्तर बंगाल में भूकंप की स्थिति में बचाव कार्य के अभ्यास के लिए मॉक ड्रिल किया गया. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा तैयार रिस्पांस सिस्टम को जांचने क लिए यह अभ्यास किया गया. सुबह 11.15 बजे रिक्टर स्केल पर 8.7 तीव्रता का भूकंप मानकर बचाव कार्य शुरू किया गया.
सिक्किम के चारों जिलों में यह अभ्यास राज्य के मुख्य सचिव की देखरेख में हुआ, जो उत्तरदायी अधिकारी (आरओ) की भूमिका में थे. इस दौरान राज्य के राहत आयुक्त इंसीडेंट कमांडर की भूमिका में थे, जिन्होंने सारे जरूरी आदेश जारी किये. बड़ी संख्या में अधिकारियों और फील्ड स्टाफ ने उन्हें सहयोग किया. इसी तरह के प्रोटोकॉल का पालन जिला स्तर पर किया गया, जहां आरओ की भूमिका जिला कलेक्टर ने और इंसीडेंट कमांडर की भूमिका एडीसी या एसडीएम ने निभायी.
भूकंप का केंद्र मेघालय के शिलॉन्ग को माना गया. शिलॉन्ग के केंद्र होने पर जहां-जहां तेज झटके आ सकते हैं, उन सभी इलाकों में अभ्यास किया, जिसमें पश्चिम बंगाल के कई जिले भी शामिल हैं. तेज भूकंप आने पर भू-स्खलन, इमारतों के गिरने, भगदड़, आग लगने की घटनाएं हो सकती हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में किसी परिसर में फंसे लोगों को निकालना पड़ सकता है. इन सभी का अभ्यास किया गया. राज्य आपदा अभियान केंद्र या मुख्य कंट्रोल रूम राजधानी गंगतोक के मनन केंद्र में बनाया गया था. पालजोर स्टेडियम में सारे बचावकर्मियों और जरूरी संसाधनों को जुटाया गया और जरूरत के अनुरूप विभिन्न जगहों पर भेजा गया.
दार्जिलिंग में शहर के संत टेरेसा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय व अन्य क्षेत्रों में मॉक ड्रिल किया गया. इसमें स्कूली विद्यार्थियों को भी सहभागी बनाया गया. मॉक ड्रिल के दौरान भूस्खलन में फंसे लोगों को निकालते समय किस तरह की सावधानी बरतनी होगी, उसको प्रदर्शनी के साथ लोगों को बताया गया. इसी तरह से भूकम्प में फंसे लोगों को किस तरह से बाहर निकाला जाये और मलबे में फंसे लोगों को सुरक्षित कैसे बाहर निकाला जाय, इन विषयों पर विद्यार्थियों व उपस्थित लोगों को बताया गया.
प्रदर्शनी के बाद जिलाधिकारी कार्यालय के कांफ्रेस हॉल में जिला अधिकारी जयसी दासगुप्त ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुये जिलाधिकारी जयसी दासगुप्त ने बताया कि जन चेतना अभियान एवं जागरूकता लाने के लिये यह कार्य किया गया है. उन्होंने कहा कि अब प्रत्येक माह इस तरह के मॉक ड्रिल का आयोजन किया जायेगा. दार्जिलिंग में हाईराइज बिल्डिंग के बारे में पूछे जाने पर जिलाधिकारी जयसी दासगुप्त ने कहा कि इसके बारे में जिला प्रशासन की ओर से नगरपालिका को लिखा जा चुका है.
इस पर अंकुश लगाने का काम उसे ही करना होगा.
पश्चिम बंगाल आपदा प्रबंधन विभाग के निर्देश पर राज्य के 10 जिलों में सम्पन्न मॉक ड्रिल कालिम्पोंग जिले में भी हुआ. एसयूएमआइ के जिम हॉल परिसर में मॉक ड्रिल किया गया. इसमें एनडीआरएफ, आर्मी, पीएचई, विद्युत, पीडब्ल्यूडी, स्वास्थ्य विभाग आदि की सहभागिता रही. मॉक ड्रिल के दौरान जिला प्रशासन कार्यालय से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये राज्य मुख्यालय को घटनाओं एवं बचाव की लगातार जानकारी दी गयी. डीएम डॉ विश्वनाथ ने बताया कि बचाव में लगे टीमों, जेसीबी, एम्बुलेन्स, बाधित रास्ता अवस्था, भूकम्प पीड़ितों की संख्या आदि का पूरा विवरण दिया गया.
इधर ,मिरिक महकमा शासक कार्यालय की ओर से यहां के डॉन बास्को स्कूल में मॉक ड्रिल आयोजित किया गया. मिरिक नगरपालिका के चेयरमैन एलबी राई, मिरिक एसडीपीओ अनुपम सिंह, वार्ड कमिश्नर पूनम बिश्व, बीएमओसीएच डॉ ताशी लामा आदि की इस दौरान विशेष उपस्थिति रही.
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