कालिम्पोंग : देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले कामी समुदाय के लोगों के साथ दिल्ली में आयोजित भारतीय कामी राष्ट्रीय उन्नयन परिषद का दो दिवसीय सम्मेलन का समापन रविवार को हुआ. कार्यक्रम के पहले दिन सम्मेलन में विभिन्न विभागों के मंत्रीगण, सांसद, विधायक समेत कामी समुदाय के प्रतिनिधियों ने स्थानीय कंस्टिचुशन क्लब में संपन्न हुआ. वहीं रविवार को दूसरे दिन कार्यक्रम में समुदाय कामी समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ एमपीजे क्लब में सम्मेलन आयोजित किया गया.
परिषद के अध्यक्ष मणि कुमार सिंह की अध्यक्षता में संपन्न सम्मेलन में विभिन्न राज्यों से आये कामी समुदाय के प्रतिधियों ने जाति हित के लिए सुझाव एवं समस्याओं को रखा. सम्मेलन में परिषद की ओर से अपने जाति के सर्वांगीण विकास के लिए होने वाले पहल पर विमर्श किया गया. नेपाली अनुसूचित जाति (कामी, दमाई, सार्की) को देश के मूलधारा में प्रवेश कराने हेतु विभिन्न नीति एवं योजना बनाने की बातों पर वक्ताओं ने जोर दिया. इसी क्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सुवास एम. सिंह ने सम्बोधित करते हुये नेकडोर की ओर से किये जा रहे कार्यों के बारे में लोगों को बताया.
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में पूरे देश में रहने वाले कामी समुदायों की ठोस जनगणना कर भावी रणनीति तैयार करने का सुझाव दिया. श्री सिंह ने कहा कि हमारे समुदाय की जनसंख्या कितना है किसी को पता नहीं. देश के विभिन राज्यों में रहने वाले कामी समुदाय का वास्तविक आंकड़ा तैयार कर दिशा-निर्देश देने की बातें कही. उन्होंने देश में बहुसंख्यक की आवाज को ज़्यादा प्रमुखता देने की बातें कहते हुये सभी लोगों से एक होने की अपील की.
उन्होंने कहा कि ‘सरकार द्वारा हमलोगों को सिर्फ कागज में पैसा देती है. योजना के धरातल पर उतारने के लिये संसाधन सरकार के पास नहीं है. श्री सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा दलितों का वास्तविक विकास नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा हम जिसे चुनकर भेजते हैं वो सरकार का गुलाम होकर रहता है. जिसके कारण हमारा अधिकार छीन जाता है. उन्होंने परिषद को राजनैतिक दलों के प्रभाव में नहीं रहने का आग्रह किया. सम्मेलन को परिषद के सचिव नारदमणि घतानी ने भी संबोधित किया.
उन्होंने देश के विभिन्न प्रांतों में रहने वाले गोर्खा को समान अधिकार मिलने साथ ही धार्मिक रूप में अलग-अलग रहे कामी समुदाय को एक मंच पर आकर कार्य करने की अपील की. इस सम्मेलन में दार्जिलिंग, कालिम्पोंग, तराई-डुआर्स, पूर्वांचल क्षेत्र के सातो राज्यों, बिहार, बंगलौर, राजस्थान, दिल्ली, मुम्बई, देहरादून, हरियाणा से समुदाय के लोग पहुंचे थे. सम्मेलन में जातीय उत्थान के लिए शैक्षणिक, प्रशासनिक, इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य आदि क्षेत्र में नेपाली अनुसूचित जाति के प्रवेश एवं प्रावधान पर विस्तृत रूप से चर्चा की गयी.
सम्मेलन में परिषद के संयोजक मनोज शंकर, दिल्ली से सुरेन्द्र सिंह रसाईली, एकसे विश्वकर्म, कालिम्पोंग से म्याक्सिमस कालिकोटे, साम से बुद्धिमान खाती, मिजोरम से डेविड विश्वकर्म, मणिपुर से गोपाल लकांद्री, मध्य प्रदेश से दिलीप सिलवाल, दार्जिलिंग से रिबेन घतानी, हरियाणा से किरण रसाईली, फरिदाबाद से विकास लोहानी, निशा रसाईली एवं तारा प्रसाद ढकाल उपस्थित थे. विभिन्न कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की गयी.