सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी में एकमात्र विद्युत शवदाह गृह किरणचंद्र श्मशान घाट की स्थिति अभी भी बदहाल है. बीते महीने विद्युत चूल्हे के अचानक खराब हो जाने से पूरे पांच दिन तक शवदाह बंद था. जिसकी वजह से शहर वासियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था. 700 के स्थान पर लोगों को दाह संस्कार में आठ से दस हजार रूपये खर्च करने पड़े.
चूल्हे को ठीक करने के बाद भी स्थिति नहीं सुधरी है. इसकी कीमत स्वयं सिलीगुड़ी नगर निगम के चेयरमैन दिलीप सिंह को चुकानी पड़ी है. यहां बता दें कि बीते रविवार को निगम के चेयरमैन दिलीप सिंह के पिता लक्षमण सिंह का निधन हो गया. सोमवार को उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए किरणचंद्र श्मशान घाट लाया गया. जबकि अंतिम संस्कार के लिए वहां पहले से ही शवो की लंबी कतार लगी हुयी थी. काफी देर इंतजार करने के बाद चेयरमैन दिलीप सिंह ने स्वयं लकड़ी मंगवाकर महानंदा नदी किनारे अपने पिता का अंतिम संस्कार किया.
तृणमूल कांग्रेस के विरोधी दल नेता रंजन सरकार ने इस मामले को लेकर कहा कि सोमवार को अंतिम संस्कार के लिए 16 शव पहले से लाइन में थे. वर्तमान में एक शवदाह में डेढ़ घंटे से अधिक का समय लगता है. हिसाब किया जाए तो 16 शवों को दाह करने में 24 घंटे का समय लग गया. जबकि पहले करीब एक घंटे में एक शव का दाह होता था.
ऐसे में यदि शवो की संख्या 16 से अधिक बढ़ी तो अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को एक दिन से अधिक का इंतजार करना होगा. इसके अतिरिक्त श्मशान घाट पर शौचालय, पेयजल व शव को रखने के लिए सेड तक की उचित व्यवस्था नहीं है. इतने बड़े शहर में एक विद्युत चुल्हे से काम नहीं चलेगा. यहां दूसरा विद्युत चूल्हा खराब पड़ा हुआ है. निगम उसे स्टैंड बाय बता रही है.
कुछ वर्ष पहले तत्कालीन उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव ने 5 नंबर वार्ड इलाके में एक और विद्युत शवदाह गृह बनाने की प्रक्रिया शुरू की थी. श्री सरकार ने कहा कि इसी मेयर ने स्थानीय लोगों को उसका कर उस परियोजना को बंद करवा दिया. पिछले ढाई वर्षों से अशोक भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली माकपा बोर्ड शहर के विकास कार्यों में हर मोर्चे पर विफल साबित हुयी है. इसीलिए सिलीगुड़ी नगर निगम को एक पत्र लिखकर किरणचंद्र श्मशान घाट को राज्य सरकार या एसजेडीए को देने की मांग की गयी.