कोलकाता : नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विस्तार को लेकर राज्य व केंद्र के बीच टकराव शुरू हो गया है. राज्य सरकार ने एयरपोर्ट के विस्तार के लिए जमीन देने से साफ इंकार कर दिया है. दरअसल, प्रतिवर्ष कोलकाता एयरपोर्ट पर यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में यात्रियों की सुविधा के लिए एयरपोर्ट के विस्तार की आवश्यकता है.
इसके लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने कोलकाता के आस-पास जमीन उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार से अनुरोध किया था, लेकिन राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने एयरपोर्ट अथॉरिटी के चेयरमैन अरविंद सिंह को साफ कह दिया कि कोलकाता में जमीन का प्रबंध करना संभव नहीं है.
राज्य सरकार ने इसके बदले विकल्प के तौर पर दुर्गापुर में अंडाल एयरपोर्ट का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव दिया लेकिन केंद्र इसे मानने को तैयार नहीं है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कहना है कि यह मुमकिन नहीं है, क्योंकि कोलकाता से अंडाल की दूरी काफी अधिक है. केंद्र व राज्य सरकार के बीच इस टकराव से अब कोलकाता एयरपोर्ट के विस्तार का मामला लटकता दिख रहा है. एयरपोर्ट अथॉरिटी का कहना है कि वह जमीन की व्यवस्था नहीं कर सकता. राज्य सरकार को करनी होगी.
यात्रियों की संख्या के मद्देनजर विस्तार जरूरी : इस समय कोलकाता एयरपोर्ट के टर्मिनल की क्षमता सालाना दो करोड़ 60 लाख यात्रियों की है. इस समय दो करोड़ 30 लाख यात्री आवाजाही कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार, आने वाले समय में वर्तमान टर्मिनल का ही विस्तार किया जायेगा. रनवे और टर्मिनल की क्षमता को थोड़ा बढ़ाया जा सकता है, जो कुछ वर्षों तक चल सकता है.
2014 तक इस एयरपोर्ट से एक करोड़ यात्रियों की आवाजाही थी, जो पिछले पांच वर्षो में बढ़कर दोगुनी से अधिक हो गयी है. एयरपोर्ट अधिकारियों का कहना है कि अगर इसी तरह यात्रियों की संख्या बढ़ती रही तो एयरलाइंसों को जगह उपलब्ध कराने के लिए वैकल्पिक एयरपोर्ट की आवश्यकता होगी.
दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद समेत कई बड़े शहरों में वैकल्पिक एयरपोर्ट की तैयारी का काम शुरू हो चुका है, सिर्फ कोलकाता को लेकर समस्या है.
कोलकाता से 180 किमी दूर है अंडाल : एयरपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारी का कहना है कि राज्य सराकर विकल्प के तौर पर अंडाल का नाम ले रही है, लेकिन वह कोलकाता से करीब 180 किलोमीटर दूर है. दुनिया में कहीं भी वैकल्पिक एयरपोर्ट तैयार हो रहा है तो उसकी दूरी मुख्य एयरपोर्ट से 50-60 किलोमीटर की होती है, ताकि यात्रियों को मुख्य एयरपोर्ट से उतरकर वहां पहुंचने में सहूलियत हो.
वहीं, केंद्र के इस तर्क पर बंगाल सरकार ने कोलकाता से अंडाल तक हाई स्पीड कॉरीडोर बनाने का भी प्रस्ताव दिया है, लेकिन सिंह का कहना है कि यह भी संभव नहीं है. केंद्र का कहना है कि हाई स्पीड कॉरीडोर के लिए भी जमीन चाहिए. साथ ही इसमें पैसा भी काफी लगेगा. एयरपोर्ट अथॉरिटी का आरोप है कि मुद्दे के समाधान के लिए जब उन्होंने मुख्य सचिव को फोन किया तो उन्होंने रिसीव नहीं किया, साथ ही मैसेज का भी कोई जवाब नहीं दिया.