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काउंसेलिंग के जरिये बच्चों व युवाओं की मदद
संस्कार सेंटर फॉर चिल्ड्रेन की पहलकदमी एक साल में कई को भटकाव से बचाया सिलीगुड़ी. बदलते समय और आधुनिकता के साथ जीवन में कई नयी समस्याएं भी आयी हैं. सबसे ज्यादा असर बच्चों, किशोरों व युवाओं पर हुआ है. एक बड़ी समस्या है वह है माता-पिता के कुछ समझ पाने से पहले ही बच्चे ड्रग, […]
संस्कार सेंटर फॉर चिल्ड्रेन की पहलकदमी
एक साल में कई को भटकाव से बचाया
सिलीगुड़ी. बदलते समय और आधुनिकता के साथ जीवन में कई नयी समस्याएं भी आयी हैं. सबसे ज्यादा असर बच्चों, किशोरों व युवाओं पर हुआ है.
एक बड़ी समस्या है वह है माता-पिता के कुछ समझ पाने से पहले ही बच्चे ड्रग, सोशल मीडिया पर परेशान किये जाने तथा यौन उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं. लेकिन अपनी समस्याओं को किसी से साझा नहीं कर पाने के चलते वे धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार हो कर आत्महत्या तक का रास्ता अपनाते हैं. बच्चों तथा युवाओं की इन समस्याओं को लेकर ‘संस्कार सेंटर फॉर चिल्ड्रेन’ नामक संस्था पिछले एक वर्ष से काम करते आ रही है. रविवार सिलीगुड़ी को जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन के माध्यम से संस्था की संयोजक देवीकला शर्मा ने यह जानकारी दी.
पत्रकारों को जानकारी देते हुए श्रीमती शर्मा ने बताया कि उन्होंने करीब एक वर्ष पहले दिल्ली के परवरिश इंस्टीट्यूट ऑफ पेरेंटिंग से इस विषय की ट्रेनिंग ली थी.
तथा वहां से ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने इस काम को सबसे पहले अपने घर से आरंभ किया था. उनके यहां कार्यशालाओं के माध्यम से बच्चों की काउंसेलिंग किया जाता. उन्होंने कहा कि सिलीगुड़ी के साथ ही उनकी संस्था पूरे तराई, डुआर्स इलाके में इस प्रकार के कार्यक्रम चला रही है. प्रेस वार्ता में परवरिश के संयोजक सुशांत कालड़ा, डॉक्टर जीपी सबकोटा व अन्य उपस्थित थे.
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