गोरखालैंड की मांग को लेकर पहाड़ पर इन दिनों हिंसा का दौर जारी है. विभिन्न स्थानों पर सरकारी कार्यालयों तथा वाहनों में आग लगाये जा रहे है. ऐसी परिस्थिति के बीच गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरुंग दार्जिलिंग में ही डटे हुए हैं.हालांकि वह अपने घर से कम ही बाहर निकल रहे हैं. मीडिया के साथ भी उनकी बातचीत नहीं के बराबर हो रही है. वह प्रेस बयान जरूर जारी करते रहे हैं.
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गोजमुमो नेताओं ने दिल्ली में जमाया डेरा
सिलीगुड़ी. अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर पहाड़ पर जारी आंदोलन तथा हिंसा के बीच गोजमुमो के कई नेताओं ने दिल्ली में डेरा जमाया हुआ है. यह लोग वहां केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रियों से मिलनेवाले हैं. गोजमुमो नेताओं ने संसद के इसी मॉनसून सत्र में कोई न कोई समाधान निकालने के लिए केंद्र […]
सिलीगुड़ी. अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर पहाड़ पर जारी आंदोलन तथा हिंसा के बीच गोजमुमो के कई नेताओं ने दिल्ली में डेरा जमाया हुआ है. यह लोग वहां केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रियों से मिलनेवाले हैं. गोजमुमो नेताओं ने संसद के इसी मॉनसून सत्र में कोई न कोई समाधान निकालने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार पर दबाव बनाने का फैसला किया है. गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरूंग ने इसकी पुष्टि भी कर दी हैं. विमल गुरुंग ने इसके साथ ही साफ कह दिया है कि गोजमुमो को अलग राज्य से कम कुछ भी मंजूर नहीं है. केंद्र सरकार से अगर कोई बातचीत होती है तो वह सिर्फ गोरखालैंड राज्य बनाने पर होगी.
इतना ही नहीं विमल गुरूंग ने तराई और डुवार्स भी अपना दावा ठोंक दिया है. उन्होंने गोरखालैंड राज्य में तराई और डुवार्स को भी शामिल करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इसी बात को ध्यान में रखते हुए तराई और डुवार्स के गोजमुमो नेता शंकर अधिकारी को भी दिल्ली भेजा गया है. यहां उल्लेखनीय है कि गोजमुमो के महासचिव रोशन गिरि, स्वराज थापा, स्टडी फोरम के सदस्य आर मोक्तान, गोजमुमो सेंट्रल कमेटी के नेता पीटी ओला तथा किशोर थापा इन दिनों दिल्ली में हैं.
विमल गुुरुंग ने बुधवार को भी एक प्रेस बयान जारी कर अपने तल्ख तेवर दिखाये हैं. उन्होंने साफ साफ कहा है कि नया राज्य बनने तक पहाड़ पर बेमियादी बंद जारी रहेगा. इसके अलावा सरकार से यदि कोई बातचीत होती है तो गोरखालैंड मुद्दे के सिवा किसी और मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं की जायेगी. उन्होंने आगे कहा है कि आंदोलन को चलाने के लिए गोरखालैंड मूवमेंट को-ऑर्डिनेशन कमेटी (जीएमसीसी) का गठन किया गया है. जीएमसीसी के सदस्य एनडीए के तमाम घटक दलों के नेताओं से मिलेंगे और उनसे मॉनसून सत्र में ही गोरखालैंड की मांग को लेकर कोई न काई हल निकालने का अनुरोध करेंगे. इस बीच पहाड़ पर बेमियादी बंद के 34 दिन पूरे हो गये है. वहां अब खाने-पीने की भारी कमी हो गयी है. विमल गुरुंग ने कहा है कि खाद्य पदार्थों की कमी से भी गोरखालैंड आंदोलन पर भी कोई असर नहीं पड़गा. पहाड़ के लोग भुखे रहेंगे, लेकिन अलग राज्य लेकर रहेंगे.
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