कोलकाता: मुझे गिरफ्तार करने के बाद सीबीआइ मुझसे विभिन्न तरीके से सारधा मामले में मुख्यमंत्री का नाम उगलवाने की कोशिश कर रही है. मंगलवार को अलीपुर कोर्ट में न्यायाधीश के सामने खड़े होकर राज्य के परिवहन मंत्री मदन मित्रा ने यह बात कह सीबीआइ पर तीखे तेवर में प्रहार किया.
उन्होंने कहा कि सीबीआइ मुङो (मदन) मानसिक तौर पर तोड़ने की कोशिश कर रही है. जांच एजेंसी हर तरीके से इस मामले में मुख्यमंत्री के जुड़े होने के सिलसिले में सवाल पूछ रही है. मंत्री ने सीबीआइ अधिकारियों पर मानसिक तौर पर उनका कत्ल करने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया. परिवहन मंत्री ने अदालत में खुद की बीमारी की जानकारी देकर न्यायाधीश से जमानत का आवेदन किया. उन्होंने कहा कि मेरा परिवार 1887 से कोलकाता में रह रहा है. माननीय न्यायाधीश चाहें तो मैं अदालत में हाजिरी देने को भी तैयार हूं, लेकिन मुङो सीबीआइ हिरासत में नहीं भेजा जाये. मेरी तबीयत पर गौर करते हुए मुङो जमानत पर रिहा किया जाये.
कुछ और प्रभावशाली लोगों के नाम सामने आये हैं
जवाब में अलीपुर कोर्ट के एसीजेएम हराधन मुखोपाध्याय ने मंत्री के सारे आरोप को सुनने के बाद सीबीआइ के वकील को अपनी बातें रखने को कहा. सीबीआइ के अधिवक्ता पार्थ सारथी दत्त ने कहा कि सारधा मामले से मदन मित्रा सीधें जुड़े हुए हैं. उनसे पूछताछ में अहम सुराग हाथ लगे हैं. पूछताछ में हमने काफी इलेक्ट्रानिक डेटा भी जब्त किये हैं, जिसमें कई प्रभावशाली लोगों के नाम हैं. सभी रिकार्ड को सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में भेजा गया है. मंत्री से और लंबी पूछताछ कर अन्य डाटा को जब्त करने की जरूरत है. इस पूछताछ में कई प्रभावशाली और भी लोगों के नाम का खुलासा होने की उम्मीद है. जिसके कारण पांच दिनों के लिए मंत्री को सीबीआइ हिरासत में भेजा जाये. वहीं दूसरी तरफ मदन के वकील अशोक मुखर्जी ने बताया कि सीबीआइ सभी सवालों के संबंध में पूछताछ कर चुकी है, अगर पिछली केस डायरी और इस केस डायरी की तुलना की जाय तो जांच में कोई प्रगति भी नहीं हुई. इसके कारण जल्द से जल्द मंत्री को जमानत पर रिहा किया जाये. लेकिन दोनों ही पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मदन मित्रा को 19 दिसंबर तक के लिए सीबीआइ हिरासत में भेजने का निर्देश दिया.
मदन मित्रा के स्वर का नमूना संग्रह करने का सीबीआइ का आवेदन खारिज
उधर, सीबीआइ की एक अन्य मांग को अदालत में न्यायाधीश ने खारिज कर दिया. अदालत में सीबीआइ के वकील पार्थ सारथी दत्त ने कहा था कि सारधा मामले की जांच में काफी महत्वपूर्ण वीडियो व फोन में वार्तालाप के ऑडियो सीबीआइ के हाथ लगे हैं. इसमें से अधिकतर ऑडियो मंत्री मदन मित्रा का हैं, लिहाजा अदालत मंत्री का व्वायस फिर से रिकॉर्ड करने की इजाजत दी जाय. ऑडियो रिकॉर्ड के बाद दोनों का सैंपल फॉरेंसिक जांच में भेजने से एक अहम सबूत उनके पास रहेगा. वहीं मदन मित्रा के वकील ने कहा कि मंत्री तो क्या किसी भी आम नागरिक के व्वायस का नमूना उसकी मरजी के खिलाफ नहीं लिया जा सकता. अदालत में इस कानून में प्रावधान होने की जानकारी देते हुए इसका विरोध किया. अदालत ने मदन मित्रा के व्वायस रिकार्ड करने के सीबीआइ के इस आवेदन को खारिज कर दिया. अब मदन मित्रा को शुक्रवार को अदालत में पेश किया जायेगा.
नरेश भालोटिया को भी 19 दिसंबर तक सीबीआइ हिरासत
दूसरी तरफ इस दिन सुदीप्त सेन के वकील नरेश भालोटिया को भी मदन मित्रा के साथ अदालत में पेश किया गया. जहां सीबीआइ के वकील पार्थ सारथी दत्त ने कहा कि सारधा के मालिक सुदीप्त के अकाउंट से नरेश भालोटिया के अकाउंट में काफी रुपये ट्रांसफर हुए हैं. इसके सबूत सीबीआइ के पास है. जल्द ही और भी सबूत हासिल करने के लिए नरेश से विस्तृत पूछताछ की जरूरत है. जिसे सुनने के बाद न्यायाधीश ने नरेश भालोटिया को भी 19 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया.
कोर्ट में मंत्री ने क्या कहा
कोर्ट में परिवहन मंत्री मदन मित्रा ने न्यायाधीश से कहा, ‘हिरासत में पूछताछ के दौरान सीबीआइ के छह-सात अधिकारी टेप रिकॉर्डर में मेरे बयान को रिकॉर्ड कर रहे हैं. मेरी जुबान से ममता का नाम निकलवाने की कोशिश की जा रही है. सीबीआइ के चार से छह अधिकारी मुंह पर पकड़ा बांध कर मुझसे चिल्लाकर सवाल कर रहे हैं. सारधा का रुपया हमारी नेत्री ने भी लिया है, मुझसे यह कहलवाने की कोशिश की जा रही है. पार्टी के कई प्रभावशाली नेताओं का नाम भी मुझसे कहलवाने की कोशिश सीबीआइ कर रही है. अचानक 40 से 50 सीबीआइ कर्मी मुझ पर चिल्ला कर मुङो मानसिक तौर पर तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. मानसिक तौर पर सीबीआइ मेरे कत्ल की साजिश रच रही है. मैं क्या चोर हूं, डकैत हूं. मै एक साइकियाट्रिक का मरीज हूं. उदय चौधरी मेरे डॉक्टर हैं. कानून जो सजा देगी उसे सिर झुका कर ग्रहण करूंगा. मै यही बोलना चाहूंगा कि मेरा परिवार वर्ष 1887 से कोलकाता में रह रहा है. मैं कोलकाता छोड़कर नहीं जाऊंगा. कृपया कर मुङो सीबीआइ हिरासत में न भेजा जाये. मुङो जमानत पर रिहा की जाये, जरूरत पड़ी तो मैं अदालत में आऊंगा.’
हिरासत में पूछताछ के दौरान सीबीआइ के छह-सात अधिकारी टेप रिकॉर्डर में मेरे बयान को रिकॉर्ड कर रहे हैं. मेरी जुबान से ममता का नाम निकलवाने की कोशिश की जा रही है. सीबीआइ के चार से छह अधिकारी मुंह पर कपड़ा बांध कर मुझसे चिल्लाकर सवाल कर रहे हैं. सारधा का रुपया हमारी नेत्री ने भी लिया है, मुझसे यह कहलवाने की कोशिश की जा रही है.
-मदन मित्रा, परिवहन मंत्री