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हिंदी कॉलेज में सीटें बढ़ाने को डीएम के समक्ष प्रदर्शन

जलपाईगुड़ी : हिंदी कॉलेज बानरहाट में सीटों की संख्या कम होने से हिंदी माध्यम से उत्तीर्ण उच्च माध्यमिक के छात्र छात्राओं के लिए भारी मुसीबत हो रही है. उन्हें हिंदी कॉलेज में दाखिला नहीं मिलने से बांग्ला माध्यम वाले कॉलेजों में पढ़ने की बाध्यता हो रही है. इससे इन विद्यार्थियों में नाराजगी है. इसी मसले […]

जलपाईगुड़ी : हिंदी कॉलेज बानरहाट में सीटों की संख्या कम होने से हिंदी माध्यम से उत्तीर्ण उच्च माध्यमिक के छात्र छात्राओं के लिए भारी मुसीबत हो रही है. उन्हें हिंदी कॉलेज में दाखिला नहीं मिलने से बांग्ला माध्यम वाले कॉलेजों में पढ़ने की बाध्यता हो रही है. इससे इन विद्यार्थियों में नाराजगी है. इसी मसले को लेकर गुरुवार को तृणमूल छात्र परिषद की ओर से जिलाधिकारी कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया. बाद में जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में एडीएम को ज्ञापन सौंपकर हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के दाखिले की व्यवस्था कराने की मांग की गयी है.
इन विद्यार्थियों का कहना है कि अगर हिंदी कॉलेज के रहते हुए उन्हें बांग्ला माध्यम के कॉलेजों में पढ़ना पड़े तो फिर हिंदी माध्यम से पढ़ाई का क्या मूल्य रह जाता है. इसलिये उन्हें मजबूर होकर पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी. इस बारे में हालांकि तृणमूल के जिला परिषद सदस्य मनोज तमांग ने कहा है कि वह चाहते हैं कि एक भी हिंदी माध्यम के विद्यार्थी को पढ़ाई से वंचित नहीं होना पड़े.
वह कोशिश करेंगे ताकि हिंदी कॉलेज में सीटों की संख्या बढ़ायी जाये. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले साल भी उन्होंने हिंदी कॉलेज के प्राचार्य से सीट बढ़ाने का अनुरोध किया था. लेकिन उन्होंने उस मांग को अनसुना कर दिया. इसलिये जरूरत हुआ तो हम लोग सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे लेकिन हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों का भविष्य नष्ट नहीं होने देंगे.
तृणमूल छात्र परिषद के जिलाध्यक्ष ने बताया कि हिंदी माध्यम के छात्र-छात्राओं के दाखिले की समस्या को लेकर उनका संगठन जिलाधिकारी से भेंट करने आया था. लेकिन आज केवल एडीएम मलय हालदार के साथ बात हुई. अभी भी सैकड़ों विद्यार्थियों को हिंदी कॉलेज में दाखिला नहीं मिला है. उच्च माध्यमिक उत्तीर्ण छात्रा एलविन एक्का ने बताया कि उसे 72 प्रतिशत अंक मिले हैं.
इसके बावजूद उसे हिंदी कॉलेज बानरहाट में दाखिला नहीं मिला. अब वह पढ़ाई के लिये कहां जायेगी. बाहर पढ़ने लायक उसके परिवार की सामर्थ्य नहीं है. माता-पिता चाय श्रमिक हैं. किसी तरह उनका गुजारा होता है. उसने हिंदी माध्यम से ही पढ़ाई की है. बांग्ला माध्यम में वह कैसे पढ़ाई करेगी यह सोचकर परेशान है.

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